अंबिकापुर । नईदुनिया प्रतिनिधि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सेवा
दे रहे एक चिकित्सक को जांच प्रक्रिया पूरी होने व शासन स्तर से क्लीन चिट
मिलने के बाद भी आधा वेतन ही मिल रहा है।
छत्तीसगढ़ शासन चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से इस संबंध में एक पत्र जारी किया गया है, जिसमें शासकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर में उपचार के दौरान हुई मरीज हरीश कुमार गुप्ता की हुई मौत के जांच प्रतिवेदन का हवाला देते हुए स्पष्ट किया गया है कि मरीज की मृत्यु गंभीरतम हृदय क्षीणता के कारण हुई है। इसमें चिकित्सक या नर्सिंग केयर में त्रुटि परिलक्षित नहीं होती है।
अंबिकापुर निवासी हरीश कुमार गुप्ता की मौत लगभग दस माह पूर्व मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उपचार के दौरान हुई थी। मृतक के इलाज में लापरवाही के गंभीर आरोप लगे थे। मामले में डॉ.ललित अग्रवाल के अलावा सीनियर रेसीडेंट प्रीति सिंह, गायत्री यादव स्टॉफ नर्स पर गाज गिरी थी। डॉ.अग्रवाल को तत्समय जशपुर जिले में अटैच कर दिया गया था। मामले का जांच प्रतिवेदन 23 अगस्त 2019 को भेजा गया था, जिसमें हरीश कुमार गुप्ता की मृत्यु का कारण गंभीरतम हृदय क्षीणता बताया गया था। छग शासन चिकित्सा शिक्षा विभाग के अवर सचिव केके मोटवानी ने जांच प्रतिवेदन सामने आने के बाद पूरे प्रकरण में किसी प्रकार की चिकित्सक त्रुटि अथवा नर्सिंग केयर परिलक्षित नहीं होना पाया और 15 नवंबर 2019 को संचालक चिकित्सा शिक्षा विभाग डीके एस भवन रायपुर के साथ अधिष्ठाता शासकीय मेडिकल कॉलेज अंबिकापुर व संबंधित अधिकारी व कर्मचारियों को इसकी प्रतिलिपि पे्रषित करते हुए स्पष्ट किया है कि प्रकरण में शेष किसी भी प्रकार की कार्रवाई की आवश्यकता प्रतीत नहीं पड़ती है। अतः निर्देशानुसार शासकीय मेडिकल कॉलेज अंबिकापुर में कार्यरत डॉ.ललित अग्रवाल, सीनियर रेसीडेंट प्रीति सिंह व स्टॉफ नर्स गायत्री यादव को देय भुगतान एवं अवकाश के प्रकरण में नियमानुसार कार्रवाई की जाए। दोषमुक्त होने के शासनादेश के बाद संबंधितों में निलंबन अवधि का वेतन भुगतान के अलावा पूर्ण वेतन भुगतान नहीं होने से असंतोष है।
नहीं मिला आरोप पत्र
नियमानुसार आरोपित मामले में जिस चिकित्सक, सीनियर रेसीडेंट या स्टॉफ नर्स का निलंबन किया गया है, उन्हें जांच की प्रक्रिया के बाद 45 दिन में आरोप पत्र मिलना था। इसका जवाब निलंबित चिकित्सक व नर्स देते, लेकिन इन्हें किसी प्रकार का आरोप पत्र नहीं मिला। अपराधिक प्रकरण में 90 दिवस में आरोप पत्र देने का प्रावधान है। आरोप पत्र नहीं मिलने पर संबंधित प्रकरण को स्वयमेव निरस्त माना जाता है। ऐसे ही मामले में चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा चिकित्सक, सीनियर रेसीडेंट व स्टॉफ नर्स को दोषमुक्त करार दिया गया। आरोप पत्र नहीं डॉ.ललित अग्रवाल की वापसी मेडिकल कॉलेज में पहले ही हो चुकी है, इसके बाद निलंबन अवधि में मिल रहे जीवन निर्वाह भत्ता के बाद की शेष राशि उन्हें देने के साथ उन्हें पूरे वेतन का भुगतान किया जाना है।
