रायपुर(निप्र)। पंडित रविशंकर शुक्ल विवि में चल रहे महिला अध्ययन
केंद्र के पदों को भरने के लिए उच्च शिक्षा विभाग वचनबद्घता नहीं दे रहा
है। दो साल पहले विभाग ने रविवि के वचनबद्घता देने के प्रस्ताव को ठुकराते
हुए यह सवाल उठाया था कि अध्ययन केंद्र का औचित्य क्या है?
अब उच्च शिक्षा विभाग ने रविवि को पत्र लिखकर कहा है कि जिन अध्ययनशालाओं में विद्यार्थी कम हैं और फिजूल के पद ज्यादा हैं उन्हें सरेंडर करें, ताकि महिला अध्ययन केंद्र के पदों को भरने के लिए वित्त विभाग से सहमति ली जा सके। लेकिन विवि ने अभी तक अन्य अध्ययनशालाओं के पदों को सरेंडर नहीं किया है, वहीं रविवि ने इस साल इसी केंद्र में स्नातक, स्नातकोत्तर, एमफिल और पीएचडी कराने की तैयारी कर ली है। साल 2012 अध्ययन शाला के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) हर साल 33 लाख रुपए अनुदान दे रहा है, जो सिर्फ 2017 तक मिलेगा। समय पर वचनबद्धता नहीं मिली तो केंद्र बंद भी हो सकता है।
8 पदों के लिए यूजीसी ने दी थी स्वीकृति
रविवि में महिला अध्ययन केंद्र 2001 से संचालित है। यहां अभी 80 सीटों पर छह महीने का सर्टिफिकेट कोर्स 'वुमन लॉ एंड जेंडर जस्टिस ' संचालित है। 2014 से यूजीसी रविवि को हर साल 33 लाख रुपए अनुदान दे रहा है। यूजीसी ने रविवि को 8 पदों की स्वीकृति दी है। इसमें अध्ययन केंद्र के लिए एक प्रोफेसर, एक एसोसिएट प्रोफेसर, दो असिस्टेंट प्रोफेसर एवं चार लैब तकनीशियन, सहायकों के पद शामिल हैं। 2017 से यूजीसी का अनुदान बंद हो जाएगा तो इस केंद्र को चलाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार और विवि की होगी।
वर्जन
प्रोजेक्ट अंतिम चरण में है
वैसे भी यह प्रोजेक्ट अब अंतिम चरण में है। हमने विवि को पत्र लिखा था कि जिन अध्ययनशालाओं में विद्यार्थी कम आ रहे हैं और उनके सेटअप में पद अधिक हैं ऐसे पदों को सरेंडर कर दें ताकि अतिरिक्त बोझ भी न पड़े और महिला अध्ययन केंद्र के पदों को वचनबद्धता दी जा सके। लेकिन विवि से कोई जवाब नहीं मिला। - डॉ. बीएल अग्रवाल, सचिव, उच्च शिक्षा
नहीं मिली वचनबद्धता तो लैप्स हो जाएगा प्रोजेक्ट
महिला अध्ययन केंद्र के पदों को भरने के लिए राज्य सरकार ने प्रस्ताव दिया है। यदि वचनबद्धता नहीं मिली तो यह प्रोजेक्ट ही बंद हो जाएगा। - डॉ. शिवकुमार पाण्डेय, कुलपति पं. रविवि
महिलाओं की समस्याओं का अध्ययन जरूरी
- महिला अध्ययन केंद्र का मकसद है कि राज्य की महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक एवं अन्य प हलुओं पर अध्ययन करना। इसके लिए सरकार को समय-समय पर सुझाव भी दिया जा सके, इसलिए यह केंद्र महत्वपूर्ण है। - डॉ. रीता वेणुगोपाल, संचालक, महिला अध्ययन केंद्र
एक्सपर्ट व्यू
वचनबद्धता देने से इंकार नहीं कर सकती सरकार
यूजीसी ने सातवीं पंचवर्षीय योजना में ही कई विश्वविद्यालयों को महिला अध्ययनशाला की सौगात दी है। यदि कोई राज्य महिला अध्ययन केंद्र को वचनबद्धता नहीं दे रहा है तो इसका मतलब है कि सरकार महिलाओं के प्रति संजीदा नहीं है। जहां तक वचनबद्धता की बात है तो सरकार इससे इंकार नहीं कर सकती है। मेरे विवि में मध्यप्रदेश का इकलौता महिला अध्ययनशाला विभाग है। यूजीसी ने यदि ग्रांट दिया है तो विश्वविद्यालय का भी यह फर्ज है कि पैसे फिजूल न हों इसके लिए खुद पहल करनी चाहिए। विवि प्रोजेक्ट लैप्स हो जाएगा, यह कहकर खुद को किनारा नहीं कर सकता है। - डॉ. आशा शुक्ला, प्रो. महिला अध्ययन केंद्र, बरकतुल्लाह विवि , भोपाल ।
