रायपुर । निप्र। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम शिक्षा
गुणवत्ता अभियान शुरू होने से पहले ही विवाद में फंसता नजर आ रहा है। राज्य
सरकार के इस ड्रीम अभियान के दूसरे साल अकादमिक निरीक्षण शुरू होते ही
जिला एवं स्कूलों के आवंटन को लेकर अंदरूनी कलह शुरू हो गई है।
दरअसल इस बार स्कूल शिक्षा विभाग ने राज्य स्तर के अधिकारियों को पक्की सड़क या रास्ते पर पड़ने वाले स्कूलों और सुगम जिलों को आवंटित किया है, जबकि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर्स और प्राध्यापकों को सुकमा, नारायणपुर, कोंडागांव जैसे जंगली और दुर्गम इलाकों के स्कूलों के निरीक्षण का जिम्मा सौंपा है। इससे नाराज प्रोफेसर्स ने प्रशिक्षण से ही किनारा कर लिया।
पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के अधिकारियों का कहना है कि प्रोफेसर्स को दूरस्थ स्कूल आवंटित होने से कॉलेज में पढ़ाई भी प्रभावित होगी। इनका तर्क है कि प्रोफेसर्स की ड्यूटी उन्हीं जिलों में लगाई जाए जहां विवि के कॉलेज हैं। गौरतलब है कि 16 से 31 अगस्त तक स्कूलों में शिक्षा स्तर का निरीक्षण किया जाना है।
प्रशिक्षण में नहीं आए प्रोफेसर्स
स्कूल आवंटन के बाद रविवि के प्रोफेसर्स अभियान के लिए जरूरी प्रशिक्षण कार्यक्रम में नहीं आए। सर्व शिक्षा अभियान की ओर से 11 और 12 अगस्त को राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रोफेसर जेएन पांडेय स्कूल में आयोजित किया गया, जिसमें एक भी प्रोफेसर ने रुचि नहीं दिखाई, जबकि 131 प्रोफेसर्स की ड्यूटी निरीक्षण में लगी है। अब शिक्षा अफसर कह रहे हैं प्रशिक्षण नहीं लेने वालो को मॉड्यूल की कॉपी दे देंगे। उसी के हिसाब से वे मॉनिटरिंग करेंगे।
एससीईआरटी ने कहा- हमें जरूरत नहीं प्रशिक्षण की
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के 50 से अधिक प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक और व्याख्याताओं की ड्यूटी निरीक्षण में लगाई गई है, लेकिन सिर्फ आधा दर्जन प्राध्यापक ही पहुंचे। एससीईआरटी के संचालक संजय ओझा का कहना है कि प्रशिक्षण में कोई नया मॉड्यूल नहीं था। यहां के प्राध्यापक वैसे भी प्रशिक्षण कराते हैं। उन्हें इस अभियान के लिए प्रशिक्षण की जरूरत नहीं है।
विवि के क्षेत्र में ही हो ड्यूटी तो बेहतर
हर विश्वविद्यालय का क्षेत्र बंटा हुआ है। पूरे छत्तीसगढ़ में यहां के प्रोफेसर्स को लगा दिया गया है। इससे पढ़ाई प्रभावित होगी। कुलपति से इस सम्बंध में चर्चा हुई थी। - केके चंद्राकर, कुलसचिव, पंरविवि
दूर होने से दिक्कत, कुलपति से करेंगे बात
राज्य सरकार ने ड्यूटी लगाई है तो इसे करने से कोई इंकार नहीं है। कोंडागांव, सुकमा में ड्यूटी लगाई गई है और उसी दौरान छात्रसंघ चुनाव कराने के लिए विवि ने अलग से निर्देश दे रखा है। विवि का निर्देश है कि मुख्यालय नहीं छोड़ना है। ऐसे में अभियान को मैनेज करने में दिक्कत हो रही है। प्रशिक्षण में कोई नहीं गया, इसमें आश्चर्य की बात नहीं होनी चाहिए। मिस कम्युनिकेशन की वजह से भी यह हो सकता है। इस संबंध में कुलपति से बात करेंगे। - डॉ. एनके बाघमार, अध्यक्ष, शिक्षक संघ, पंरविवि
शिकायत पर कहा है कि थोड़ा स्कूल आवंटन पर ध्यान दें
सीधी बात: मोहम्मद अब्दुल केसर हक, नोडल ऑफिसर, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान
सवाल: इस बार अफसरों को सुगम स्कूल के ही निरीक्षण का जिम्मा सौंपा गया है, इसके पीछे क्या लॉजिक है?
