रायपुर. छत्तीसगढ़ में कार्यरत अप्रशिक्षित
शिक्षाकर्मियों को बीएड, डीएड व बीएलएड करने के लिए राज्य सरकार ने एक और
मौका दिया है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने एेसे अप्रशिक्षित
शिक्षाकर्मियों को दो साल का अवैतनिक अवकाश देने का फैसला लिया है।
इसके तहत वरिष्ठता के आधार पर सभी संवर्ग के 10-10 फीसदी अप्रशिक्षित शिक्षाकर्मियों को अध्ययन अवकाश की पात्रता होगा।
इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग से अनुमोदन लेना भी जरूरी होगा। इस आदेश का असर करीब 20 हजार शिक्षाकर्मियों पर पड़ रहा है। एेसे शिक्षाकर्मियों के पास प्रशिक्षण के लिए 2019 तक का समय है। प्रशिक्षण नहीं ले पाने वालों को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक नौकरी से बाहर किया जा सकता है।
संगठन में बेचैनी
शासन के इस आदेश को लेकर शिक्षाकर्मी संगठनों में बेचैनी है। शालेय शिक्षाकर्मी संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र दुबे ने कहा, यह अल्प वेतन वाले कर्मचारियों के लिए अव्यवहारिक और अन्यायपूर्ण फैसला है। इस संबंध में उनका संघ जल्द ही मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से मुलाकात कर अपनी बात रखेगा। छत्तीसगढ़ पंचायत नगरीय निकाय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष संजय शर्मा ने भी इस आदेश का विरोध किया है। उनका कहना है कि सरकार को बीएड-डीएड का प्रशिक्षण दिलाने की व्यवस्था करनी चाहिए। अवैतनिक अवकाश लेकर प्रशिक्षण लेने से परिवार के लालन-पालन की समस्या आ जाएगी।
संघ की मांग पर लिया गया फैसला
इस संबंध में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव एमके राउत ने बताया कि दो दिन पहले शिक्षाकर्मियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने आकर इसकी मांग की थी। उनकी मांग के अनुसार ही आदेश जारी किया गया है। अब इस पर असंतोष नहीं होना चाहिए।
शिक्षकों को छुट्टी लेने के लिए अब लगाना होगा ऑनलाइन आवेदन
वहीं स्कूल शिक्षा विभाग को हाईटेक बनाने की कवायद तेज हो गई है। इसके लिए प्रदेश के तमाम स्कूलों से शिक्षकों से जुड़ी जानकारी मंगाई जा रही है। इसके आधार पर विभाग एक नया साफ्टवेयर बना रहा है। इसके साथ ही शाला कोष परियोजना भी लागू की जाएगी। इसके लागू होने के बाद शिक्षकों को न केवल ऑनलाइन अवकाश स्वीकृत होगा, बल्कि समय पर वेतन भुगतान करना भी आसान हो जाएगा।
इसके तहत वरिष्ठता के आधार पर सभी संवर्ग के 10-10 फीसदी अप्रशिक्षित शिक्षाकर्मियों को अध्ययन अवकाश की पात्रता होगा।
इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग से अनुमोदन लेना भी जरूरी होगा। इस आदेश का असर करीब 20 हजार शिक्षाकर्मियों पर पड़ रहा है। एेसे शिक्षाकर्मियों के पास प्रशिक्षण के लिए 2019 तक का समय है। प्रशिक्षण नहीं ले पाने वालों को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक नौकरी से बाहर किया जा सकता है।
संगठन में बेचैनी
शासन के इस आदेश को लेकर शिक्षाकर्मी संगठनों में बेचैनी है। शालेय शिक्षाकर्मी संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र दुबे ने कहा, यह अल्प वेतन वाले कर्मचारियों के लिए अव्यवहारिक और अन्यायपूर्ण फैसला है। इस संबंध में उनका संघ जल्द ही मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से मुलाकात कर अपनी बात रखेगा। छत्तीसगढ़ पंचायत नगरीय निकाय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष संजय शर्मा ने भी इस आदेश का विरोध किया है। उनका कहना है कि सरकार को बीएड-डीएड का प्रशिक्षण दिलाने की व्यवस्था करनी चाहिए। अवैतनिक अवकाश लेकर प्रशिक्षण लेने से परिवार के लालन-पालन की समस्या आ जाएगी।
संघ की मांग पर लिया गया फैसला
इस संबंध में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव एमके राउत ने बताया कि दो दिन पहले शिक्षाकर्मियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने आकर इसकी मांग की थी। उनकी मांग के अनुसार ही आदेश जारी किया गया है। अब इस पर असंतोष नहीं होना चाहिए।
शिक्षकों को छुट्टी लेने के लिए अब लगाना होगा ऑनलाइन आवेदन
वहीं स्कूल शिक्षा विभाग को हाईटेक बनाने की कवायद तेज हो गई है। इसके लिए प्रदेश के तमाम स्कूलों से शिक्षकों से जुड़ी जानकारी मंगाई जा रही है। इसके आधार पर विभाग एक नया साफ्टवेयर बना रहा है। इसके साथ ही शाला कोष परियोजना भी लागू की जाएगी। इसके लागू होने के बाद शिक्षकों को न केवल ऑनलाइन अवकाश स्वीकृत होगा, बल्कि समय पर वेतन भुगतान करना भी आसान हो जाएगा।