कोरबा (निप्र)। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल (सीबीएसई) एक बार फिर
शिक्षा प्रणाली में संशोधन करने की तैयारी कर रहा है। नए सिस्टम में जहां
पिछले 5-6 वर्षों से लागू जनरल प्रमोशन की सुविधा को खत्म किया जा रहा है,
वहीं कंटीन्यूस एंड कॉम्प्रहेंसिव एवेल्यूशन (सीसीई) पद्धति को भी हटाए
जाने पर भी विचार किया जा
रहा। वर्तमान प्रणाली की वजह से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की बजाय बच्चों की क्षमता में कमी व अन्य निगेटिव परिणाम को लेकर यह बदलाव किया जा रहा है।
सीबीएसई की वर्तमान शिक्षा प्रणाली में कक्षा पहली से आठवीं तक जनरल प्रमोशन की सुविधा मौजूद है। इसके अलावा सतत एवं समग्र मूल्यांकन (सीसीई) पद्धति के जरिए नवमीं व दसवीं में भी छात्र-छात्राओं को फेल करने की बजाय मौका देकर सुधार के लिए प्रेरित करने की प्रथा है। कुल मिलाकर किसी भी स्थिति में किसी भी कक्षा के बच्चे को फेल नहीं करना है। जानकारों की मानें तो इसे भी एक प्रकार का जनरल प्रमोशन ही कहा जाता है। केंद्रीय बोर्ड की यह प्रणाली 6 साल पहले लागू की गई थी, जिसके अब नकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। इनमें शिक्षा की गुणवत्ता पर असर, बच्चों की स्कूल जाने या पढ़ाई के प्रति रूचि में कमी, शिक्षा या शिक्षक के प्रति उनके पॉजिटिव बिहेवियर में अनुचित बदलाव, रचनात्मक क्षमता, नवाचार की संख्या में घटाव समेत अन्य महत्वपूर्ण फैक्टर बच्चों की बेहतरी में बाधर बनते जा रहे हैं। इन सभी सैद्धांतिक पहलुओं के अलावा बच्चों के एटीट्यूड या व्यावहारिक कुशलता में भी असंतुलन देखा जा रहा है। यही निगेटिव परिणाम सीबीएसई द्वारा किए जा रहे संशोधन के विचार की वजह बन रहे हैं।
बाक्स
अभी ऐसा है अंकों का वर्गीकरण
वर्तमान परीक्षा प्रणाली में बच्चों के लिए अंको का वर्गीकरण दो भागों में तय होता है। पहला एफए (फॉर्मेटिव एसिसमेंट) व दूसरा एसए (सेमेटिव एसिसमेंट)। फॉर्मेटिव एसिसमेंट में एफए-1, एफए-2, एफए-3 तथा एफए-4 के स्कूल के मिलने वाले प्रोजेक्ट, क्विज या प्रश्नोत्तरी, डिबेट, बिहेवियर, सांस्कृतिक व अन्य गतिविधियों के जरिए बच्चों का आंकलन कर अंक दिए जाते हैं। फॉर्मेटिव एसिसमेंट के प्रत्येक एफए के लिए दस-दस अंक समेत कुल 40 पᆬीसदी होते हैं। इसी तरह सेमेटिव एसिसमेंट के एसए-1 तथा एसए-2 में 30-30 अंकों के साथ कुल 60 पᆬीसदी अंक निर्धारित होते हैं। सेमेटिव एसिसमेंट में बच्चों का आंकलन सैद्धांतिक विषयों से संबंधित लिखित परीक्षा व वाइवा (मौखिक) के जरिए करते हुए कुल 60 फीसदी अंक बांटे जाते हैं और इस तरह एफए व एसए को मिलाकर 100 फीसदी अंकों का निर्धारण किया जाता है।
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सुधारकर लागू होगा पुराना कांसेप्ट
