आरटीई के तहत चयनित बच्चों को गायत्री स्कूल में एडमिशन देने का मामला
सामने आया है। पालक संघ ने शिक्षा सचिव और जिला शिक्षा अधिकारी से इस मामले
में कार्रवाई की मांग की है। वहीं स्कूल प्रबंधन का कहना है कि नोडल
अधिकारी बच्चों की सूची के साथ आवश्यक दस्तावेजों की जांच के बाद ही प्रवेश
देने की बात लिखी है।
जब जांच की गई तो इसमें 51 बच्चे अपात्र पाए गए। वहीं 5 बच्चों को स्कूल में एडमिशन दिया गया है। इसलिए मामला अब नोडल अधिकारी के पत्र पर अटक गया है।
शिक्षा के अधिकार कानून के तहत गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने के लिए विभाग आवेदन मंगाता है। नोडल अधिकारी सूची तैयार कर स्कूल प्रबंधन को भेजते हैं।
बताया गया कि स्कूल में सीधे प्रवेश मिल जाना चाहिए लेकिन मामले में अधिकारी ने दस्तावेजों की जांच करने की जिम्मेदारी स्कूल मैनजेमेंट को ही दे दी। पूरा पेंच फंस गया। मामला सामने आते ही पालक संघ ने गायत्री स्कूल के खिलाफ एकबार फिर मोर्चा खोल दिया है।
पक्ष मजबूती से रख रहे
गायत्री स्कूल के चेरयमैन नंदकिशोर सुरजन से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जो अपात्र थे, उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया है। नोडल अधिकारी ने जांच करने की बात लिखकर दी है। यदि जिला प्रशासन या शिक्षा विभाग सभी को एडमिशन देने की बात लिखकर दे तो प्रबंधन सभी को प्रवेश दे देगा।
जब जांच की गई तो इसमें 51 बच्चे अपात्र पाए गए। वहीं 5 बच्चों को स्कूल में एडमिशन दिया गया है। इसलिए मामला अब नोडल अधिकारी के पत्र पर अटक गया है।
शिक्षा के अधिकार कानून के तहत गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने के लिए विभाग आवेदन मंगाता है। नोडल अधिकारी सूची तैयार कर स्कूल प्रबंधन को भेजते हैं।
बताया गया कि स्कूल में सीधे प्रवेश मिल जाना चाहिए लेकिन मामले में अधिकारी ने दस्तावेजों की जांच करने की जिम्मेदारी स्कूल मैनजेमेंट को ही दे दी। पूरा पेंच फंस गया। मामला सामने आते ही पालक संघ ने गायत्री स्कूल के खिलाफ एकबार फिर मोर्चा खोल दिया है।
पक्ष मजबूती से रख रहे
गायत्री स्कूल के चेरयमैन नंदकिशोर सुरजन से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जो अपात्र थे, उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया है। नोडल अधिकारी ने जांच करने की बात लिखकर दी है। यदि जिला प्रशासन या शिक्षा विभाग सभी को एडमिशन देने की बात लिखकर दे तो प्रबंधन सभी को प्रवेश दे देगा।