जवाब: प्रशिक्षण के दौरान कुछ अफसरों ने इस तरह की शिकायत की थी उनको बहुत दूर-दूर स्कूल में जाना पड़ता है। इसलिए हमने कहा है कि उन्हें दिए जाने वाले स्कूलों के बीच ज्यादा फासला न हो, इसका ध्यान आवंटन करते समय रखा जाए।
सवाल: विवि के प्रोफेसर्स को कोंडागांव और कोरिया भेज दिया गया है, बताया जाता है कि इसलिए वे प्रशिक्षण में भी नहीं आए?
जवाब: जिलों के अंदर तो जाना ही पड़ेगा, जो ट्रेनिंग में नहीं आए हैं या किसी कारण से छूट गए हैं उनके लिए हम दोबारा ट्रेनिंग की व्यवस्था कर रहे हैं।
सवाल: एससीईआरटी के शिक्षक भी प्रशिक्षण में शामिल नहीं हुए हैं?
जवाब: ट्रेनिंग हमारा ओरिएंटेशन प्रोग्राम है। उनका कहना है कि वे हमारा मॉड्यूल पढ़कर समझ जाएंगे। इसलिए नहीं आए।
एक्सपर्ट व्यू : किसी वर्ग विशेष के लिए राहत देना गलत है
किसी भी अभियान में सभी की भागीदारी बराबर होनी चाहिए। अफसरों के किसी वर्ग विशेष या बड़े अफसर को सुगमता के अनुसार दायित्व सौंपा जाना तो भोग-विलास है। अभियान तभी सार्थक होगा जब अफसरों में भी समर्पण की भावना दिखे। एक संकल्प के साथ एक मिशन को लेकर आगे बढ़ना चाहिए। किसी वर्ग पर विशेष ध्यान देना गलत है। - बीकेएस रे, पूर्व अपर मुख्य सचिव, छत्तीसगढ़ शासन
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दरअसल इस बार स्कूल शिक्षा विभाग ने राज्य स्तर के अधिकारियों को पक्की सड़क या रास्ते पर पड़ने वाले स्कूलों और सुगम जिलों को आवंटित किया है, जबकि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर्स और प्राध्यापकों को सुकमा, नारायणपुर, कोंडागांव जैसे जंगली और दुर्गम इलाकों के स्कूलों के निरीक्षण का जिम्मा सौंपा है। इससे नाराज प्रोफेसर्स ने प्रशिक्षण से ही किनारा कर लिया।
पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के अधिकारियों का कहना है कि प्रोफेसर्स को दूरस्थ स्कूल आवंटित होने से कॉलेज में पढ़ाई भी प्रभावित होगी। इनका तर्क है कि प्रोफेसर्स की ड्यूटी उन्हीं जिलों में लगाई जाए जहां विवि के कॉलेज हैं। गौरतलब है कि 16 से 31 अगस्त तक स्कूलों में शिक्षा स्तर का निरीक्षण किया जाना है।
प्रशिक्षण में नहीं आए प्रोफेसर्स
स्कूल आवंटन के बाद रविवि के प्रोफेसर्स अभियान के लिए जरूरी प्रशिक्षण कार्यक्रम में नहीं आए। सर्व शिक्षा अभियान की ओर से 11 और 12 अगस्त को राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रोफेसर जेएन पांडेय स्कूल में आयोजित किया गया, जिसमें एक भी प्रोफेसर ने रुचि नहीं दिखाई, जबकि 131 प्रोफेसर्स की ड्यूटी निरीक्षण में लगी है। अब शिक्षा अफसर कह रहे हैं प्रशिक्षण नहीं लेने वालो को मॉड्यूल की कॉपी दे देंगे। उसी के हिसाब से वे मॉनिटरिंग करेंगे।
एससीईआरटी ने कहा- हमें जरूरत नहीं प्रशिक्षण की