सतत एवं समग्र मूल्यांकन (सीसीई) प्रणाली का उद्देश्य बच्चों को सतत सीखने व विषय को रटने की बजाय समझने की प्रेरणा देता है। ऐसा माना गया कि अंकसूची में फेल का चिन्ह अंकित होने से उनके मन में किसी विषय के प्रति डर की भावना और कक्षा के सहपाठियों खुद को हीन मानने की मानसिकता को खत्म किया जाना चाहिए। इस मंशा के उलट ज्यादातर बच्चों में इसके विपरीत सोच विकसित होने के उदाहरण सामने आए। स्कूल, शिक्षा, शिक्षक यहां तक कि अभिभावकों के प्रति बच्चों के व्यावहारिक पहलू में भी आश्चर्यजनक बदलाव देखे जा रहे हैं। इस प्रणाली में बच्चों के पर बिना परिश्रम के पास होने के तरीके का दुष्परिणाम देखने मिल रहा है। लिहाजा पुरानी पद्धति व पुरानी परीक्षा प्रणाली के कांसेप्ट में सुधार करते हुए उसे पुनः लागू किए जाने पर विचार किया जा रहा है।
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प्रमुख फैक्टर्स
0 शिक्षा की गुणवत्ता में दर्ज की जा रही गिरावट ।
0 बच्चों की स्कूल जाने व पढ़ाई के प्रति रूचि में कमी ।
0 शिक्षा, शिक्षक, सहपाठी यहां तक कि अभिभावकों के प्रति व्यावहारिक पहलू में कमी ।
0 खेल, सांस्कृतिक, रचनात्मकता, नवाचार व अन्य गतिविधियों में प्रतिभागिता कम ।
0 सहपाठियों से प्रतिस्पर्धा में कमी का कारण बन रहा जनरल प्रमोशन ।
वर्सन
बच्चों का स्कूल, शिक्षक, पढ़ाई व अभिभावकों के प्रति अलगाव या रूचि का कम होना, सहपाठियों से प्रतिस्पर्धा की भावना में कमी, बिहेवियर व अनुशासन में अनुचित बदलाव तथा ओवर ऑल शिक्षा की गुणवत्ता में आ रही कमी पर चिंता जताते हुए बोर्ड ने फॉर्मेटिव एसिसमेंट) व सेमेटिव एसिसमेंट प्रणाली को हटाने पर विचार कर रही थी। इस संबंध में सर्कुलर प्राप्त नहीं हुआ है। पुरानी शिक्षा पद्धति व परीक्षा प्रणाली के कांसेप्ट में संशोधन कर पुनः लागू करने का विचार स्वागतेय है, इससे बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे।
- संजय गुप्ता, सचिव सहोदय संकुल, सीबीएसई
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रहा। वर्तमान प्रणाली की वजह से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की बजाय बच्चों की क्षमता में कमी व अन्य निगेटिव परिणाम को लेकर यह बदलाव किया जा रहा है।
सीबीएसई की वर्तमान शिक्षा प्रणाली में कक्षा पहली से आठवीं तक जनरल प्रमोशन की सुविधा मौजूद है। इसके अलावा सतत एवं समग्र मूल्यांकन (सीसीई) पद्धति के जरिए नवमीं व दसवीं में भी छात्र-छात्राओं को फेल करने की बजाय मौका देकर सुधार के लिए प्रेरित करने की प्रथा है। कुल मिलाकर किसी भी स्थिति में किसी भी कक्षा के बच्चे को फेल नहीं करना है। जानकारों की मानें तो इसे भी एक प्रकार का जनरल प्रमोशन ही कहा जाता है। केंद्रीय बोर्ड की यह प्रणाली 6 साल पहले लागू की गई थी, जिसके अब नकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। इनमें शिक्षा की गुणवत्ता पर असर, बच्चों की स्कूल जाने या पढ़ाई के प्रति रूचि में कमी, शिक्षा या शिक्षक के प्रति उनके पॉजिटिव बिहेवियर में अनुचित बदलाव, रचनात्मक क्षमता, नवाचार की संख्या में घटाव समेत अन्य महत्वपूर्ण फैक्टर बच्चों की बेहतरी में बाधर बनते जा रहे हैं। इन सभी सैद्धांतिक पहलुओं के अलावा बच्चों के एटीट्यूड या व्यावहारिक कुशलता में भी असंतुलन देखा जा रहा है। यही निगेटिव परिणाम सीबीएसई द्वारा किए जा रहे संशोधन के विचार की वजह बन रहे हैं।
