रायगढ़। नईदुनिया प्रतिनिधि जिले में भी 8 हजार से अधिक
शिक्षाकर्मियों ने 20 नवंबर से अनिश्चिकालीन हड़ताल पर जाने की तैयारी कर ली
है। वेतन संबंधी 9 सूत्रीय मांगों के लिए इस प्रदेशव्यापी हड़ताल में
शिक्षक अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे। जिससे जिले के भी स्कूलों में छमाही
परीक्षा के आयोजन पर खतरा मंडराने लगा है।
वेतन संबंधी मांगों के लिए शिक्षाकर्मी संघ एक बार फिर आंदोलन करने वाला है। प्रदेशव्यापी इस हड़ताल में 20 नवंबर से शिक्षाकर्मियों ने स्कूलों का बॉयकाट कर धरना प्रदर्शन करने का अल्टीमेटम शासन को दे दिया है। रायगढ़ जिले में भी इसके लिए साढ़े 8 हजार शिक्षाकर्मी अपनी मांगों के लिए धरना प्रदर्शन करेंगे। इसके लिए विभिन्न संघों ने हड़ताल की तैयारी शुरू कर दी है। शिक्षाकर्मियों ने अपनी 9 सूत्रीय मांगों का पुंिलदा सरकार को सौंप दिया है। इसमें मुख्य रूप से संविलयन की मांग सबसे अहम है। इसके अलावा अप्रशिक्षित शिक्षकों को भी नियमितीकरण करने एवं उन्हे ंसमयमान एवं क्रमोन्नत वेतनमान देने की मांग की गई है। प्रशासन को सौंपे गए मांग पत्र में शिक्षकों ने अनुकंपा नियुक्ति में भी टीईटी एवं डीएड ना होने पर उम्मीदवार को योग्यता के आधार पर नौकरी देने की भी मांग सरकार से रखी है और सभी सरकारी विभागों की तरह ही ट्रांसफर के लिए खुली नीति बनाने के लिए भी कहा है। इधर हड़ताल के कारण शिक्षा विभाग की भी परेशानी बढ़ गई है। स्कूलों में अभी छमाही परीक्षा का आयोजन नहीं हुआ है। नवंबर के आखरी हफ्ते में आयोजित होने वाली छमाही परीक्षा में शिक्षकों के नहीं होने से असर पड़ना तय है । ऐसे में शिक्षकों की अनुपस्थिति में स्कूलों में किस तरह से परीक्षा का आयोजन एवं स्कूल का संचालन किया जाएगा। इसके लिए कोई तैयारी भी नहीं है।
कैबिनेट के आदेश की दुहाई
शिक्षकों की मांगो पर पूर्व में कैबिनेट की मीटिंग में सीएम ने निर्देश दिए थे और शिक्षक पंचायत को वरिष्ठता के आधार पर प्राइमरी एवं मिडिल स्कूलों मे प्रधान पाठक एवं प्राचार्य के पद पर पदोन्नत करने कहा था लेकिन इसके बाद भी शिक्षकों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। अपनी 9 सूत्रीय मांगो में शिक्षकों ने इसका भी जिक्र किया है और शासन से इसे पूरा करने की मांग की है ।
साढ़े 3 हजार स्कूलों पर असर
जिले में प्राइमरी , मिडिल से लेकर हाई एवं हायर सेकेंडरी की करीब साढ़े 3 हजार से अधिक स्कूल संचालित हैं। यदि एक साथ सभी 8 हजार शिक्षक स्कूल से अवकाश लेकर हड़ताल पर बैठ गए तो पढ़ाई प्रभावित होना तय है। नियमित शिक्षकों की संख्या भी इतनी नहीं है कि सभी स्कूलों को एक साथ खोल लिया जाए। ऐसे में शिक्षा विभाग के लिए भी हड़ताल गले की फांस बन गई है।
वेतन संबंधी मांगों के लिए शिक्षाकर्मी संघ एक बार फिर आंदोलन करने वाला है। प्रदेशव्यापी इस हड़ताल में 20 नवंबर से शिक्षाकर्मियों ने स्कूलों का बॉयकाट कर धरना प्रदर्शन करने का अल्टीमेटम शासन को दे दिया है। रायगढ़ जिले में भी इसके लिए साढ़े 8 हजार शिक्षाकर्मी अपनी मांगों के लिए धरना प्रदर्शन करेंगे। इसके लिए विभिन्न संघों ने हड़ताल की तैयारी शुरू कर दी है। शिक्षाकर्मियों ने अपनी 9 सूत्रीय मांगों का पुंिलदा सरकार को सौंप दिया है। इसमें मुख्य रूप से संविलयन की मांग सबसे अहम है। इसके अलावा अप्रशिक्षित शिक्षकों को भी नियमितीकरण करने एवं उन्हे ंसमयमान एवं क्रमोन्नत वेतनमान देने की मांग की गई है। प्रशासन को सौंपे गए मांग पत्र में शिक्षकों ने अनुकंपा नियुक्ति में भी टीईटी एवं डीएड ना होने पर उम्मीदवार को योग्यता के आधार पर नौकरी देने की भी मांग सरकार से रखी है और सभी सरकारी विभागों की तरह ही ट्रांसफर के लिए खुली नीति बनाने के लिए भी कहा है। इधर हड़ताल के कारण शिक्षा विभाग की भी परेशानी बढ़ गई है। स्कूलों में अभी छमाही परीक्षा का आयोजन नहीं हुआ है। नवंबर के आखरी हफ्ते में आयोजित होने वाली छमाही परीक्षा में शिक्षकों के नहीं होने से असर पड़ना तय है । ऐसे में शिक्षकों की अनुपस्थिति में स्कूलों में किस तरह से परीक्षा का आयोजन एवं स्कूल का संचालन किया जाएगा। इसके लिए कोई तैयारी भी नहीं है।
कैबिनेट के आदेश की दुहाई
शिक्षकों की मांगो पर पूर्व में कैबिनेट की मीटिंग में सीएम ने निर्देश दिए थे और शिक्षक पंचायत को वरिष्ठता के आधार पर प्राइमरी एवं मिडिल स्कूलों मे प्रधान पाठक एवं प्राचार्य के पद पर पदोन्नत करने कहा था लेकिन इसके बाद भी शिक्षकों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। अपनी 9 सूत्रीय मांगो में शिक्षकों ने इसका भी जिक्र किया है और शासन से इसे पूरा करने की मांग की है ।
साढ़े 3 हजार स्कूलों पर असर
जिले में प्राइमरी , मिडिल से लेकर हाई एवं हायर सेकेंडरी की करीब साढ़े 3 हजार से अधिक स्कूल संचालित हैं। यदि एक साथ सभी 8 हजार शिक्षक स्कूल से अवकाश लेकर हड़ताल पर बैठ गए तो पढ़ाई प्रभावित होना तय है। नियमित शिक्षकों की संख्या भी इतनी नहीं है कि सभी स्कूलों को एक साथ खोल लिया जाए। ऐसे में शिक्षा विभाग के लिए भी हड़ताल गले की फांस बन गई है।