जगदलपुर. जिले
में संचालित सात मॉडल स्कूलों की देखरेख का जिम्मा अब मैनेजर संभालेंगे।
बचेली डीएवी स्कूल को इसका मुख्यालय बनाया गया है। इन मॉडल स्कूलों का नाम
डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल कर दिया गया है। इसके लिए शिक्षकों की
भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है।
इसे देखते यह कहा जा सकता है कि नए शिक्षण सत्र के लिए अभी एमपीएस की तैयारी अधूरी ही है। सरकार ने आनन-फानन में इन मॉडल स्कूलों को निजी हाथों में देने का फैसला तो ले लिया। पर इसके लिए निजी स्कूल पूरी तरह से तैयार नजर नहीं आ रहे हैं। इसकी बानगी यह है कि स्कूलों के नाम तक में परिवर्तन नहीं किया गया है।
स्कूलों में अभी भी मॉडल स्कूल का नाम लिखा हुआ है। जबकि माह भर पहले ही इन्हें डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल घोषित किया जा चुका है। इसके अलावा इन विद्यालयों में शिक्षकों की तो दूर प्राचार्यो की भर्ती नहीं हो पाई है।
निजी स्कूल में सरकारी प्राचार्य
डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूलों में प्राचार्यों की भर्ती नहीं हो पाई है। स्कूल प्रबंधन फिलहाल पूर्व के मॉडल स्कूल के प्राचार्यों को ही इसका जिम्मा देकर पल्ला झाड़ रहा है। प्रभारी प्राचार्यों का यह कहना है कि वे सरकारी प्राध्यापक हैं।
जब तक मॉडल स्कूल सरकार के अंडर में थे तब तक तो काम ठीक लगा। अव निजी हाथों में चले जाने पर वे असमंजस की स्थिति में हैं। एक तो पहले ही कई स्कूल शिक्षक विहीन हैं। उपर से डीएवी एमपीएस में इनकी सेवाएं लेना सीधे सरकारी विद्यालयों के लिए नुकसानदायक साबित होगा। इसके अलावा इन स्कूलों में अब तक शिक्षक व कार्यालयीन स्टाफ की नियुक्ति नहीं हो पाना भी प्रबंधन के लिए कठिन साबित हो रहा है।
शीघ्र होगी नियुक्ति
भर्ती की प्रक्रिया जल्द पूरी हो जाएगी। स्कूलों का संचालन निजी तौर पर होने के चलते डीएवी प्रबंधन नियुक्ति इत्यादि की तैयारी में है। पीएल वर्मा, मैनेजर
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इसे देखते यह कहा जा सकता है कि नए शिक्षण सत्र के लिए अभी एमपीएस की तैयारी अधूरी ही है। सरकार ने आनन-फानन में इन मॉडल स्कूलों को निजी हाथों में देने का फैसला तो ले लिया। पर इसके लिए निजी स्कूल पूरी तरह से तैयार नजर नहीं आ रहे हैं। इसकी बानगी यह है कि स्कूलों के नाम तक में परिवर्तन नहीं किया गया है।
स्कूलों में अभी भी मॉडल स्कूल का नाम लिखा हुआ है। जबकि माह भर पहले ही इन्हें डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल घोषित किया जा चुका है। इसके अलावा इन विद्यालयों में शिक्षकों की तो दूर प्राचार्यो की भर्ती नहीं हो पाई है।
निजी स्कूल में सरकारी प्राचार्य
डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूलों में प्राचार्यों की भर्ती नहीं हो पाई है। स्कूल प्रबंधन फिलहाल पूर्व के मॉडल स्कूल के प्राचार्यों को ही इसका जिम्मा देकर पल्ला झाड़ रहा है। प्रभारी प्राचार्यों का यह कहना है कि वे सरकारी प्राध्यापक हैं।
जब तक मॉडल स्कूल सरकार के अंडर में थे तब तक तो काम ठीक लगा। अव निजी हाथों में चले जाने पर वे असमंजस की स्थिति में हैं। एक तो पहले ही कई स्कूल शिक्षक विहीन हैं। उपर से डीएवी एमपीएस में इनकी सेवाएं लेना सीधे सरकारी विद्यालयों के लिए नुकसानदायक साबित होगा। इसके अलावा इन स्कूलों में अब तक शिक्षक व कार्यालयीन स्टाफ की नियुक्ति नहीं हो पाना भी प्रबंधन के लिए कठिन साबित हो रहा है।
शीघ्र होगी नियुक्ति
भर्ती की प्रक्रिया जल्द पूरी हो जाएगी। स्कूलों का संचालन निजी तौर पर होने के चलते डीएवी प्रबंधन नियुक्ति इत्यादि की तैयारी में है। पीएल वर्मा, मैनेजर
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