छत्तीसगढ़ की सरकारी शिक्षण संस्थाओं में शिक्षा को बढ़ावा देने और बच्चों की दर्ज संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से केन्द्र और राज्य दोनों ही सरकारों ने शिक्षा से संबंधित तमाम योजनाएं संचालित कर रखी हैं, लेकिन हैरत की बात यह है कि जिस विभाग की तमाम योजनाएं स्कूलों में संचालित हो रही हैं उसी विभाग के विभागीय मंत्री को सरकारी स्कूलों में घट रहे विद्यार्थियों का आंकड़ा तक नहीं पता.
यही नहीं मंत्री जी अपनी सफाई में विभाग के आंकड़ों को झुठलाते हुए कुछ और ही सफाई देते नजर आए.
जानकारी के अनुसार, महासमुंद के सरकारी स्कूलों में शिक्षा के घटते स्तर के चलते विद्यार्थियों की संख्या भी लगातार तेजी से घट रही है. सरकारी स्कूलों को छोड़कर छात्र निजी स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं.
इस सबके बावजूद प्रदेश के ये थे प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप अपने ही विभाग के आंकड़ों को गलत ठहरा रहे हैं. ये हम नहीं बल्कि उनके ही विभाग के आंकड़े बता रहे हैं. दरअसल महासमुंद में विगत दो वर्षों में 13 हजार बच्चों का शासकीय स्कूलों से मोह भंग हो गया है. जिले के 13 हजार 383 छात्र-छात्राओं ने इन दो सालों में सरकारी स्कूलों से नाम कटवा लिए हैं.
अभिभावक हों या शिक्षक या फिर जिले के विभागीय अधिकारी सभी आंकड़ों को सही मानते हैं. साथ ही इन सबके पीछे निजी स्कूलों में बाजारीकरण को जिम्मेदार मानते हैं.
वर्तमान में जिले में 1280 प्राथमिक व 490 मिडिल कुल मिलाकर 1770 स्कूल संचालित हो रहे हैं. इन स्कूलों में सत्र 2013-14 में 1 लाख 51 हजार 72 छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते थे, यह संख्या सत्र 2014-15 में घटकर 1 लाख 42 हजार 934 हो गई. इसी प्रकार सत्र 2015-16 में दर्ज संख्या घटकर 1 लाख 37 हजार 689 हो गई. इन आंकड़ों पर गौर करें तो दो वर्षों में 13 हजार 383 छात्र-छात्राओं ने सरकारी स्कूल से अपना नाता तोड़ लिया, जिसे लेकर ईटीवी ने 4 मई को शिक्षा के घटते स्तर पर प्रमुखता से खबर दिखाई थी.
मंगलवार को जब स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप महासमुंद के दौरे पर रहे तो ईटीवी ने इस गंभीर विषय को लेकर मंत्री के सामने सवाल खड़ा किया. जिस पर मंत्री जी अपने ही विभाग के आंकड़ों को झुठला गए, लेकिन बाद में सही आंकड़ों की जानकारी लेने की बात कहते हुए सफाई देने से भी पीछे नहीं हटे.
गौरतलब है कि साल दर साल सरकारी स्कूलों में बच्चों की दर्ज संख्या कम होते देख शासन ने पिछले सत्र में 80 शासकीय स्कूलों को पास के शासकीय स्कूलों में मर्ज कर दिया था. जो शिक्षा विभाग के लिए चिंता का विषय है.
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यही नहीं मंत्री जी अपनी सफाई में विभाग के आंकड़ों को झुठलाते हुए कुछ और ही सफाई देते नजर आए.
जानकारी के अनुसार, महासमुंद के सरकारी स्कूलों में शिक्षा के घटते स्तर के चलते विद्यार्थियों की संख्या भी लगातार तेजी से घट रही है. सरकारी स्कूलों को छोड़कर छात्र निजी स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं.
इस सबके बावजूद प्रदेश के ये थे प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप अपने ही विभाग के आंकड़ों को गलत ठहरा रहे हैं. ये हम नहीं बल्कि उनके ही विभाग के आंकड़े बता रहे हैं. दरअसल महासमुंद में विगत दो वर्षों में 13 हजार बच्चों का शासकीय स्कूलों से मोह भंग हो गया है. जिले के 13 हजार 383 छात्र-छात्राओं ने इन दो सालों में सरकारी स्कूलों से नाम कटवा लिए हैं.
अभिभावक हों या शिक्षक या फिर जिले के विभागीय अधिकारी सभी आंकड़ों को सही मानते हैं. साथ ही इन सबके पीछे निजी स्कूलों में बाजारीकरण को जिम्मेदार मानते हैं.
वर्तमान में जिले में 1280 प्राथमिक व 490 मिडिल कुल मिलाकर 1770 स्कूल संचालित हो रहे हैं. इन स्कूलों में सत्र 2013-14 में 1 लाख 51 हजार 72 छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते थे, यह संख्या सत्र 2014-15 में घटकर 1 लाख 42 हजार 934 हो गई. इसी प्रकार सत्र 2015-16 में दर्ज संख्या घटकर 1 लाख 37 हजार 689 हो गई. इन आंकड़ों पर गौर करें तो दो वर्षों में 13 हजार 383 छात्र-छात्राओं ने सरकारी स्कूल से अपना नाता तोड़ लिया, जिसे लेकर ईटीवी ने 4 मई को शिक्षा के घटते स्तर पर प्रमुखता से खबर दिखाई थी.
मंगलवार को जब स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप महासमुंद के दौरे पर रहे तो ईटीवी ने इस गंभीर विषय को लेकर मंत्री के सामने सवाल खड़ा किया. जिस पर मंत्री जी अपने ही विभाग के आंकड़ों को झुठला गए, लेकिन बाद में सही आंकड़ों की जानकारी लेने की बात कहते हुए सफाई देने से भी पीछे नहीं हटे.
गौरतलब है कि साल दर साल सरकारी स्कूलों में बच्चों की दर्ज संख्या कम होते देख शासन ने पिछले सत्र में 80 शासकीय स्कूलों को पास के शासकीय स्कूलों में मर्ज कर दिया था. जो शिक्षा विभाग के लिए चिंता का विषय है.
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