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शून्य पर वापसी और अचानक आंदोलन स्थगित करना…. 1,09,000 सहायक शिक्षकों के साथ विश्वासघात, धोखा एवं भविष्य के साथ खुला खिलवाड़ – जाकेश साहू

 रायपुर //-

राज्य में शिक्षाकर्मी वर्ग 03 आंदोलन के जनक एवं प्रदेश के सहायक शिक्षक नेता जाकेश साहू ने फेडरेशन द्वारा अचानक शून्य पर आंदोलन स्थगन को प्रदेश के 1,09,000 सहायक शिक्षकों के साथ विस्वासघात, धोखा एव भविष्य के साथ खुला खिलवाड़ बताया है।
सहायक शिक्षक नेता जाकेश साहू ने समस्त प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक एव सोसल मीडिया को दिए बयान में फेडरेशन के प्रदेशाध्यक्ष मनीष मिश्रा पर खुला आरोप लगाते हुए कहा है कि 9300 + 4200 का आदेश जारी हुए बिना अचानक शून्य पर आंदोलन वापस लेना यह राज्य के सहायक शिक्षकों के साथ खुलेआम धोखा है। उक्त आंदोलन की शुरुवात यह कहकर की गई थी कि यह आर या पार की लड़ाई है, इस बार आंदोलन तभी समाप्ति होगी जब मंत्रालय से 9300 + 4200 का आदेश जारी होगा, मांग पूरी होने पर ही आंदोलन स्थगित की जाएगी।
आंदोलन शुरू होते ही प्रदेश के छोटे बड़े समस्त शिक्षक संघो ने खुलकर, निःशर्त प्रदेशाध्यक्ष मनीष मिश्रा को समर्थन दिया था, सभी संगठनों से जुड़े सहायक शिक्षकों ने अपने संघीय मर्यादाओ को तोड़कर रोज आंदोलन में भाग लिए थे।
प्रदेश के लगभग 99 % सहायक शिक्षक इस बार सिर्फ और सिर्फ इसलिए हड़ताल में थे क्योंकि उन्हें आंदोलन के नेतृत्वकर्ताओ पर पूरा उम्मीद ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास था कि यह सहायक शिक्षकों की अंतिम लड़ाई है, इस बार 9300 + 4200 वेतन का मंत्रालय से आदेश लेकर ही जाना है।
कई हजारो लोगो ने अपने परिवार सहित पत्नी, बच्चों व बुजुर्ग माँ बाप को भी लेकर आंदोलन में आए, हजारो लोगो ने खुली छत के नीचे, कड़कड़ाती ठंड में पंडाल के नीचे सोते रहे, कई रात यंही गुजारा, बस्तर और सरगुजा के भाई बहन इस बार कसमे खाकर आए थे कि इस बार आर या पार, जरूर मांग पूरा कराकर जाएंगे।
प्रदेश के लगभग सभी सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं विभिन्न प्रकार के अन्य संगठनों ने भी आंदोलन को अपना खुला समर्थन दिया था, किसान नेता राकेश टिकैत जी भी दिल्ली से यंहा आंदोलन को सपोर्ट करने आए थे, छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने भी अपना खुला समर्थन और सहयोग शिक्षाकर्मियों के आंदोलन को दिया था।
शिक्षकों ने पहली बार खुलेआम, मुक्त हाथो से आंदोलन को आर्थिक सहयोग दिए थे, लगभग हरेक ब्लाको और जिलो व संकुलों से नगद राशि के अलावा, भोजन के लिए चांवल, दाल, सब्जी आदि खुलकर दान दिया गया था। ताकि आंदोलन मांग पूरी होते तक अनवरत चलता रहे।
मनीष को मांगो से कोई मतलब नहीं, सिर्फ अपना चेहरा चमकाने और राजनीतिक स्वार्थ सिद्ध करने किया आंदोलन :-
यदि मनीष मिश्रा को प्रदेश के 1,09,000 सहायक शिक्षकों के भविष्य की चिंता रहती तो वे मांग पूरी होते तक आंदोलन चलाते, उसे लोगो ने आर्थिक मदद करने में कोई कमी नहीं की, लोग दोनो हाथो से पैसा, चांवल, सब्जी सहित अन्य सामनो का भंडार लगा दिया, अन्य सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं ने भी खुलेआम मदद की। परन्तु उक्त मदद का फायदा आम सहायक साथियो को नहीं दिला पाएं।