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अभी ऐसा है अंकों का वर्गीकरण
वर्तमान परीक्षा प्रणाली में बच्चों के लिए अंको का वर्गीकरण दो भागों में तय होता है। पहला एफए (फॉर्मेटिव एसिसमेंट) व दूसरा एसए (सेमेटिव एसिसमेंट)। फॉर्मेटिव एसिसमेंट में एफए-1, एफए-2, एफए-3 तथा एफए-4 के स्कूल के मिलने वाले प्रोजेक्ट, क्विज या प्रश्नोत्तरी, डिबेट, बिहेवियर, सांस्कृतिक व अन्य गतिविधियों के जरिए बच्चों का आंकलन कर अंक दिए जाते हैं। फॉर्मेटिव एसिसमेंट के प्रत्येक एफए के लिए दस-दस अंक समेत कुल 40 पᆬीसदी होते हैं। इसी तरह सेमेटिव एसिसमेंट के एसए-1 तथा एसए-2 में 30-30 अंकों के साथ कुल 60 पᆬीसदी अंक निर्धारित होते हैं। सेमेटिव एसिसमेंट में बच्चों का आंकलन सैद्धांतिक विषयों से संबंधित लिखित परीक्षा व वाइवा (मौखिक) के जरिए करते हुए कुल 60 फीसदी अंक बांटे जाते हैं और इस तरह एफए व एसए को मिलाकर 100 फीसदी अंकों का निर्धारण किया जाता है।
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सुधारकर लागू होगा पुराना कांसेप्ट
सतत एवं समग्र मूल्यांकन (सीसीई) प्रणाली का उद्देश्य बच्चों को सतत सीखने व विषय को रटने की बजाय समझने की प्रेरणा देता है। ऐसा माना गया कि अंकसूची में फेल का चिन्ह अंकित होने से उनके मन में किसी विषय के प्रति डर की भावना और कक्षा के सहपाठियों खुद को हीन मानने की मानसिकता को खत्म किया जाना चाहिए। इस मंशा के उलट ज्यादातर बच्चों में इसके विपरीत सोच विकसित होने के उदाहरण सामने आए। स्कूल, शिक्षा, शिक्षक यहां तक कि अभिभावकों के प्रति बच्चों के व्यावहारिक पहलू में भी आश्चर्यजनक बदलाव देखे जा रहे हैं। इस प्रणाली में बच्चों के पर बिना परिश्रम के पास होने के तरीके का दुष्परिणाम देखने मिल रहा है। लिहाजा पुरानी पद्धति व पुरानी परीक्षा प्रणाली के कांसेप्ट में सुधार करते हुए उसे पुनः लागू किए जाने पर विचार किया जा रहा है।
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0 शिक्षा की गुणवत्ता में दर्ज की जा रही गिरावट ।
0 बच्चों की स्कूल जाने व पढ़ाई के प्रति रूचि में कमी ।
0 शिक्षा, शिक्षक, सहपाठी यहां तक कि अभिभावकों के प्रति व्यावहारिक पहलू में कमी ।
0 खेल, सांस्कृतिक, रचनात्मकता, नवाचार व अन्य गतिविधियों में प्रतिभागिता कम ।
0 सहपाठियों से प्रतिस्पर्धा में कमी का कारण बन रहा जनरल प्रमोशन ।
वर्सन
बच्चों का स्कूल, शिक्षक, पढ़ाई व अभिभावकों के प्रति अलगाव या रूचि का कम होना, सहपाठियों से प्रतिस्पर्धा की भावना में कमी, बिहेवियर व अनुशासन में अनुचित बदलाव तथा ओवर ऑल शिक्षा की गुणवत्ता में आ रही कमी पर चिंता जताते हुए बोर्ड ने फॉर्मेटिव एसिसमेंट) व सेमेटिव एसिसमेंट प्रणाली को हटाने पर विचार कर रही थी। इस संबंध में सर्कुलर प्राप्त नहीं हुआ है। पुरानी शिक्षा पद्धति व परीक्षा प्रणाली के कांसेप्ट में संशोधन कर पुनः लागू करने का विचार स्वागतेय है, इससे बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे।
- संजय गुप्ता, सचिव सहोदय संकुल, सीबीएसई
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