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Independence Day 2022: छत्तीसगढ़ के इस शिक्षक को सलाम, पार की नदिया, चढ़ा पहाड़,फिर फहरा दिया तिरंगा

 बलरामपुर,15 अगस्त। पूरा भारत आजादी के 75 साल पूरे होने पर जश्न मना रहा है। इस उत्सव के दौरान हर भारतीय को भावुक कर देने वाली कई ख़बरें आ रही हैं। इन्ही खबरों में छत्तीसगढ़ के बलरामपुर से आई एक खबर हम आपको बता रहे हैं। प्रदेश के सरगुजा संभाग के बलरामपुर जिले एक टीचर ने वह काम किया,जिससे उसकी बेहद तारीफ हो रही है। यहां एक टीचर ने बारिश के मौसम में विपरीत हालातों के बावजूद नदी पार करके,पहाड़ चढ़कर पहुंच विहीन स्कूल में पहुंचकर तिरंगा फहराया।

शहर से 10 किलोमीटर दूर है पहाड़ो में है स्कूल

बलरामपुर जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बुद्धुडीह गांव के आश्रित ग्राम बचवार पारा में लगभग 35 घरों की आबादी है। इस इलाके में पहुंचने के लिए नदी,नाले पार करके पहाड़ चढ़ना होता है। हाल ही में यहां स्कूल बनाने का काम शुरू हुआ है।

शिक्षा विभाग की तरफ से पोस्टेड सहायक शिक्षक सुशील यादव 10 किलोमीटर तक पैदल चलते हुए एक हाथ मे मिठाई का बैग और एक हाथ मे छाता पकड़कर कठिन और दुर्गम भरे रास्ते पर करके करके स्कूल पहुंचे, जहां पर उन्होंने गांव के बच्चो के साथ आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा झंडा फहराया है।

हो रही है तारीफ

बलरामपुर जिले के सरकारी टीचर की 10 किलोमीटर की दुर्गम और कठिन पहाड़ी मार्ग तय करने की खबर जब जिला शिक्षा अधिकारी केएल महिलांगे के करीब पहुंची तो उन्होंने शिक्षक की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि बारिश के इस समय में कठिन रास्तों को पार करके कर शिक्षक का इस दुर्गम रास्ते में पहुंचकर ध्वजा रोहण करना और गांववालों को मिठाई बांटना सराहनीय है।

40 बच्चो को मिलेगा नया स्कूल

40 बच्चो को मिलेगा नया स्कूल

आदिवासी बाहुल्य सरगुजा संभाग के बलरामपुर जिले में कई ऐसे गांव हैं,जहां पहुंचना आसान नहीं है।ऐसे ही गांव बछवारपारा गांव के एक कच्चे मकान में स्कूल चलता है। इसी स्कूल में करीब 40 बच्चे अपनी पढाई करते हैं,लेकिन जल्द ही वह अपने नए स्कूल में शिफ्ट हो जायेंगे,क्योंकि सरकार की पहल और ग्रामीणों की मेहनत से बछवापारा में पहला स्कूल बनने जा रहा है।

दशकों से यूं ही तय कर रहे हैं सफर

दशकों से यूं ही तय कर रहे हैं सफर

बछवापारा शहरी क्षेत्र से बहुत दूर हैं। पहाड़ चढ़कर ही इस दुर्गम क्षेत्र में पहुंचा जा सकता है। गांव तक पहुंच आसान नहीं होने से आज़ादी के बाद भी यह इलाका विकास तो दूर एक स्कूल तक के लिए तरसता रहा है। एक पूरी पीढ़ी पढाई के लिए कई किलोमीटर तक का रास्ता तय करती रही है,लेकिन हालात बदलने लगे हैं। दशकों तक अनसुनी की गई ग्रामीणों की फ़रियाद प्रशासन ने सुन ली है। बछवापारा के ग्रामीण अपने बच्चो की फ़िक्र में लम्बे समय से पक्के स्कूल भवन की मांग कर रहे थे,जिसे कलेक्टर विजय दयाराम ने सुन लिया है।

9 किलोमीटर का कठिन सफर ,कंधो पर निर्माण सामग्री

9 किलोमीटर का कठिन सफर ,कंधो पर निर्माण सामग्री

बछवापारा में स्कूल बनाना आसान काम नहीं है,क्योंकि पहाड़ो में बसे इस गांव तक भवन निर्माण सामग्री लाने के लिए मजदूरों को काफी मेहनत करनी पद रही है। कई किलोमीटर की चढ़ाई और पैदल यात्रा करके मजदूर अपने कांधों पर स्कूल भवन निर्माण सामग्री लेकर पहुंच रहे हैं। यह काम जोखिम भरा भी है क्योंकि करीब 9 किलोमीटर तक पहाड़ में भारी सामान लेकर चढ़ाई करना आसान काम नहीं है।

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