छत्तीसगढ़ शासन चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से इस संबंध में एक पत्र जारी किया गया है, जिसमें शासकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर में उपचार के दौरान हुई मरीज हरीश कुमार गुप्ता की हुई मौत के जांच प्रतिवेदन का हवाला देते हुए स्पष्ट किया गया है कि मरीज की मृत्यु गंभीरतम हृदय क्षीणता के कारण हुई है। इसमें चिकित्सक या नर्सिंग केयर में त्रुटि परिलक्षित नहीं होती है।
अंबिकापुर निवासी हरीश कुमार गुप्ता की मौत लगभग दस माह पूर्व मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उपचार के दौरान हुई थी। मृतक के इलाज में लापरवाही के गंभीर आरोप लगे थे। मामले में डॉ.ललित अग्रवाल के अलावा सीनियर रेसीडेंट प्रीति सिंह, गायत्री यादव स्टॉफ नर्स पर गाज गिरी थी। डॉ.अग्रवाल को तत्समय जशपुर जिले में अटैच कर दिया गया था। मामले का जांच प्रतिवेदन 23 अगस्त 2019 को भेजा गया था, जिसमें हरीश कुमार गुप्ता की मृत्यु का कारण गंभीरतम हृदय क्षीणता बताया गया था। छग शासन चिकित्सा शिक्षा विभाग के अवर सचिव केके मोटवानी ने जांच प्रतिवेदन सामने आने के बाद पूरे प्रकरण में किसी प्रकार की चिकित्सक त्रुटि अथवा नर्सिंग केयर परिलक्षित नहीं होना पाया और 15 नवंबर 2019 को संचालक चिकित्सा शिक्षा विभाग डीके एस भवन रायपुर के साथ अधिष्ठाता शासकीय मेडिकल कॉलेज अंबिकापुर व संबंधित अधिकारी व कर्मचारियों को इसकी प्रतिलिपि पे्रषित करते हुए स्पष्ट किया है कि प्रकरण में शेष किसी भी प्रकार की कार्रवाई की आवश्यकता प्रतीत नहीं पड़ती है। अतः निर्देशानुसार शासकीय मेडिकल कॉलेज अंबिकापुर में कार्यरत डॉ.ललित अग्रवाल, सीनियर रेसीडेंट प्रीति सिंह व स्टॉफ नर्स गायत्री यादव को देय भुगतान एवं अवकाश के प्रकरण में नियमानुसार कार्रवाई की जाए। दोषमुक्त होने के शासनादेश के बाद संबंधितों में निलंबन अवधि का वेतन भुगतान के अलावा पूर्ण वेतन भुगतान नहीं होने से असंतोष है।
नियमानुसार आरोपित मामले में जिस चिकित्सक, सीनियर रेसीडेंट या स्टॉफ नर्स का निलंबन किया गया है, उन्हें जांच की प्रक्रिया के बाद 45 दिन में आरोप पत्र मिलना था। इसका जवाब निलंबित चिकित्सक व नर्स देते, लेकिन इन्हें किसी प्रकार का आरोप पत्र नहीं मिला। अपराधिक प्रकरण में 90 दिवस में आरोप पत्र देने का प्रावधान है। आरोप पत्र नहीं मिलने पर संबंधित प्रकरण को स्वयमेव निरस्त माना जाता है। ऐसे ही मामले में चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा चिकित्सक, सीनियर रेसीडेंट व स्टॉफ नर्स को दोषमुक्त करार दिया गया। आरोप पत्र नहीं डॉ.ललित अग्रवाल की वापसी मेडिकल कॉलेज में पहले ही हो चुकी है, इसके बाद निलंबन अवधि में मिल रहे जीवन निर्वाह भत्ता के बाद की शेष राशि उन्हें देने के साथ उन्हें पूरे वेतन का भुगतान किया जाना है।