आंदोलन के जरिए चालाक, कुटिल और चतुर मनीष मिश्रा सिर्फ और सिर्फ अपना नाम और चेहरा चमकाते रहा बस…. इनका मकसद शिक्षाकर्मी आंदोलन कर प्रदेशभर में व मीडिया की नजरों में हाईलाइट होना, सरकार को यह दिखाना कि उनके पास इतनी भीड़ है व शिक्षकों का इतना बड़ा संगठन है जिनके वे मुखिया है…. और मनीष मिश्रा 18 दिनों तक सिर्फ और सिर्फ यही करते रहा और कुछ नहीं।
मनीष मिश्रा का घमंड चरम पर, धनबल से फेडरेशन को कब्जाया, संस्थापक सदस्यो सहित अनेक पदाधिकारीयो का घोर अपमान। :-
आंदोलन की विफलता का एक बड़ा कारण मनीष मिश्रा का आसमान छूटा घमण्ड एव सँस्थापक सदस्यो का अपमान है। दरअसल आंदोलनकारी संगठन फेडरेशन का असली मुखिया मनीष मिश्रा है ही नहीं बल्कि उसने धनबल से उक्त संघ को दादागिरी पूर्वक कब्जा किया बैठा है, दरअसल फेडरेशन के मुख्य सँस्थापक जाकेश साहू एव शिव सारथी जैसे व्यक्ति है जिन्होंने फेडरेशन को बनाया है, 146 विकासखण्डों एव 27 जिलो का व्हाट्सएप ग्रुप बनाया, प्रांतीय बैठके की, सभी जिले व ब्लाको में बैठक करवाकर 2018 में जमकर आंदोलन किया, मनीष मिश्रा तो संगठन में बाद में आया, उसे लोग जानते तक नहीं थे। जाकेश साहू एव शिव सारथी …. इन्ही लोगो ने संघ का पंजीयन करवाया। बाद में मनीष मिश्रा ने धनबल से षड्यन्त्र कर सँस्थापक जाकेश साहू व शिव सारथी को फेडरेशन से बाहर किया और इन्हें अब आंदोलन में पूछा भी नहीं, जबकि यही लोग फेडरेशन के न सिर्फ असली वारिस है बल्कि आंदोलन के मुख्य कर्ता धर्ता यही लोग थे, जिन्हें मनीष ने दादागिरीपूर्वक फेडरेशन से बाहर किया…. मनीष मिश्रा के इन्ही सब हरकतों का मैसेज व समाचार छन छनकर लगातार राज्य सरकार तक जाते रहा कि फेडरेशन टूट चुका है, उनके सारे पदाधिकारी अलग थलग हो चुके है। अभी सिर्फ एक ही प्रदेश अध्यक्ष/प्रदेश संयोजक है जबकि पहले 13 लोग थे। इस प्रकार सरकार को मालूम हो चुका था कि पहले आंदोलन 13 संगठन मिलकर काम कर रहे थे जबकि अभी सिर्फ एक ही संघ आंदोलन कर रहा…. इसलिए सरकार ने सहायक शिक्षकों की मांग पूरी नहीं की बल्कि ऊपर से मनीष मिश्रा को आंदोलन खत्म करने सरकार ने धमकाया। सरकार की धमकी से डरकर मनीष मिश्रा ने आंदोलन स्थगित किया क्योंकि मनीष के उल्टे सीधे निजी धंधे है… यदि मनीष द्वारा सरकार की बात नहीं मानी जाती तो सरकार ने मनीष को कार्यवाही कर देने की धमकी दी होगी।
शासन से समझौता एवं मुख्यमंत्री से आस्वाशन की बात सफेद झूठ, सीएम की धमकी के बाद डरकर किए आंदोलन स्थगित :-
सहायक शिक्षक नेता जाकेश साहू ने कहा कि फेडरेशन द्वारा यह कहना कि सीएम ने मांग पूर्ण करने का आस्वासन दिया है…. यह सरासर सफेद झूठ है। चूंकि सीएम भूपेश बघेल के बालोद में मीडियाकर्मियों को दिए बयान से स्पष्ट था कि मनीष एव टीम को सरकार ने साफ साफ धमकी दिया था कि कोरोनाकाल में लगातार डेढ़ सालो तक शिक्षकों को घर बैठाकर तनख्वाह दिया था, अभी बच्चो को पढ़ाना छोड़ आंदोलन कर रहे, ये गलत है, चुपचाप स्कूल जाओ और पढ़ाओ…… सीएम के उक्त बयान से मनीष एव टीम डर गई थी और डरकर ही इन लोगो ने आंदोलन शून्य पर वापस लिया है।
यह प्रदेश के आम सहायक शिक्षकों के साथ एक गहरा विस्वासघात एव जबर्दस्त धोखा है। प्रदेशाध्यक्ष एवं टीम को सरकार की धमकी से डरना नहीं था।
मनीष मिश्रा के आंदोलन वापसी के निर्णय से सहायक शिक्षकों का भविष्य गर्त में चला गया। आंदोलन जारी रहना था। यदि नेतृत्वकर्ता लोग थक गए थे तो नेतृत्व के लिए नए टीम तैनात कर देते व वर्तमान नेतृत्वकर्ता टीम आगामी 10 दिनों के लिए घर आ जाया रहते।
इस प्रकार आंदोलन मांग पूर्ति तक चलने देना था। यह एक धोखा और विश्वासघात है।

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