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शिक्षकों को भेज दिया ट्रेिनंग में, स्कूलों में कोर्स अधूरा

भास्कर संवाददाता |बैकुण्ठपुर

जिले की स्कूलों में अब भी 60 फीसदी पाठ्यक्रम ही पूरा हो पाया है। इधर डाइट में जिले के 134 शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए भेज दिया गया। ट्रेनिंग लगा दिए जाने से शिक्षकों में भी खासी नाराजगी है। शीतकालीन छुट्टी के दौरान स्कूलों में अतिरिक्त कक्षाएं नहीं लगाई गईं, वहीं हड़ताल के कारण कोर्स पिछड़ गया।


मार्च के प्रथम सप्ताह में बोर्ड की परीक्षाएं होनी हैं और शिक्षा विभाग ने आरएमएसए के 134 शिक्षाकर्मियों की डाइट में ट्रेनिंग लगा दी है। शिक्षकों का कहना है कि मार्च तक फंड लैप्स न हो जाए इसलिए शासन द्वारा जबरिया उन्हें ट्रेनिंग में भेजकर छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। कोर्स पूरा करने अब स्कूलों के पास केवल जनवरी और फरवरी का समय बचा है। पर प्रशिक्षण लगा दिए जाने के कारण होम एग्जाम से पहले 15 दिनों तक ही स्कूलों में पढ़ाई हो पाएगी। शिक्षकों ने बताया कि 11 जनवरी को ट्रेनिंग से लौटते ही गणतंत्र दिवस की तैयारियां शुरू हो जाएंगी, तो हमारे ट्रेनिंग का फायदा छात्रों को नहीं मिलेगा। ट्रेनिंग में उन्हीं बातों को सिखाया जा रहा है जिसके लिए शिक्षक पहले भी कई बार प्रशिक्षित हो चुके हैं। इसके कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। प्रशिक्षण शिविर लगाने से शिक्षक निराश हैं।

आदेश पर प्रशिक्षण :शासन के आदेश के तहत ही जिले के शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जा रही है। ट्रेनिंग से छात्रों की पढ़ाई पर इसका असर नहीं होगा। राकेश पांडेय, डीईओ कोरिया

स्पोर्ट्स में बीतेगा जनवरी

शासन के रवैए से हताशा

शिक्षाकर्मी संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि सत्र के अंतिम दिनों में इस आदेश से शिक्षाकर्मियों में हताशा है। जिला शालेय शिक्षाकर्मी संघ के अध्यक्ष ओमप्रकाश खैरवार ने कहा कि अधिकारियों के गुस्से से बचने बच्चों की पढ़ाई छोड़कर गणित व विज्ञान का प्रशिक्षण ले रहे हैं ।

स्कूलों में कोर्स की पढ़ाई के अलावा जनवरी महीने में ही वार्षिक, खेल गतिविधि, विज्ञान प्रदर्शनी और पिकनिक का भी आयोजन होना है। वार्षिकोत्सव के लिए पांच से सात दिन तक अलग-अलग कार्यक्रम होतेे हैं। पांच से छह दिन तक तो बच्चे डांस और ड्रामा की प्रैक्टिस में गुजर जाएंगे।

मास्टर ट्रेनर बोले- प्रशिक्षण देकर समय बर्बाद होगा

डाइट में प्रशिक्षण प्राप्त करने पहुंचे मास्टर ट्रेनर्स का कहना है कि प्रशिक्षण का कोई औचित्य नहीं है, ऐसे प्रशिक्षण शिक्षा सत्र की शुरूआत में रखा जाना चाहिए था या परीक्षा खत्म होने के बाद। इनका कहना है कि छात्रों के साथ शिक्षकों का भी समय बर्बाद करने प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसकी जानकारी के बाद भी उच्चाधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं।

7 दिवसीय प्रशिक्षण में दी जाएगी यह जानकारी

सात दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के दौरान दो दिनों में विषय संबंधित जानकारी व दो दिन आईटीसी संबंधित प्रशिक्षण और 1 दिन समावेशित शिक्षा पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इधर एक्सपर्ट शिक्षक के स्कूल नहीं पहुंचने से छात्र भी काफी परेशान हैं। गौरतलब है कि खरवत में संचालित हाई एवं हायर सेकंडरी स्कूल में 196 छात्र-छात्राएं हैं। इनमें कुछ 12 से 14 किमी. दूर से साइकिल से सुबह 8 बजे स्कूल के लिए निकलते हैं। बीते 7 दिनों से निराश होकर लौट रहे हैं। 12वीं में पढ़ने वाले कुछ बच्चे तो स्कूल ही नहीं आ रहे हैं। शिक्षकों की हड़ताल के बाद भी नियमित स्कूलों में पढ़ाई डिस्टर्ब हो रही है।

प्रशिक्षण का उद्देश्य

प्रशिक्षण में मानवीय मूल्यों के साथ कंप्यूटर आधारित शिक्षण विधियों के संबंध में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

बच्चों में वैज्ञानिक अभिवृत्ति व वैज्ञानिक सोच किस प्रकार से विकसित हो, उसमें रचनात्मक विकास किस प्रकार किया जाए।

अविष्कार किस प्रकार के होते हैं, इनमें शिक्षकों की भूमिका तथा शिक्षक दक्षता में विकसित करना।

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