जगदलपुर. सरकारी भवन में स्कूल, पढ़ने के लिए 33
बच्चे भी, लेकिन सात महीने से ये बच्चे घर पर ही बैठे हैं। वजह हैरान करने
वाली है। दरअसल, स्कूल के इकलौते शिक्षक ने यहां का रुख ही नहीं किया। सात
माह में उन्होंने केवल दो दफा स्कूल का ताला खोला है। बस्तर के दरभा ब्लाक
के पगडंडी विहीन गांव मुंदेनार के इस स्कूल की ऐसी हालत देखकर अंदाजा लगाया
जा सकता है कि पहुंचविहीन गांवों के हालात कैसे होंगे। यहां रास्ते नहीं
हैं, इसलिए अधिकारी भी जाने से कतराते हैं। मुंदेनार का मामला भी अनायास
खुला।
दरअसल, लगातार शिकायत के बाद एसडीएम डीडी मंडावी, तहसीलदार दरभा शेखर
मिश्रा व अन्य अधिकारी पगडंडी रास्तों एवं पहाड़ी नालों को पार करते हुए
मुुंदेनार पहुंचे थे। अरसे बाद अधिकारियों को गांव में देखकर पूरा गांव
एकत्रित हो गया। सभी ने एक स्वर में गांव में व्याप्त असुविधाओं एवं शासन
की योजनाओं के नहीं पहुंचने की जानकारी दी। साथ ही इकलौते स्कूल की हालत से
भी अवगत कराया।
अधिकारी यह जानकर हैरान रह गए कि शिक्षक वहां आते ही नहीं। ग्रामीणों
ने बताया कि जब से शिक्षा सत्र शुरू हुआ है तब से अब तक यहां पदस्थ सहायक
शिक्षक पंचायत महेन्द्र सिंह ओटी केवल दो बार ही आए हैं। अर्धवार्षिक
परीक्षा समाप्ति की ओर है और शिक्षक लगभग सात माह में दो बार ही आमद दिए
हैं। स्कूल जब से खुला है तब से अब तक मध्यान्ह भोजन भी बच्चों को उपलब्ध
नहीं हो रहा है।
इसलिए नहीं भेज रहे
बच्चों के पालकों ने अधिकारियों को बताया कि उन्होंने बच्चों को स्कूल
भेजना बंद कर दिया है। शिक्षक आते ही नहीं तो स्कूल भेजकर क्या करेंगे।
मुंदेनगर निवासी भीमो, सोमारी, कोशी, बुदरी, लखमी, जगरी, पुजारी, फगनू आदि
ने बताया कि जब से स्कूल खुला है औटी गुरूजी दो बार ही आए हैं। बिना बच्चों
को पढ़ाए वेतन ले रहे हैं।