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दसवीं में सरकारी स्कूल फेल, चार्जशीट की तैयारी

बिलासपुर(निप्र)। दसवीं में खराब नतीजे देने वाले सरकारी स्कूलों पर कार्रवाई की तैयारी है। बोर्ड के पैमाने में शहर के सभी सरकारी स्कूल फेल हो गए हैं। शिक्षा विभाग ने इसे गंभीरता से लिया है। अब 20 से 40 प्रतिशत तक रिजल्ट देने वाले स्कूलों के प्राचार्यों को चार्जशीट दी जाएगी। वहीं, अच्छा काम करने वालों को सम्मानित भी किया जाएगा।

जिले में इस वर्ष दसवीं कक्षा का परिणाम 55.87 प्रतिशत रहा। स्कूल शिक्षा विभाग ने इसे गंभीरता से लेते हुए आंकड़े तैयार किए हैं। इसमें 55 प्रतिशत से अधिक रिजल्ट देने वालों की सूची तैयार की गई है। शहर के लगभग सभी स्कूल इसमें फेल हो गए हैं। कई स्कूलों का रिजल्ट इस वर्ष 20 प्रतिशत से भी कम रहा। इसे लेकर अब प्राचार्यों को चार्जशीट थमाने की तैयारी है। स्कूल शिक्षा विभाग से मिले दिशा निर्देशों के मुताबिक डीईओ 27 मई को प्राचार्यों और विकासखंड अधिकारियों की एक बैठक लेंगे। इसमें खराब रिजल्ट देने वाले स्कूलों के प्राचार्यों पर कार्रवाई संभव है। इसके अलावा जिन स्कूलों के परिणाम थोड़े बहुत ठीक हैं, उन्हें सम्मानित किया जाएगा।
ऐसा रहा परिणाम
स्कूल का नाम परीक्षार्थी पास प्रतिशत
डॉ. बीआर अंबेडकर गर्ल्स स्कूल 85 15 17.65
लाला लाजपतराय स्कूल 31 06 19.35
गवर्नमेंट मल्टीपरपज स्कूल 507 125 24.64
देवकीनंदन गर्ल्स स्कूल 233 65 27.09
लाल बहादूर शास्त्री स्कूल 110 36 32.73
गवर्नमेंट तारबाहर स्कूल 49 17 34.69
एमएलबी हायर सेकेंडरी स्कूल 432 181 41.09
हायर सेकेंडरी स्कूल सिरगिट्टी 310 148 47.74
हायर सेकेंडरी स्कूल शंकर नगर 108 54 50.00
गवर्नमेंट ब्वायज स्कूल सरकंडा 123 62 50.41
लाखों खर्च करने का भी फायदा नहीं
स्कूल शिक्षा विभाग और जिला शिक्षा अधिकारी का दसवीं कक्षा में बेहतर रिजल्ट देने का दावा खोखला साबित हुआ। शिक्षकों की ट्रेनिंग से लेकर बच्चों को कोचिंग देने के नाम पर लाखों रुपए फूंक दिए गए। इसके बाद भी न तो समय पर कोर्स पूरा हुआ, न विज्ञान संकाय के टीचर मिले। जिले से किसी छात्र ने टॉप भी नहीं किया।
इन योजनाओं की निकली हवा
00 स्कूलों को प्रायोगिक कार्य पूरा कराने लाखों रुपए के उपकरण दिए गए।
00 शिक्षकों को अलग-अलग तरीके से प्रशिक्षण दिए गए।
00 मेरिट सूची में जगह दिलाने 25 मेधावी बच्चों को आवासीय प्रशिक्षण दिया।
00 मल्टीपरपज समेत कई स्कूलों में विशेष कोचिंग आयोजित की गई।
00 कोर्स पूरा कराने दूसरे स्कूल के शिक्षकों को बुलाया गया।
00 स्मार्ट क्लास, प्रोजेक्टर व वरडियो क्लीपिंग से पढ़ाई।
इन कमियों ने बिगाड़ा नतीजा
00 स्कूलों में नियमित टेस्ट और प्रोत्साहन की कमी।
00 शिक्षकों और अभिभावकों में जिम्मेदारी का अभाव।
00 अधिकांश मेधावी बच्चों को सुविधा संसाधन नहीं मिलना।
00 छात्रों के घर व आसपास का माहौल, आर्थिक परिस्थिति भी असर।
00 प्रदेश में गणित और अंग्रेजी विषय के शिक्षकों की कमी।
00 स्कूलों की मॉनिटरिंग का अभाव।
बोर्ड ने बच्चों के साथ स्कूलों के परिणाम भी दे दिए हैं। शहर के स्कूलों में भी इस बार दसवीं के परिणाम निराशाजनक आए हैं। 127 स्कूलों की सूची तैयार की गई है। इनमें कुछ में 20 प्रतिशत से भी कम परिणाम है। खराब रिजल्ट के लिए प्राचार्यों को चार्जशीट देकर कारण पूछेंगे।
हेमंत उपाध्याय
जिला शिक्षा अधिकारी
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