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..तो शिक्षक 22 अगस्त की हड़ताल में नहीं होंगे शामिल, एक संगठन ने कहा- DA/HRA नहीं, वेतन विसंगति हमारी मूल मांग

 जगदलपुर।डीए और एचआरए के लिए आगामी 22 अगस्त से होने वाले कर्मचारी-अधिकार फेडरेशन के अनिश्चितकालीन आंदोलन में राज्य के 1,09,000 सहायक शिक्षक बिल्कुल भी भाग नहीं लेंगे।अब इसे घोषणा समझे या अपील या फिर भभकी

सिलसिलेवार आरोपो की झड़ी लगाई गई है।खुद को सहायक शिक्षकों के फायरब्रांड नेता, छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन का संस्थापक और अब शिक्षक एलबी संवर्ग छत्तीसगढ़ का प्रदेशाध्यक्ष कहने वाले शिक्षक जाकेश साहू ने कहना है कि राज्य के 1,09,000 सहायक शिक्षकों की मांगे कभी भी डीए और एचआरए नहीं रहा है बल्कि उनकी मूल मांगे हमेशा से सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर करते हुए 5200 + 2400 की जगह 9300 + 4200 करना तथा प्रथम नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता प्रदान करते हुए क्रमोन्नति वेतनमान देना, पदोन्नति देना तथा पुरानी पेंशन योजना को प्रथम नियुक्ति तिथि से लागू करना रहा है।

जाकेश की माने तो आज की तारीख में सबसे ज्यादा वेतन का नुकसान किसी को हो रहा है तो वो है सहायक शिक्षक, हम विगत 2013 से इनकी लड़ाई लड़ रहे है परंतु हमें हर बार कोई न कोई भ्रम जाल में उलझाया जाता है। और वेतन विसंगति एवं प्रथम नियुक्ती तिथि से सेवागणना के मुद्दे को दबा दिया जाता है।

जाकेश साहू कहते है कि भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली राज्य सरकार कर्मचारियों के आंदोलन एवं मांगो के सामने झुकना ही नहीं चाहती है।

शिक्षक नेता ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए यह तक कह दिया कि ये सरकार पांच लाख कर्मचारियों के प्रतिनिधियों से हठधर्मिता से बात करती है क्योंकि सरकार को पता है कि कर्मचारियों में फूट है।शिक्षक जाकेश ने अब तक राज्य के कर्मचारियों को लंबित सम्पूर्ण 12 प्रतिशत डीए और एचआरए नहीं मिलने के लिए आज कमल वर्मा, विजय झा और इन लोगो की कार्य शैली को जिम्मेदार बताते हुए सवाल खड़ा किया है कि जब अप्रैल 2022 में 11, 12 एवं 13 अप्रैल 2022 को राज्य के लगभग 55 से अधिक कर्मचारी संगठनो की ओर से “महंगाई भत्ता संघर्ष मोर्चा” बनाकर लंबित डीए और एचआरए के लिए लड़ाई लड़ी जा रही थी तब ये लोग सड़क पर उतरकर उक्त आंदोलन का किस मुंह से विरोध कर रहे थे।

डीए और एचआरए की मांग को लेकर बीते 25 से 29 जुलाई तक प्रदेश में जब आंदोलन का जबर्दस्त माहौल बन चुका था ऐसे में विरेन्द्र दुबे, संजय शर्मा और विकास राजपूत ने अनिश्चितकालीन आंदोलन का बिगुल भी फूंक दिया था।तो इसे समर्थन क्यो नही किया।

यदि अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन की ओर वे 29 जुलाई को ही आंदोलन स्थगित न कर अनिश्चितकालींन हड़ताल का ऐलान कर दिया जाता तो अब तक लंबित सम्पूर्ण 12 प्रतिशत डीए मिल जाता। लेकिन फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा ने सिर्फ और सिर्फ 25 जुलाई से जारी संजय, विरेन्द्र और विकास के आंदोलन को तोड़ने के लिए ही आंदोलन को आगे नहीं बढ़ाया।

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