जगदलपुर। ब्यूरो शिक्षकों अथवा शिक्षक पंचायत संवर्ग के
कर्मचारियों का एक शाला से दूसरी शाला में अब आसानी से संलग्नीकरण नहीं
किया जा सकेगा। राज्य शासन ने शिक्षक वर्ग के कर्मचारियों के संलग्नीकरण के
लिए कड़े दिशा निर्देश तय किए हैं।
जिसके तहत संलग्नीकरण के बाद उच्चाधिकारियों को आदेश की प्रतिलिपि भेजने की परंपरा को खत्म कर कलेक्टर से प्रस्ताव का अनुुमोदन कराने के बाद ही संलग्नीकरण आदेश जारी करने का प्रावधान किया गया है। यही नहीं संलग्नीकरण के आदेश भी अबसे एजुपोर्टल से सृजित किए जाएंगे ताकि पारदर्शिता बनी रहे। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव विकास शील के हस्ताक्षर से 10 फरवरी को जारी आदेश में शिक्षकों के संलग्नीकरण के लिए आठ बिंदु तय किए गए हैं। आदेश यहां जिला शिक्षा कार्यालय में पहुंच गया है। आदेश में शिक्षकों का संलग्नीकरण गैर शिक्षकीय कार्य में नहीं करने की नसीहत देते हुए सिर्फ शिक्षकीय कार्य के लिए ही संलग्नीकरण करने की बात कही गई है। बस्तर संभाग में करीब एक हजार शिक्षक अपने मूल शाला से अन्यत्र संलग्न होकर काम कर रहे हैं। इनमें कई तो पदस्थापना के बाद से ही अपने मूल पदस्थापना वाले स्कूलों में गए ही नहीं और ज्वाइनिंग देनें के बाद से ही निकटस्थ शालाओं में संलग्न होकर पड़े हैं।
क्या है आदेश में प्रावधान?
शिक्षकों के संलग्नीकरण के लिए शासन से तय मार्गदर्शन में अब शिक्षकों का संलग्नीकरण करना उतना आसान नहीं होंगा जितना की अभी तक देखा गया है।
01-केवल ऐसे शिक्षकों का संलग्नीकरण किया जाय तो किसी ऐसी शाला में पदस्थ हों, जहां शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत निर्धारित मापदंडो के अनुसार आवश्यकता से अधिक शिक्षक पदस्थ हों।
02-स्कूल शिक्षा विभाग के ई एवं टी संवर्ग के शिक्षकों के संबंध में संबंधित प्रस्ताव जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा अनुमोदनार्थ कलेक्टर को प्रस्तुत किए जाएंगे।
03-संलग्नीकरण की अवधि आदेश जारी करने के माह से आगामी माह के अंतिम कार्य दिवस तक होगी।
04-ऐसे समस्त संलग्नीकरण आदेश एजुपोर्टल से ही सृजित किए जाएंगे तथा उनकी एक प्रति अनिवार्य रूप से शासन से लेकर उच्चाधिकारियों तक को पृष्ठांकित किए जाएंगे।
05-संलग्नीकरण आदेश शैक्षणिक कार्य के संपादन हेतू ही किया जा सकेगा।
06-शासन द्वारा संलग्नीकरण आदेश के प्रभावशील होनें की अवधि तक नियमित स्थानांतरण आदेश जारी न करने की दशा में संलग्नीकरण आदेश स्वतः प्रतिसंहरित हे जएगा। तथा संलग्न शिक्षक पूर्ववत अपनी मूल शाला में कार्य करेंगे।
07-संलग्नीकरण की अवधि में संलग्न किए गए शिक्षक का वेतन उसकी मूल शाला से ही आहरित होगा।
जिसके तहत संलग्नीकरण के बाद उच्चाधिकारियों को आदेश की प्रतिलिपि भेजने की परंपरा को खत्म कर कलेक्टर से प्रस्ताव का अनुुमोदन कराने के बाद ही संलग्नीकरण आदेश जारी करने का प्रावधान किया गया है। यही नहीं संलग्नीकरण के आदेश भी अबसे एजुपोर्टल से सृजित किए जाएंगे ताकि पारदर्शिता बनी रहे। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव विकास शील के हस्ताक्षर से 10 फरवरी को जारी आदेश में शिक्षकों के संलग्नीकरण के लिए आठ बिंदु तय किए गए हैं। आदेश यहां जिला शिक्षा कार्यालय में पहुंच गया है। आदेश में शिक्षकों का संलग्नीकरण गैर शिक्षकीय कार्य में नहीं करने की नसीहत देते हुए सिर्फ शिक्षकीय कार्य के लिए ही संलग्नीकरण करने की बात कही गई है। बस्तर संभाग में करीब एक हजार शिक्षक अपने मूल शाला से अन्यत्र संलग्न होकर काम कर रहे हैं। इनमें कई तो पदस्थापना के बाद से ही अपने मूल पदस्थापना वाले स्कूलों में गए ही नहीं और ज्वाइनिंग देनें के बाद से ही निकटस्थ शालाओं में संलग्न होकर पड़े हैं।
क्या है आदेश में प्रावधान?
शिक्षकों के संलग्नीकरण के लिए शासन से तय मार्गदर्शन में अब शिक्षकों का संलग्नीकरण करना उतना आसान नहीं होंगा जितना की अभी तक देखा गया है।
01-केवल ऐसे शिक्षकों का संलग्नीकरण किया जाय तो किसी ऐसी शाला में पदस्थ हों, जहां शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत निर्धारित मापदंडो के अनुसार आवश्यकता से अधिक शिक्षक पदस्थ हों।
02-स्कूल शिक्षा विभाग के ई एवं टी संवर्ग के शिक्षकों के संबंध में संबंधित प्रस्ताव जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा अनुमोदनार्थ कलेक्टर को प्रस्तुत किए जाएंगे।
03-संलग्नीकरण की अवधि आदेश जारी करने के माह से आगामी माह के अंतिम कार्य दिवस तक होगी।
04-ऐसे समस्त संलग्नीकरण आदेश एजुपोर्टल से ही सृजित किए जाएंगे तथा उनकी एक प्रति अनिवार्य रूप से शासन से लेकर उच्चाधिकारियों तक को पृष्ठांकित किए जाएंगे।
05-संलग्नीकरण आदेश शैक्षणिक कार्य के संपादन हेतू ही किया जा सकेगा।
06-शासन द्वारा संलग्नीकरण आदेश के प्रभावशील होनें की अवधि तक नियमित स्थानांतरण आदेश जारी न करने की दशा में संलग्नीकरण आदेश स्वतः प्रतिसंहरित हे जएगा। तथा संलग्न शिक्षक पूर्ववत अपनी मूल शाला में कार्य करेंगे।
07-संलग्नीकरण की अवधि में संलग्न किए गए शिक्षक का वेतन उसकी मूल शाला से ही आहरित होगा।