बिलासपुर.
ट्रेजरी से 25 लाख रुपए से ज्यादा वाले बिल पास नहीं किए जा रहे हैं। इससे
होली के पहले जिले के साढ़े नौ हजार शिक्षाकर्मियों की सैलरी अटक गई है।
हजारों की संख्या में ऐसे शिक्षाकर्मी भी है, जिन्हें तीन-चार माह से सैलरी
नहीं मिली है। इन्हें होली के पहले वेतन मिलने की उम्मीद थी लेकिन वित्तीय
वर्ष का अंतिम माह होने और देर से आवंटन मिलने की वजह से अब मायूसी हाथ
लगी।
वित्तीय वर्ष का अंतिम
माह शुरू होने के साथ ही ट्रेजरी में बिल अटकने की शुरुआत हो गई।
हर कार्यालय इसी कोशिश में लगा रहा कि
चालू वित्तीय वर्ष में ही स्वीकृत राशि का बिल पास हो जाए। वे इस प्रयास
में जुटे हैं कि रकम शासन को वापस न करना पड़े। पंचायत, कृषि, हार्टिकल्चर,
पीडब्ल्यूडी, जल संसाधन विभाग, शिक्षा, वन, महिला एवं बाल विकास ही नहीं
अन्य विभाग भी ट्रेजरी कार्यालय में बिल पास कराने में जुटे रहे। लेकिन
ट्रेजरी अफसर ने केवल वेतन और मानदेय बिल ही स्वीकार किए। उन्होंने पांच
मार्च के बाद बाकी बिल लेने की बात कही। पर वेतन के भी कुछ बिल पास नहीं
हुए।
दरअसल, वित्त विभाग ने
ट्रेजरी को 25 लाख रुपए से ज्यादा वाले बिल बगैर अनुमति के पास नहीं करने
कह दिया। ट्रेजरी ऑफिसर ने 25 लाख रुपए से ज्यादा वाले बिल पास नहीं किए।
वे ऑनलाइन स्वीकृति मिलने के बाद ही पास कर रहे हैं। इससे हुआ ये कि
शिक्षाकर्मियों के 18 से 20 करोड़ रुपए के बिल अटक गए। शिक्षाकर्मियों को इस
बात की आशंका पहले से ही थी। छत्तीसगढ़ पंचायत नगरीय निकाय शिक्षक संघ ने
स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर होली के पहले फरवरी माह
की सैलरी के साथ ही एरियर्स का भुगतान करने की मांग की थी। संघ ने स्कूल
शिक्षा, आदिम जाति कल्याण विभाग, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा मिशन व सर्व
शिक्षा अभियान के मद से वेतन लेने वाले शिक्षकों को एक से चार माह तक की
सैलरी नहीं मिलने की जानकारी दी थी।
इधर,
ट्रेजरी ऑफिसर आरबी वर्मा शासन के निर्देश का पालन करने की बात कह रहे
हैं। उन्होंने बताया कि 25 लाख रुपए से अधिक के बिल अनुमति लेकर पास किए जा
रहे हैं। शिक्षाकर्मियों का वेतन बिल 25 लाख रुपए से ज्यादा का है।
उन्होंने अन्य कोई बिल अटकने से इनकार किया है।
वेतन नहीं, फीकी रहेगी होली
शिक्षा कर्मियों को होली से पहले वेतन मिलना था, पर नहीं मिला। इसे लेकर छत्तीसगढ़ पंचायत नगरीय निकाय शिक्षक संघ ने निराशा जाहिर करते हुए प्रशासन से दोषी अधिकारियों की शिकायत करने का निर्णय लिया है। संघ के प्रांताध्यक्ष संजय शर्मा का कहना है कि जनपद अधिकारियों, विकासखंड शिक्षा अधिकारियों की उदासीनता के चलते उन्हें होली से पहने वेतन भुगतान नहीं हो पाया है। ऐसा नहीं है कि विभाग के पास वेतन देने के लिए राशि नहीं थी। राशि होने के बाद भी उन्हें भुगतान नहीं किया गया, यह घोर अन्याय है। जिला अध्यक्ष संतोष सिंह ने बताया कि प्रावधान हर माह की 5 तारीख तक वेतन भुगतान करने का है। शासन के इस निर्देश का पालन नहीं किया गया और न ही मानवता के नाते होली पूर्व भुगतान किया गया।
शिक्षा कर्मियों को होली से पहले वेतन मिलना था, पर नहीं मिला। इसे लेकर छत्तीसगढ़ पंचायत नगरीय निकाय शिक्षक संघ ने निराशा जाहिर करते हुए प्रशासन से दोषी अधिकारियों की शिकायत करने का निर्णय लिया है। संघ के प्रांताध्यक्ष संजय शर्मा का कहना है कि जनपद अधिकारियों, विकासखंड शिक्षा अधिकारियों की उदासीनता के चलते उन्हें होली से पहने वेतन भुगतान नहीं हो पाया है। ऐसा नहीं है कि विभाग के पास वेतन देने के लिए राशि नहीं थी। राशि होने के बाद भी उन्हें भुगतान नहीं किया गया, यह घोर अन्याय है। जिला अध्यक्ष संतोष सिंह ने बताया कि प्रावधान हर माह की 5 तारीख तक वेतन भुगतान करने का है। शासन के इस निर्देश का पालन नहीं किया गया और न ही मानवता के नाते होली पूर्व भुगतान किया गया।
बिल
पास करने का सशर्त आदेश पहुंच सकता है
पिछले साल की तरह इस बार भी बिल पास करने का सशर्त आदेश पहुंच सकता है। कहा जा रहा है कि सरकार पिछले साल का आदेश दोहरा सकती है जिसमें ये कहा गया था कि एक दिन में पांच करोड़ से ज्यादा और 25 लाख के बिल बगैर वित्त सचिव के परमिशन के जारी न किए जाएं। ट्रेजरी में इस आदेश का पालन भी किया जाएगा। अभी 25 लाख रुपए से ज्यादा के बिल की अनुमति का आदेश लिखित न होकर मौखिक है।
पिछले साल की तरह इस बार भी बिल पास करने का सशर्त आदेश पहुंच सकता है। कहा जा रहा है कि सरकार पिछले साल का आदेश दोहरा सकती है जिसमें ये कहा गया था कि एक दिन में पांच करोड़ से ज्यादा और 25 लाख के बिल बगैर वित्त सचिव के परमिशन के जारी न किए जाएं। ट्रेजरी में इस आदेश का पालन भी किया जाएगा। अभी 25 लाख रुपए से ज्यादा के बिल की अनुमति का आदेश लिखित न होकर मौखिक है।