जांजगीर-चांपा. जिले
में शिक्षक पंचायत के लिए अतिशेष का फंडा एकबार फिर सामने आया है। इसमें
सभी वर्गों के करीब छह सौ शिक्षक प्रभावित हैं, जिनकी पदस्थापना के लिए
सोमवार को काउंसिलिंग होगी। वहीं जिले में बाहर से आए शिक्षक व सहायक
शिक्षक पदस्थापना के लिए भटक रहे हैं।
जिले के पंचायत संवर्ग के शिक्षकों के बीच अतिशेष का जिन्न खूब सर चढ़कर बोला है। करीब सालभर फाइलों में बंद रहने के बाद अतिशेष का जिन्न एकबार फिर सामने आया है। जिला पंचायत तथा शिक्षा विभाग द्वारा जिले के विभिन्न स्कूलों में पदस्थ पंचायत संवर्ग के शिक्षकों को अतिशेष घोषित करते हुए अन्य विद्यालयों में पदस्थ करने कवायद की जा रही है। बताया जा रहा है कि शिक्षक पंचायत व्याख्याता के 83, पंचायत शिक्षक के 160 तथा सहायक शिक्षक पंचायत के 350 शिक्षक अतिशेष घोषित हैं। इन शिक्षकों को संबंधित शालाओं से अन्य शालाओं में पदस्थ करने काउंसलिंग का आयोजन किया जा रहा है।
इसके पूर्व जिले में कुछ वर्ष पूर्व भी अतिशेष के नाम पर खूब बवाल मचा था और अधिकारियों पर अपने चहेतों को उपकृत करने का आरोप भी लगा था। उस समय शिक्षकों में एक खौफ बन गया था कि कब उनका नाम अतिशेष की सूची में शामिल हो जाए। तत्कालीन समय शासन के निर्देशों के साथ स्थानीय स्तर पर समायोजन का खेल चला और शिक्षकों को अन्य शालाओं में पदस्थ किया गया। अब एक बार फिर वहीं किस्सा दोहराया जा रहा है। इस बार प्रभावित शिक्षकों का कहना है कि सभी वर्गों में रिक्तियां बताई जा रही है। विभाग में जब रिक्तियां है, तो अतिशेष के नाम पर शिक्षकों को परेशान करना कहां तक उचित है। वहीं शिक्षकों के स्थानांतरण का दौर भी चल रहा है और बाहर से स्थानांतरित होकर आए शिक्षकों को कई स्कूलों में पदस्थ किया जा चुका है, जबकि जिले में ही पदस्थ शिक्षक अतिशेष के नाम पर अन्य शालाओं में भेजे जा रहे हैं।
इस संबंध में शिक्षक अधिकारियों पर आरोप लगा रहे हैं कि पहले उनकी पदस्थापना की जानी थी, फिर बाहर से आए शिक्षकों को स्कूलों का आबंटन होना था। एक ओर शिक्षकों को अतिशेष भी बताया जा रहा है और दूसरी ओर शिक्षकों की भर्ती भी बदस्तूर जारी है। बहरहाल मामला जो भी जिले के शिक्षक एक बार फिर अतिशेष के नाम पर परेशान हो रहे हैं और अधिकारी इस संबंध में कुछ खुलकर बोलने तैयार नहीं हैं। इस अव्यवस्था का असर पढ़ाई पर भी पड़ सकता है।
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जिले के पंचायत संवर्ग के शिक्षकों के बीच अतिशेष का जिन्न खूब सर चढ़कर बोला है। करीब सालभर फाइलों में बंद रहने के बाद अतिशेष का जिन्न एकबार फिर सामने आया है। जिला पंचायत तथा शिक्षा विभाग द्वारा जिले के विभिन्न स्कूलों में पदस्थ पंचायत संवर्ग के शिक्षकों को अतिशेष घोषित करते हुए अन्य विद्यालयों में पदस्थ करने कवायद की जा रही है। बताया जा रहा है कि शिक्षक पंचायत व्याख्याता के 83, पंचायत शिक्षक के 160 तथा सहायक शिक्षक पंचायत के 350 शिक्षक अतिशेष घोषित हैं। इन शिक्षकों को संबंधित शालाओं से अन्य शालाओं में पदस्थ करने काउंसलिंग का आयोजन किया जा रहा है।
इसके पूर्व जिले में कुछ वर्ष पूर्व भी अतिशेष के नाम पर खूब बवाल मचा था और अधिकारियों पर अपने चहेतों को उपकृत करने का आरोप भी लगा था। उस समय शिक्षकों में एक खौफ बन गया था कि कब उनका नाम अतिशेष की सूची में शामिल हो जाए। तत्कालीन समय शासन के निर्देशों के साथ स्थानीय स्तर पर समायोजन का खेल चला और शिक्षकों को अन्य शालाओं में पदस्थ किया गया। अब एक बार फिर वहीं किस्सा दोहराया जा रहा है। इस बार प्रभावित शिक्षकों का कहना है कि सभी वर्गों में रिक्तियां बताई जा रही है। विभाग में जब रिक्तियां है, तो अतिशेष के नाम पर शिक्षकों को परेशान करना कहां तक उचित है। वहीं शिक्षकों के स्थानांतरण का दौर भी चल रहा है और बाहर से स्थानांतरित होकर आए शिक्षकों को कई स्कूलों में पदस्थ किया जा चुका है, जबकि जिले में ही पदस्थ शिक्षक अतिशेष के नाम पर अन्य शालाओं में भेजे जा रहे हैं।
इस संबंध में शिक्षक अधिकारियों पर आरोप लगा रहे हैं कि पहले उनकी पदस्थापना की जानी थी, फिर बाहर से आए शिक्षकों को स्कूलों का आबंटन होना था। एक ओर शिक्षकों को अतिशेष भी बताया जा रहा है और दूसरी ओर शिक्षकों की भर्ती भी बदस्तूर जारी है। बहरहाल मामला जो भी जिले के शिक्षक एक बार फिर अतिशेष के नाम पर परेशान हो रहे हैं और अधिकारी इस संबंध में कुछ खुलकर बोलने तैयार नहीं हैं। इस अव्यवस्था का असर पढ़ाई पर भी पड़ सकता है।
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