Facebook

Govt Jobs : Opening

नहीं मिल रहे योग्‍य टीचर, समय और जरूरत के हिसाब से पाठ्यक्रम में बदलाव की जरूरत

निरंकार सिंह। हाल ही में किए गए एक सर्वे से यह नतीजा सामने आया है कि देश के ज्यादातर शिक्षक मौजूदा शिक्षा व्यवस्था को रोजगार के मापदंडों के मुताबिक नहीं मानते हैं। शायद यही कारण है कि रोजगार बाजार की मांग और शिक्षित युवाओं की उपलब्धता के बीच कोई तालमेल नहीं दिख रहा।
सर्वे से शिक्षकों की यह आम राय उभरी है कि 57 फीसद भारतीय छात्र शिक्षित हो जाने के बावजूद कोई रोजगार पाने लायक नहीं बन पाते। करीब 75 फीसद शिक्षक इस पक्ष में बताए जाते हैं कि इंडस्ट्री की जरूरतों के अनुरूप पाठ्यक्रमों को फिर से बनाया जाना चाहिए। इसी क्रम में शिक्षा व्यवस्था में आइसीटी (इन्फार्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी) शामिल करने पर भी जोर दिया गया है। युवाओं की काबिलियत को लेकर पहले भी सवाल उठाए जाते रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में हर स्तर पर योग्य शिक्षकों की कमी है। राजकीय विद्यालयों में विज्ञान शिक्षकों की भर्ती के लिए उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित चयन परीक्षा का नतीजा इस संकट की गंभीरता का संकेत दे रहा है। आयोग ने विज्ञान शिक्षकों के 1,045 रिक्त पदों को भरने के लिए परीक्षा आयोजित की थी जिसमें कुल 15,436 अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए। विडंबना है कि इसमें केवल 84 अभ्यर्थी ही शिक्षक पद पर नियुक्ति के काबिल निकले। यानी पर्याप्त संख्या में योग्य अभ्यर्थी नहीं मिल रहे।


प्रदेश के राजकीय कॉलेजों में कंप्यूटर शिक्षकों के 1,673 पदों पर भर्ती के लिए कराई गई परीक्षा में 36 अभ्यर्थी ही उत्तीर्ण हुए। कुल 10,801 अभ्यर्थियों के सापेक्ष उत्तीर्ण होने वालों की संख्या केवल 0.33 प्रतिशत है। इसका इस तर्क से बचाव नहीं किया जा सकता है कि एलटी ग्रेड के तहत कंप्यूटर शिक्षकों के लिए परीक्षा पहली बार हुई थी और अभ्यर्थी इससे पूरी तरह परिचित नहीं थे। इसकी पात्रता है बीटेक के साथ बीएड। इतने बड़े पैमाने पर अभ्यर्थियों की विफलता का सबसे अहम पक्ष नजर आता है कि क्या बीटेक करने वाले हाईस्कूल छात्रों को भी कंप्यूटर की शिक्षा देने के योग्य नहीं होते। अगर ऐसा है तो चिंताजनक बात है। अब दूसरा महत्वपूर्ण ¨बदु है पात्रता। बीटेक करने के बाद छात्रों के सामने तीन विकल्प होते हैं- नौकरी पाना, प्रशासनिक सेवाओं के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना या फिर उच्च शिक्षा के लिए एमटेक में प्रवेश लेना। बीएड चुनने वालों की संख्या बेहद कम होती है। 1,673 पदों के लिए अभ्यर्थियों की संख्या 11,000 से कम रहना इस बात को प्रमाणित करता है।


