बालोद| नगर पालिका स्कूल में अध्यापन करा रही शिक्षिकाओं ने नियमितीकरण की मांग को लेकर कलेक्टर राजेश सिंह राणा को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में शिक्षिकाओं ने बताया है कि पिछले 14 साल से कम वेतन पर काम कर रहे है। लेकिन अभी तक नियमित नहीं किया जा रहा है।
इस संबंध में कई बार नपा सहित शिक्षामंत्री व नगरीय निकाय मंत्री को ज्ञापन सौंप चुके हैं।
शिक्षिका गायत्री ठाकुर, सीमा झा, गीता चौधरी, शायजहा खान ने बताया कि बुधवारी बाजार के पास चल रहे नपा की स्कूल में बालमंदिर के अलावा प्राथमिक व मिडिल स्कूल की कक्षाएं संचालित हो रही है। जिसके लिए मात्र तीन नियमित शिक्षक ही पदस्थ हैं।
जो तीनों स्कूल के प्रभारी के रूप में कार्य कर रहे हैं। शिक्षण कार्य अन्य 10 शिक्षिकाओं के भरोसे चल रहा है। फिर भी इन शिक्षिकाओं को लाभ या सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। शुरू में 1500 रुपए मानदेय पर लगाया गया था।
14 साल बाद बढ़ाकर 4500 रुपए किया गया है। इससे घर चलाना संभव नहीं है।
पुष्पा ठाकुर, रोहिणी यादव, किरण जैन, इंदेश्वरी योगी ने बताया कि एक तरफ हमें नपा या शासन का कर्मचारी नहीं माना जाता। वहीं दूसरी ओर हमें शासन से संबंधित सर्वे आदि काम कराया जाता है। वहीं शिक्षा विभाग की ट्रेनिंग में भी भेजा जाता है। फिर भी हमारे साथ अपेक्षा पूर्ण व्यवहार किया जा रहा है।
400 बच्चों के लिए सिर्फ तीन नियमित शिक्षक
संगीता, पूर्णिमा साव ने बताया कि नपा स्कूल में कुल 400 बच्चे अध्ययनरत है जिसके लिए शासन स्तर पर केवल तीन ही शिक्षक है। सालों से स्वयंसेवी शिक्षकों द्वारा ही अध्यापन कार्य का जिम्मा संभाला गया है। इन शिक्षिकाओं के पढ़ाए हुए बच्चे आज उंचे पदों पर काम कर रहे हैं वहीं ये शिक्षक उसी स्थान पर है। इनमें से कई शिक्षिकाएं उम्र भी पार कर चुके हैं। जिसके कारण किसी दूसरे नौकरी के लिए आवेदन भी नहीं भर सकते। एक दिन अगर छुट्टी ले दे तो पैसा कटता है। स्कूल में शासन की सभी योजनाएं चल रही है। तो शिक्षिकाओं को भी नियमितिकरण कर कर्मचारी बनाई जाए।
इस संबंध में कई बार नपा सहित शिक्षामंत्री व नगरीय निकाय मंत्री को ज्ञापन सौंप चुके हैं।
शिक्षिका गायत्री ठाकुर, सीमा झा, गीता चौधरी, शायजहा खान ने बताया कि बुधवारी बाजार के पास चल रहे नपा की स्कूल में बालमंदिर के अलावा प्राथमिक व मिडिल स्कूल की कक्षाएं संचालित हो रही है। जिसके लिए मात्र तीन नियमित शिक्षक ही पदस्थ हैं।
जो तीनों स्कूल के प्रभारी के रूप में कार्य कर रहे हैं। शिक्षण कार्य अन्य 10 शिक्षिकाओं के भरोसे चल रहा है। फिर भी इन शिक्षिकाओं को लाभ या सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। शुरू में 1500 रुपए मानदेय पर लगाया गया था।
14 साल बाद बढ़ाकर 4500 रुपए किया गया है। इससे घर चलाना संभव नहीं है।
पुष्पा ठाकुर, रोहिणी यादव, किरण जैन, इंदेश्वरी योगी ने बताया कि एक तरफ हमें नपा या शासन का कर्मचारी नहीं माना जाता। वहीं दूसरी ओर हमें शासन से संबंधित सर्वे आदि काम कराया जाता है। वहीं शिक्षा विभाग की ट्रेनिंग में भी भेजा जाता है। फिर भी हमारे साथ अपेक्षा पूर्ण व्यवहार किया जा रहा है।
400 बच्चों के लिए सिर्फ तीन नियमित शिक्षक
संगीता, पूर्णिमा साव ने बताया कि नपा स्कूल में कुल 400 बच्चे अध्ययनरत है जिसके लिए शासन स्तर पर केवल तीन ही शिक्षक है। सालों से स्वयंसेवी शिक्षकों द्वारा ही अध्यापन कार्य का जिम्मा संभाला गया है। इन शिक्षिकाओं के पढ़ाए हुए बच्चे आज उंचे पदों पर काम कर रहे हैं वहीं ये शिक्षक उसी स्थान पर है। इनमें से कई शिक्षिकाएं उम्र भी पार कर चुके हैं। जिसके कारण किसी दूसरे नौकरी के लिए आवेदन भी नहीं भर सकते। एक दिन अगर छुट्टी ले दे तो पैसा कटता है। स्कूल में शासन की सभी योजनाएं चल रही है। तो शिक्षिकाओं को भी नियमितिकरण कर कर्मचारी बनाई जाए।