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Chhattisgarh Teacher: क्या 50 हजार शिक्षकों को क्रमोन्नत वेतनमान का होगा फायदा? आदेश के बाद महिला शिक्षक को राशि क्यों नहीं मिली?...

 Chhattisgarh Teacher: रायपुर। क्रमोन्नति वेतनमान का जिन्न एक दशक बाद फिर बाहर आ गया है। सूरजपुर की महिला शिक्षक सोना साहू के पक्ष में हाई कोर्ट के डबल बेंच के आदेश के बाद पंचायत विभाग ने जनपद सीईओ को क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ देते हुए दो लाख 87 हजार रुपए ट्रांसफर कर दिया है। जिला

पंचायत सीईओ का जनपद सीईओ के नाम जारी आदेश सोशल मीडिया में वायरल होते ही व्हाट्सएप ग्रुपों में कमेंट्स की बाढ़ लग गई। बताते हैं कि सूरजपुर की शिक्षिका सोना साहू के पति वकील हैं। वे इस केस में लगातार लगे रहे। सिंगल बेंच में याचिका खारिज होने पर फिर डबल बेंच की शरण ली। डबल बेंच का आदेश होने के बाद भी जब विभाग हरकत में नहीं आया तो फिर अवमानना केस दायर किया गया। इसके बाद फिर पंचायत विभाग जागा और फिर दो लाख 87 हजार का बजट ट्रांसफर किया गया जनपद सीईओ के खाते में। ताकि, सोना साहू को भुगतान किया जा सकें।

100 से अधिक याचिकाएं

महिला शिक्षक के पक्ष में फैसले को देखते शिक्षकों में ये बात फैल गई कि जो याचिका दायर करेगा, उसे क्रमोन्नति वेतनमान का फायदा मिलेगा। इसका नतीजा यह हुआ कि हफ्ते भर में 100 से अधिक याचिकाएं कोर्ट में लग गईं। क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ प्राप्त करने वाले केटेगरी में करीब 50 हजार शिक्षक होंगे। अधिकांश शिक्षक इस समय अपने वकीलों से परामर्श कर रहे कि कैसे याचिका लगाई जाए ताकि उनके पक्ष में भी कोर्ट का फैसला आ जाए।

सुप्रीम कोर्ट की शरण

सिर्फ सोना साहू का सिंगल केस समझ पंचायत विभाग ने क्रमोन्नति वेतनमान का आदेश जारी कर दिया। मगर जब शिक्षकों की धड़ाधड़ याचिकाएं लगनी प्रारंभ हुई तो पंचायत विभाग हरकत में आया। हाई कोर्ट के डबल बेंच के आदेश के खिलाफ विभाग के अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है। सोना साहू का भी भुगतान रोक दिया गया है। दरअसल, एक का भी पेमेंट हो गया तो बाकी शिक्षकों को इसका आधार मिल जाएगा। फिर वे और बढ़-चढ़कर दावे करेंगे। इसको देखते विभाग ने साना साहू का भुगतान रोका ही, सुप्रीम कोर्ट में अजी भी दायर कर दी।

जानिये क्या है क्रमोन्नति वेतनमान?

जिस क्रमोन्नति वेतनमान को लेकर शिक्षकों के बीच बवाल मचा है, उसे शिक्षक भी अब भूल गए थे कि क्रमोन्नति वेतनमान भी कोई इश्यू था। असल में, प्रमोशन न होने पर शिक्षकों ने 2013 में सरकार पर प्रेशर बढ़ाया तो तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ0 रमन सिंह ने 10 साल की सेवा अवधि पूर्ण कर लिए शिक्षकों को क्रमोन्नत वेतनमान का दिया जाएगा। मगर इससे आंदोलन नहीं थमा। शिक्षकों के लगातार विरोध को देखते सरकार ने एक साल बाद फिर शिक्षकों के समतुल्य वेतनमान देने का ऐलान किया। मगर इसके साथ ही क्रमोन्नति वेतनमान का आदेश निरस्त कर दिया। इसके बाद बात आई गई, समाप्त हो गई। मगर इसी बीच कभी सोना साहू ने क्रमोन्नति वेतनमान के लिए याचिका दायर कर दी। जबकि, नया वेतनमान के बाद सरकार ने इसे आदेश जारी कर निरस्त कर दिया था। मगर 50 हजार में से सिर्फ एक शिक्षिका ने दिमाग दौड़ाया कि क्रमोन्नति के समाप्ति के बाद भी अगर कोर्ट में जाएं तो क्रमोन्नति का भी लाभ मिल सकता है। और ऐसा ही हुआ। सोना साहू कोर्ट से जीती। मगर अभी पैसा नहीं मिला है उन्हें। क्योंकि, बाकी शिक्षकों की धड़ाधड़ याचिका लगनी शुरू हो गई।

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