बिलासपुर । NIOS यानी नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूल
जिसे मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय द्वारा पूरे देश में कक्षा 1 से 5 तक
अध्यापन कराने वाले अप्रशिक्षित शिक्षकों को डीएलएड कोर्स कराने का जिम्मा
सौंपा गया है अब उन सभी शिक्षकों को उन की धनराशि वापस सौंपने जा रहा है जो
NIOS के द्वारा बार बार
जारी दिग्भ्रमित करने वाले आदेशों के तहत फंसकर अपने हजारों रुपये फंसा चुके थे । glibs.in ने सबसे पहले इसके बारे में खबर प्रकाशित की थी कि कैसे देश के लगभग 40 हजार शिक्षकों ने अपने हजारों रुपए एक झटके में गंवा दिए जिसमें प्रदेश के भी हजारों शिक्षक शामिल है ।
क्या है आखिरकार 18 करोड़ का पूरा मामला
मानव संसाधन एवं विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की राज्यसभा में घोषणा के कुछ समय बाद ही NIOS ने डीएलएड कोर्स में प्रवेश के लिए आवेदन आमंत्रित किए लेकिन उसके बनाए साइट में जो अहर्ताएं दी गई थी वह त्रुटिपूर्ण थी जिसके चलते देश और प्रदेश के उन हजारों शिक्षकों ने भी डीएलएड कोर्स के लिए आवेदन कर दिया जिन्हें यह कोर्स करना ही नहीं था । हर आवेदक से साढ़े चार हजार रुपए की राशि ली गई थी जिसके चलते एनआईओएस के पास लगभग 18 करोड रुपए की धनराशि जमा हो गई थी । पूरे प्रक्रिया के दौरान एनआईओएस ने कम से कम 10 बार अहर्ताओं में परिवर्तन किया जिससे शिक्षक लगातार दिग्भ्रमित और परेशान होते रहे । अब जो सूची प्रकाशित की गई है उसके अनुसार 40 हजार ऐसे शिक्षक है जिन्हें उनके पैसे लौटाए जाएंगे यानी साढ़े चार हजार रुपए प्रत्येक शिक्षक के हिसाब से 40 हजार शिक्षकों के 18 करोड़ रूपये जो एनआईओएस ने अपने पास जमा कर रखे थे उन्हें अब जाकर लौटाया जाएगा ।
B.Ed योग्यताधारी शिक्षकों ने भी किया था आवेदन
दरअसल एनआईओएस ने शुरुआत में जो अहर्ताएं घोषित की थी उस के तहत उन शिक्षकों को भी डीएलएड में प्रवेश लेने की बात कही गई थी जो B.Ed डिग्री धारी है जिसके चलते ऐसे शिक्षको ने भी प्रवेश के लिए शुल्क जमा करते हुए आवेदन कर दिया था बाद में इसमें परिवर्तन करते हुए B.Ed डिग्रीधारियों के लिए 6 महीने के ब्रिज कोर्स का ऐलान किया गया जिसका शुल्क 5 हजार रुपये रखा गया लेकिन पूर्व में जिन B.Ed डिग्रीधारी शिक्षकों ने आवेदन कर दिया था उनके पैसे ना तो समायोजित किए गए और ना ही उस समय लौटाए गए । जिससे उन्हें उस समय कुल साढ़े 9 हजार रुपए कोर्स के लिए फंसाना पड़ा ।
कुछ ही महीने में करोड़ों का खेल खेल गया एनआईओएस
गलिब्स ने इस बात का खुलासा किया था कि किस प्रकार एनआईओएस के गलत विज्ञापन के जाल में फंसकर हजारो शिक्षकों ने अपने करोड़ों रुपये फंसा दिए हैं और इन पैसों का समायोजन भी नहीं किया जा रहा है । इसे लेकर शिक्षक काफी परेशान भी थे और उन्हें एनआईओएस स्टेट केंद्र से भी कोई सही जानकारी नहीं मिल पा रही थी , टीम गलिब्स के द्वारा पूछे जाने पर भी अधिकारियों का यही जवाब था कि इसका फैसला एनआईओएस की सेंट्रल टीम द्वारा लिया जाएगा ।
क्या कहना है अब शिक्षकों का
इसे लेकर सबसे पहले हमारे द्वारा आवाज उठाई गई थी और अब निश्चित तौर पर प्रदेश के शासकीय,अशासकीय और अनुदान प्राप्त स्कूलों में कार्य करने वाले वे तमाम शिक्षक जो अभी तक NIOS की गलतियों का खामियाजा भुगत रहे थे उन्हें इस खबर से राहत मिलेगी क्योंकि हर शिक्षक के साढ़े चार हजार रुपए इसमें फंसे हुए थे और इसके लिए वे तमाम प्रयास भी कर रहे थे ताकि उन की धनराशि उन्हें वापस मिल जाए । अब जब कर रुपए लौटाने की पहल शुरू हो गई है तो निश्चित तौर पर वे तमाम शिक्षक राहत की सांस लेंगे जिन्हें उनके रुपये वापिस मिलने वाले हैं ।
