बिलासपुर। स्कूल शिक्षा विभाग में जहां अतिथि शिक्षक पढ़ा रहे हैं। वहां किसी की नियमित शिक्षक की सीधी भर्ती, पदोन्न्ति व स्थानांतरण व पदस्थापना पर रोक लगा दी गई है। बुधवार की शाम स्कूल शिक्षा सचिव ने संयुक्त संचालक और जिला शिक्षा अधिकारियों को लिखित में आदेश जारी किया।
इसके
अलावा आदेश में यह भी लिखा गया है कि साल 2018 में नई सरकार के गठन के बाद
आउटसोर्सिंग समाप्त करने का निर्णय लिया गया है और विद्या मितानिनों से
प्राथमिकता से अतिथि शिक्षक के रूप में कार्य दिया जाता रहा है। काफी समय
से अतिथि शिक्षक विभाग में संविलियन की मांग करते रहे हैं। इसलिए शासन
द्वारा निर्णय लिया गया है कि वर्तमान में जहां पर अतिथि शिक्षक पदस्थ हैं।
वहां
पर किसी नियमित शिक्षकों की सीधी भर्ती न की जाए। कुछ साल पहले स्कूल
शिक्षा विभाग में दुरस्थ अंचलों के स्कूलों में जहां बच्चों को पढ़ाने वाले
शिक्षक नहीं थे वहां शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए शासन ने अतिथि
शिक्षकों की नियुक्ति की थी। तब से अतिथि शिक्षक लगातार बच्चों को पढ़ा रहे
हैं।
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ठेकेदारी प्रथा से हैं संचालित
स्कूल
शिक्षा विभाग में भी ठेकेदारी प्रथा चल रही है। अतिथि शिक्षकों की भर्ती
के लिए निजी कंपनी को ठेका में दिया गया हैं। कंपनी विभाग को शिक्षक उपलब्ध
करवाती है। इसके बाद उस शिक्षक को स्कूलों में पदस्थ किया जाता है।
ज्यादातर गौरेला, पेंड्रा, मरवाही क्षेत्र के स्कूलों में अतिथि शिक्षक
नियुक्त किया गया है। अतिथि शिक्षकों को 12 से 18 हजार स्र्पये तक वेतन
दिया जाता है। बिलासपुर जिले में अतिथि शिक्षक किसी भी स्कूल में भर्ती
नहीं किया गया है। यहां रेगुलर व सरकारी शिक्षक ही स्कूलों में पढ़ा रहे
हैं। जीपीएम जिले के दर्जनों स्कूलों में अतिथि शिक्षक सेवा दे रहे हैं।
शासन की ओर से उन्हें मेहनताना भी दिया जाता है।
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