बिलासपुर(निप्र)। रायगढ़ डीईओ एनके द्विवेदी पर गंभीर आरोप होने के बाद
भी ऊपर वाले की कृपा बरसती रही है। मुंगेली जिले में फर्जी अनुकंपा नियुक्त
करने के मामले में जमानत पर छूटे तो सीधे रायगढ़ जिला शिक्षा अधिकारी जैसे
महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी मिल गई। ऊपर बैठे अपने आकाओं के दम पर जहां
चाही पोस्टिंग कराई और शहर व आसपास जमीन जायदाद खरीदने में जमकर पैसा
लगाया।
एसीबी ने शिक्षा विभाग के चर्चित नाम श्री द्विवेदी के यहां दबिश देकर लाखों की संपत्ति के दस्तावेज बरामद किए हैं। वे गवर्नमेंट स्कूल में प्राचार्य पद से वे सर्व शिक्षा अभियान के जिला परियोजना अधिकारी बनाए गए। यहां पदस्थापना के दौरान सामान खरीदी सहित कई आरोप उन पर लगे। इसके बाद भी उनके खिलाफ कभी ठोस जांच नहीं हुई। इस एक मौके को उन्होंने ऐसा उपयोग किया कि फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखे। प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी बेमेतरा के बाद वे पहले मुंगेली और अब रायगढ़ में जिला शिक्षा अधिकारी पद पर बैठे। मुंगेली में पदस्थापना के दौरान श्री द्विवेदी सबसे ज्यादा विवादों में रहे। यहां उन्होंने पांच लोगों को फर्जी अनुकंपा नियुक्ति देते हुए सरकारी नौकरी बांट दी थी। जबकि इससे पूर्व अविभाजित जिले के समय बिलासपुर में उन सारे आवेदकों के आवेदन खारिज हो चुके थे। फर्जी तरीके से नौकरी बांटने के मामले में भ्रष्टाचार व शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने के आरोप में उनके खिलाफ अपराध भी दर्ज हुआ। करीब माह भर तक फरार रहने के बाद जेल जाने से बचे तो फिर सीधे मुंगेली में जिला शिक्षा अधिकारी बनकर बैठ गए। शासन से वित्तीय अधिकार नहीं मिलने के बाद भी अपने ऊपर बैठे आकाओं के दम पर कई बार शासकीय राशि निकालने के लिए उन्होंने ट्रेजरी में बिल लगाकर भेजा। जब कामयाबी नहीं मिली तो फिर मुंगेली से हटकर सीधे रायगढ़ जिला शिक्षा अधिकारी जैसे महत्वपूर्ण पद पर जा बैठे। एक भ्रष्टाचार के आरोपी को एक के बाद एक जिस तरह से महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलती रही,इसी से एसीबी को उनके ऊपर पहला शक हुआ।
शिक्षाकर्मी पत्नी का रुतबा
भाजपा नेत्री से शिक्षाकर्मी बनी एनके द्विवेदी की पत्नी उषा द्विवेदी भी खासी चर्चा में रही हैच। उनके खिलाफ स्कूल नहीं जाने और शिक्षकों से दुर्व्यवहार करने की ढेरों शिकायत हुई, इसके बाद भी न किसी तरह की जांच हुई और न कोई कार्रवाई ही हुई। मोपका में पदस्थापना के दौरान वे सबसे ज्यादा विवादित रहीं। विवादों के बाद भी उनकी पोस्टिंग आसपास के स्कूलों में होती रही।
चौकड़ी का रहा राज
सर्व शिक्षा विभाग में श्री द्विवेदी की पदस्थापना के दौरान उन्होंने अपनी चौकड़ी बना रखी थी। सारी महत्वपूर्ण और खरीदी से जुड़ी फाइल इन्हीं चारों से होकर ही गुजरती थी। श्री द्विवेदी के हटने के बाद भी उनका पूरे कामकाज पर अच्छा खासा दखल रहा।
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एसीबी ने शिक्षा विभाग के चर्चित नाम श्री द्विवेदी के यहां दबिश देकर लाखों की संपत्ति के दस्तावेज बरामद किए हैं। वे गवर्नमेंट स्कूल में प्राचार्य पद से वे सर्व शिक्षा अभियान के जिला परियोजना अधिकारी बनाए गए। यहां पदस्थापना के दौरान सामान खरीदी सहित कई आरोप उन पर लगे। इसके बाद भी उनके खिलाफ कभी ठोस जांच नहीं हुई। इस एक मौके को उन्होंने ऐसा उपयोग किया कि फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखे। प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी बेमेतरा के बाद वे पहले मुंगेली और अब रायगढ़ में जिला शिक्षा अधिकारी पद पर बैठे। मुंगेली में पदस्थापना के दौरान श्री द्विवेदी सबसे ज्यादा विवादों में रहे। यहां उन्होंने पांच लोगों को फर्जी अनुकंपा नियुक्ति देते हुए सरकारी नौकरी बांट दी थी। जबकि इससे पूर्व अविभाजित जिले के समय बिलासपुर में उन सारे आवेदकों के आवेदन खारिज हो चुके थे। फर्जी तरीके से नौकरी बांटने के मामले में भ्रष्टाचार व शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने के आरोप में उनके खिलाफ अपराध भी दर्ज हुआ। करीब माह भर तक फरार रहने के बाद जेल जाने से बचे तो फिर सीधे मुंगेली में जिला शिक्षा अधिकारी बनकर बैठ गए। शासन से वित्तीय अधिकार नहीं मिलने के बाद भी अपने ऊपर बैठे आकाओं के दम पर कई बार शासकीय राशि निकालने के लिए उन्होंने ट्रेजरी में बिल लगाकर भेजा। जब कामयाबी नहीं मिली तो फिर मुंगेली से हटकर सीधे रायगढ़ जिला शिक्षा अधिकारी जैसे महत्वपूर्ण पद पर जा बैठे। एक भ्रष्टाचार के आरोपी को एक के बाद एक जिस तरह से महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलती रही,इसी से एसीबी को उनके ऊपर पहला शक हुआ।
शिक्षाकर्मी पत्नी का रुतबा
भाजपा नेत्री से शिक्षाकर्मी बनी एनके द्विवेदी की पत्नी उषा द्विवेदी भी खासी चर्चा में रही हैच। उनके खिलाफ स्कूल नहीं जाने और शिक्षकों से दुर्व्यवहार करने की ढेरों शिकायत हुई, इसके बाद भी न किसी तरह की जांच हुई और न कोई कार्रवाई ही हुई। मोपका में पदस्थापना के दौरान वे सबसे ज्यादा विवादित रहीं। विवादों के बाद भी उनकी पोस्टिंग आसपास के स्कूलों में होती रही।
चौकड़ी का रहा राज
सर्व शिक्षा विभाग में श्री द्विवेदी की पदस्थापना के दौरान उन्होंने अपनी चौकड़ी बना रखी थी। सारी महत्वपूर्ण और खरीदी से जुड़ी फाइल इन्हीं चारों से होकर ही गुजरती थी। श्री द्विवेदी के हटने के बाद भी उनका पूरे कामकाज पर अच्छा खासा दखल रहा।
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