बिलासपुरः Give Posting to B.Ed Degree Teachers in
Middle Schools छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में मंगलवार को डीएड पक्ष की ओर से
सरकार के विरुद्ध दाखिल किए गए कंटेम्प्ट पिटीशन पर सुनवाई हुई। इस दौरान
हाईकोर्ट ने सरकार को बीएड प्रशिक्षित नवनियुक्तों को वर्ग-2 में शिक्षक पद
पर समायोजित करने का सुझाव दिया। सुनवाई के दौरान न्यायाधीश नरेंद्र कुमार
व्यास ने कहा कि किसी की नौकरी छीनना किसी समस्या का समाधान नहीं है।
हाईकोर्ट की इस टिप्पणी के बाद बीएड अभ्यर्थियों में नौकरी बचे रहने की आस
जाग गई है। मामले की अगली सुनवाई 28 नवम्बर को है।
Give Posting to B.Ed Degree Teachers in Middle Schools दरअसल,
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त
होने के बाद भी राज्य शासन ने इस पर कोई आदेश जारी नहीं किया है। इसके
चलते बीएड डिग्रीधारी शिक्षक नियम विरूद्ध तरीके से एक साल से ज्यादा समय
से पदस्थ है। हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं होने पर डीएलएड अभ्यर्थियों ने
हाईकोर्ट में न्यायालय की अवमानना याचिका दायर की है। याचिका की सुनाई के
दौरान न्यायाधीश नरेंद्र कुमार व्यास ने सरकार को बीएड प्रशिक्षित
नवनियुक्तों को वर्ग-2 में शिक्षक पद पर समायोजित करने का सुझाव देते हुए
कहा कि ये चयनित हैं, मिडिल स्कूल में शिक्षण की योग्यता रखते हैं और
इन्हें एक वर्ष शिक्षण का अनुभव भी प्राप्त है। जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास
ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बीएड प्रशिक्षितों को प्राथमिक के लिए योग्य
नहीं माना है, परंतु माध्यमिक स्कूलों में शिक्षण के लिए ये योग्य हैं। इन
2900 सहायक शिक्षकों के प्रति सरकार की ज़िम्मेदारी है और सरकार के पास अपनी
शक्तियाँ हैं, जिनका प्रयोग कर इनकी सेवा सुरक्षित रखी जा सकती है।
बता दें कि 2 अप्रैल 2024 को हाईकोर्ट द्वारा तथा 28 अगस्त 2024 को
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से लगभग 2900 बीएड प्रशिक्षित नवनियुक्त सहायक
शिक्षकों की नौकरी ख़तरे में आ गई है। ये सभी सहायक शिक्षक बस्तर और सरगुजा
सम्भाग के सुदूर अंचल में विगत एक वर्ष से अपनी सेवाएं दे रहे हैं,
अप्रत्याशित रूप से नियमों में बदलाव की वजह से इन पर पदमुक्ति का ख़तरा
मंडरा रहा है।