विवेक दुबे , प्रदेश मीडिया प्रभारी , छत्तीसगढ़ पंचायत एवं नगरीय निकाय शिक्षक संघ
जारी दिग्भ्रमित करने वाले आदेशों के तहत फंसकर अपने हजारों रुपये फंसा चुके थे । glibs.in ने सबसे पहले इसके बारे में खबर प्रकाशित की थी कि कैसे देश के लगभग 40 हजार शिक्षकों ने अपने हजारों रुपए एक झटके में गंवा दिए जिसमें प्रदेश के भी हजारों शिक्षक शामिल है ।
क्या है आखिरकार 18 करोड़ का पूरा मामला
मानव संसाधन एवं विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की राज्यसभा में घोषणा के कुछ समय बाद ही NIOS ने डीएलएड कोर्स में प्रवेश के लिए आवेदन आमंत्रित किए लेकिन उसके बनाए साइट में जो अहर्ताएं दी गई थी वह त्रुटिपूर्ण थी जिसके चलते देश और प्रदेश के उन हजारों शिक्षकों ने भी डीएलएड कोर्स के लिए आवेदन कर दिया जिन्हें यह कोर्स करना ही नहीं था । हर आवेदक से साढ़े चार हजार रुपए की राशि ली गई थी जिसके चलते एनआईओएस के पास लगभग 18 करोड रुपए की धनराशि जमा हो गई थी । पूरे प्रक्रिया के दौरान एनआईओएस ने कम से कम 10 बार अहर्ताओं में परिवर्तन किया जिससे शिक्षक लगातार दिग्भ्रमित और परेशान होते रहे । अब जो सूची प्रकाशित की गई है उसके अनुसार 40 हजार ऐसे शिक्षक है जिन्हें उनके पैसे लौटाए जाएंगे यानी साढ़े चार हजार रुपए प्रत्येक शिक्षक के हिसाब से 40 हजार शिक्षकों के 18 करोड़ रूपये जो एनआईओएस ने अपने पास जमा कर रखे थे उन्हें अब जाकर लौटाया जाएगा ।
B.Ed योग्यताधारी शिक्षकों ने भी किया था आवेदन
दरअसल एनआईओएस ने शुरुआत में जो अहर्ताएं घोषित की थी उस के तहत उन शिक्षकों को भी डीएलएड में प्रवेश लेने की बात कही गई थी जो B.Ed डिग्री धारी है जिसके चलते ऐसे शिक्षको ने भी प्रवेश के लिए शुल्क जमा करते हुए आवेदन कर दिया था बाद में इसमें परिवर्तन करते हुए B.Ed डिग्रीधारियों के लिए 6 महीने के ब्रिज कोर्स का ऐलान किया गया जिसका शुल्क 5 हजार रुपये रखा गया लेकिन पूर्व में जिन B.Ed डिग्रीधारी शिक्षकों ने आवेदन कर दिया था उनके पैसे ना तो समायोजित किए गए और ना ही उस समय लौटाए गए । जिससे उन्हें उस समय कुल साढ़े 9 हजार रुपए कोर्स के लिए फंसाना पड़ा ।
कुछ ही महीने में करोड़ों का खेल खेल गया एनआईओएस
गलिब्स ने इस बात का खुलासा किया था कि किस प्रकार एनआईओएस के गलत विज्ञापन के जाल में फंसकर हजारो शिक्षकों ने अपने करोड़ों रुपये फंसा दिए हैं और इन पैसों का समायोजन भी नहीं किया जा रहा है । इसे लेकर शिक्षक काफी परेशान भी थे और उन्हें एनआईओएस स्टेट केंद्र से भी कोई सही जानकारी नहीं मिल पा रही थी , टीम गलिब्स के द्वारा पूछे जाने पर भी अधिकारियों का यही जवाब था कि इसका फैसला एनआईओएस की सेंट्रल टीम द्वारा लिया जाएगा ।
क्या कहना है अब शिक्षकों का
इसे लेकर सबसे पहले हमारे द्वारा आवाज उठाई गई थी और अब निश्चित तौर पर प्रदेश के शासकीय,अशासकीय और अनुदान प्राप्त स्कूलों में कार्य करने वाले वे तमाम शिक्षक जो अभी तक NIOS की गलतियों का खामियाजा भुगत रहे थे उन्हें इस खबर से राहत मिलेगी क्योंकि हर शिक्षक के साढ़े चार हजार रुपए इसमें फंसे हुए थे और इसके लिए वे तमाम प्रयास भी कर रहे थे ताकि उन की धनराशि उन्हें वापस मिल जाए । अब जब कर रुपए लौटाने की पहल शुरू हो गई है तो निश्चित तौर पर वे तमाम शिक्षक राहत की सांस लेंगे जिन्हें उनके रुपये वापिस मिलने वाले हैं ।
विवेक दुबे , प्रदेश मीडिया प्रभारी , छत्तीसगढ़ पंचायत एवं नगरीय निकाय शिक्षक संघ