रायगढ़ व जांजगीर के बीच लटके अतिशेष शिक्षकों के लिए अब 29 सितंबर को
अंतिम फैसला आएगा। रायगढ़ से रिलीव होने और जांजगीर में समय सीमा के भीतर
ज्वाइन नहीं करने के कारण 61 शिक्षाकर्मियों की नौकरी पर तलवार लटक रही है।
शुक्रवार को हाई कोर्ट में हुई सुनवाई में सिंगल बेेंच ने शिक्षाकर्मियों
को स्टे तो नहीं दिया लेकिन बहस के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।
दो जिलों के बीच फंसे अतिशेष शिक्षकों को अब अपनी नौकरी के लिए महीने भर का और इंतजार करना होगा। रायगढ़ से अतिशेष के रूप में रिलीव होकर जांजगीर गए इन शिक्षकों ने 1 महीने के भीतर ज्वाइन नहीं किया था। हड़ताल पर रहने एवं अतिशेष के विरोध में एकतरफा मेडिकल लेने के बाद कुछ शिक्षकों ने हाईकोर्ट में दरवाजा खटखटाया था लेकिन इस मामले में कोई फैसला नहीं आने पर जब अगस्त महीने के पहले हफ्ते में शिक्षाकर्मियों ने जांजगीर में अपनी ज्वाइनिंग देनी चाही तो सीईओ ने समय सीमा गुजर जाने का नियम बताकर इंकार कर दिया था। जिससे ऐसे शिक्षाकर्मियों की नौकरी पर खतरा मंडराने लगा था। शुक्रवार को इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में विशेष सुनवाई होनी थी। सिंगल बेंच में जस्टिस मणींद्र श्रीवास्तव की कोर्ट में इसमें बहस हुई लेकिन जज ने शिक्षाकर्मियों को स्टे देने से इनकार कर दिया लेकिन फैसला भी सुरक्षित रखा है और अब इस मामले में अगले 29 सितंबर को सुनवाई होगी।
उल्लेखनीय है कि रायगढ़ जिले में सहायक शिक्षक पंचायत के रूप में अतिशेष शिक्षकों की पहचान कर 7 जिलों में अतिशेष का ट्रांसफर किया गया था। जिले से ऐसे 564 शिक्षकों को अतिशेष मानकर शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन ने रिलीव किया था और सभी जनपदाेें से भी 11 मई को एक साथ रिलीव आर्डर जारी किए गए थे।
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उल्लेखनीय है कि रायगढ़ जिले में सहायक शिक्षक पंचायत के रूप में अतिशेष शिक्षकों की पहचान कर 7 जिलों में अतिशेष का ट्रांसफर किया गया था। जिले से ऐसे 564 शिक्षकों को अतिशेष मानकर शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन ने रिलीव किया था और सभी जनपदाेें से भी 11 मई को एक साथ रिलीव आर्डर जारी किए गए थे।
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