उत्तर प्रदेश के राजकीय माध्यमिक कॉलेजों के लिए एलटी ग्रेड के अहम विषयों में योग्य शिक्षक नहीं मिल रहे हैं। गणित विषय के आधे से अधिक पद खाली हैं। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने इन कॉलेजों में रिक्त 1,035 पदों के लिए लिखित परीक्षा कराई थी, जिसमें केवल 435 अभ्यर्थी सफल हो सके हैं। आयोग ने जब 20 अक्टूबर 2019 को एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा के तहत गणित विषय का परिणाम घोषित किया तो यह नतीजा सामने आया। यूपीपीएससी ने 29 जुलाई 2018 को एलटी ग्रेड की लिखित परीक्षा कराई थी। इस परीक्षा में 22,621 पुरुष व 7,069 महिला अभ्यर्थी शामिल हुए थे। घोषित रिजल्ट में पुरुषों के 561 पदों के लिए मात्र 398 अभ्यर्थी औपबंधिक रूप से चयनित हुए हैं। इस वर्ग के 163 पद खाली हैं। महिलाओं के 474 पदों में सिर्फ 37 अभ्यर्थियों का चयन औपबंधिक रूप से हुआ है। 437 पद खाली हैं।


देश के विकास की दर लगभग छह फीसद प्रतिवर्ष है, जबकि स्नातकों की संख्या की वृद्धि दर 20 फीसद है। इसीलिए शिक्षित बेरोजगार स्नातकों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। दुर्भाग्य से हमारे देश में सामान्य शिक्षित ही बेरोजगार नहीं हैं, बल्कि उच्च शिक्षा प्राप्त युवा भी रोजगार के लायक नहीं हैं। कुछ वर्ष पहले केंद्र सरकार ने 900 करोड़ रुपये पांच लाख बेरोजगार स्नातकों को आजीविका उपलब्ध कराने के लिए स्वीकृत किए थे, किंतु उसमें से 60 फीसद स्नातकों को काम के लायक नहीं पाया गया और उन्हें फिर से विभिन्न व्यवसायों में प्रशिक्षित किया गया। ये आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि संसाधन उपलब्ध होने के बावजूद उद्देश्यहीन शिक्षा की उपयोगिता ना व्यक्तित्व के जीवन में है और ना तो राष्ट्र के चहुंमुखी विकास में उसका कोई योगदान है। इसलिए सभी स्तरों पर शिक्षा को व्यक्ति और राष्ट्र के विकास से जोड़ने की आवश्यकता है।


दरअसल हमारी शिक्षा व्यवस्था ऐसी है कि लोगों को डिग्रियां तो मिल जाती हैं, पर वे काम के लायक नहीं होते हैं। इसलिए शिक्षा व्यवस्था को देश और दुनिया की बदलती जरूरतों के अनुरूप अपडेट होते रहना चाहिए। लेकिन इन जरूरतों को लेकर झटके में कोई राय बना लेना भी ठीक नहीं है। कोई उद्योगपति या कोई खास कंपनी किसी युवा को अपनी जरूरतों के मुताबिक न पाए तो बात समझी जा सकती है, लेकिन कोई देश अगर अपने ज्यादातर युवाओं को ‘रोजगार पाने लायक नहीं’ बताए तो बात अजीब सी लगती है। इस शिक्षक सर्वे के पीछे मौजूद नजरिये पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है। देश में उद्योग-धंधों का विकास समाज की बेहतरी के लिए जरूरी है, लेकिन समाज की जरूरतें सिर्फ उद्योग-धंधों तक ही तो सीमित नहीं है। अगर हम अपने समाज की जरूरतों को नहीं समझ पाएंगे तो देश के ज्यादातर लोग गैर-जरूरी लगने लगेंगे। सरकार को देखना होगा कि इंडस्ट्री की जरूरतों के अनुरूप शिक्षा की व्यवस्था बनाते हुए वह देश में उपलब्ध युवा शक्ति का सवरेत्तम इस्तेमाल सुनिश्चित करे।

देश में एक तरफ शिक्षित युवाओं की बेरोजगारी बढ़ी है तो वहीं दूसरी तरफ स्कूलों और संस्थानों को काम करने लायक शिक्षक और युवक नहीं मिल रहे हैं

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं) 

Recent in Fashion

Random Posts

'; (function() { var dsq = document.createElement('script'); dsq.type = 'text/javascript'; dsq.async = true; dsq.src = '//' + disqus_shortname + '.disqus.com/embed.js'; (document.getElementsByTagName('head')[0] || document.getElementsByTagName('body')[0]).appendChild(dsq); })();