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अब उच्च शिक्षा विभाग ने रविवि को पत्र लिखकर कहा है कि जिन अध्ययनशालाओं में विद्यार्थी कम हैं और फिजूल के पद ज्यादा हैं उन्हें सरेंडर करें, ताकि महिला अध्ययन केंद्र के पदों को भरने के लिए वित्त विभाग से सहमति ली जा सके। लेकिन विवि ने अभी तक अन्य अध्ययनशालाओं के पदों को सरेंडर नहीं किया है, वहीं रविवि ने इस साल इसी केंद्र में स्नातक, स्नातकोत्तर, एमफिल और पीएचडी कराने की तैयारी कर ली है। साल 2012 अध्ययन शाला के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) हर साल 33 लाख रुपए अनुदान दे रहा है, जो सिर्फ 2017 तक मिलेगा। समय पर वचनबद्धता नहीं मिली तो केंद्र बंद भी हो सकता है।
8 पदों के लिए यूजीसी ने दी थी स्वीकृति
रविवि में महिला अध्ययन केंद्र 2001 से संचालित है। यहां अभी 80 सीटों पर छह महीने का सर्टिफिकेट कोर्स 'वुमन लॉ एंड जेंडर जस्टिस ' संचालित है। 2014 से यूजीसी रविवि को हर साल 33 लाख रुपए अनुदान दे रहा है। यूजीसी ने रविवि को 8 पदों की स्वीकृति दी है। इसमें अध्ययन केंद्र के लिए एक प्रोफेसर, एक एसोसिएट प्रोफेसर, दो असिस्टेंट प्रोफेसर एवं चार लैब तकनीशियन, सहायकों के पद शामिल हैं। 2017 से यूजीसी का अनुदान बंद हो जाएगा तो इस केंद्र को चलाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार और विवि की होगी।
वर्जन
प्रोजेक्ट अंतिम चरण में है
वैसे भी यह प्रोजेक्ट अब अंतिम चरण में है। हमने विवि को पत्र लिखा था कि जिन अध्ययनशालाओं में विद्यार्थी कम आ रहे हैं और उनके सेटअप में पद अधिक हैं ऐसे पदों को सरेंडर कर दें ताकि अतिरिक्त बोझ भी न पड़े और महिला अध्ययन केंद्र के पदों को वचनबद्धता दी जा सके। लेकिन विवि से कोई जवाब नहीं मिला। - डॉ. बीएल अग्रवाल, सचिव, उच्च शिक्षा
नहीं मिली वचनबद्धता तो लैप्स हो जाएगा प्रोजेक्ट
महिला अध्ययन केंद्र के पदों को भरने के लिए राज्य सरकार ने प्रस्ताव दिया है। यदि वचनबद्धता नहीं मिली तो यह प्रोजेक्ट ही बंद हो जाएगा। - डॉ. शिवकुमार पाण्डेय, कुलपति पं. रविवि
महिलाओं की समस्याओं का अध्ययन जरूरी
- महिला अध्ययन केंद्र का मकसद है कि राज्य की महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक एवं अन्य प हलुओं पर अध्ययन करना। इसके लिए सरकार को समय-समय पर सुझाव भी दिया जा सके, इसलिए यह केंद्र महत्वपूर्ण है। - डॉ. रीता वेणुगोपाल, संचालक, महिला अध्ययन केंद्र
एक्सपर्ट व्यू
वचनबद्धता देने से इंकार नहीं कर सकती सरकार
यूजीसी ने सातवीं पंचवर्षीय योजना में ही कई विश्वविद्यालयों को महिला अध्ययनशाला की सौगात दी है। यदि कोई राज्य महिला अध्ययन केंद्र को वचनबद्धता नहीं दे रहा है तो इसका मतलब है कि सरकार महिलाओं के प्रति संजीदा नहीं है। जहां तक वचनबद्धता की बात है तो सरकार इससे इंकार नहीं कर सकती है। मेरे विवि में मध्यप्रदेश का इकलौता महिला अध्ययनशाला विभाग है। यूजीसी ने यदि ग्रांट दिया है तो विश्वविद्यालय का भी यह फर्ज है कि पैसे फिजूल न हों इसके लिए खुद पहल करनी चाहिए। विवि प्रोजेक्ट लैप्स हो जाएगा, यह कहकर खुद को किनारा नहीं कर सकता है। - डॉ. आशा शुक्ला, प्रो. महिला अध्ययन केंद्र, बरकतुल्लाह विवि , भोपाल ।
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