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के 50 से अधिक प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक और व्याख्याताओं की ड्यूटी निरीक्षण में लगाई गई है, लेकिन सिर्फ आधा दर्जन प्राध्यापक ही पहुंचे। एससीईआरटी के संचालक संजय ओझा का कहना है कि प्रशिक्षण में कोई नया मॉड्यूल नहीं था। यहां के प्राध्यापक वैसे भी प्रशिक्षण कराते हैं। उन्हें इस अभियान के लिए प्रशिक्षण की जरूरत नहीं है।
विवि के क्षेत्र में ही हो ड्यूटी तो बेहतर
हर विश्वविद्यालय का क्षेत्र बंटा हुआ है। पूरे छत्तीसगढ़ में यहां के प्रोफेसर्स को लगा दिया गया है। इससे पढ़ाई प्रभावित होगी। कुलपति से इस सम्बंध में चर्चा हुई थी। - केके चंद्राकर, कुलसचिव, पंरविवि
दूर होने से दिक्कत, कुलपति से करेंगे बात
राज्य सरकार ने ड्यूटी लगाई है तो इसे करने से कोई इंकार नहीं है। कोंडागांव, सुकमा में ड्यूटी लगाई गई है और उसी दौरान छात्रसंघ चुनाव कराने के लिए विवि ने अलग से निर्देश दे रखा है। विवि का निर्देश है कि मुख्यालय नहीं छोड़ना है। ऐसे में अभियान को मैनेज करने में दिक्कत हो रही है। प्रशिक्षण में कोई नहीं गया, इसमें आश्चर्य की बात नहीं होनी चाहिए। मिस कम्युनिकेशन की वजह से भी यह हो सकता है। इस संबंध में कुलपति से बात करेंगे। - डॉ. एनके बाघमार, अध्यक्ष, शिक्षक संघ, पंरविवि
शिकायत पर कहा है कि थोड़ा स्कूल आवंटन पर ध्यान दें
सीधी बात: मोहम्मद अब्दुल केसर हक, नोडल ऑफिसर, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान
सवाल: इस बार अफसरों को सुगम स्कूल के ही निरीक्षण का जिम्मा सौंपा गया है, इसके पीछे क्या लॉजिक है?
जवाब: प्रशिक्षण के दौरान कुछ अफसरों ने इस तरह की शिकायत की थी उनको बहुत दूर-दूर स्कूल में जाना पड़ता है। इसलिए हमने कहा है कि उन्हें दिए जाने वाले स्कूलों के बीच ज्यादा फासला न हो, इसका ध्यान आवंटन करते समय रखा जाए।
सवाल: विवि के प्रोफेसर्स को कोंडागांव और कोरिया भेज दिया गया है, बताया जाता है कि इसलिए वे प्रशिक्षण में भी नहीं आए?
जवाब: जिलों के अंदर तो जाना ही पड़ेगा, जो ट्रेनिंग में नहीं आए हैं या किसी कारण से छूट गए हैं उनके लिए हम दोबारा ट्रेनिंग की व्यवस्था कर रहे हैं।
सवाल: एससीईआरटी के शिक्षक भी प्रशिक्षण में शामिल नहीं हुए हैं?
जवाब: ट्रेनिंग हमारा ओरिएंटेशन प्रोग्राम है। उनका कहना है कि वे हमारा मॉड्यूल पढ़कर समझ जाएंगे। इसलिए नहीं आए।
एक्सपर्ट व्यू : किसी वर्ग विशेष के लिए राहत देना गलत है
किसी भी अभियान में सभी की भागीदारी बराबर होनी चाहिए। अफसरों के किसी वर्ग विशेष या बड़े अफसर को सुगमता के अनुसार दायित्व सौंपा जाना तो भोग-विलास है। अभियान तभी सार्थक होगा जब अफसरों में भी समर्पण की भावना दिखे। एक संकल्प के साथ एक मिशन को लेकर आगे बढ़ना चाहिए। किसी वर्ग पर विशेष ध्यान देना गलत है। - बीकेएस रे, पूर्व अपर मुख्य सचिव, छत्तीसगढ़ शासन
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