जांजगीर-चांपा.
दसवीं और बारहवीं बोर्ड के परिणाम के गिरते आंकड़ों में सुधार के लिए शासन
स्तर पर लगातार प्रयोग किए जा रहे हैं। इन कक्षाओं के बच्चों का वर्गीकरण
कर विषयवार फोकस के बाद अब कम शिक्षक वाले स्कूलों में ई-क्लास की तैयारी
की जा रही है। स्कूल शिक्षा विभाग ने इसके लिए जिला स्तर पर शिक्षा
अधिकारियों को निर्देश जारी किया है। इससे पढ़ाई में एकरूपता की बात भी कही
जा रही है।
जिले के जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है, उन्हें चिन्हित कर यहां वीडियो के माध्यम से ई-क्लास की सुविधा दी जाएगी। ई-क्लास में मुख्य रूप से अंग्रेजी, गणित व विज्ञान विषय को शामिल किया गया है। जहां टीवी सेट पर सीडी व पेन ड्राइव में तैयार प्रोग्राम के माध्यम से पढ़ाई कराई जाएगी। इससे विषय विशेषज्ञ नहीं होने के बाद भी बच्चों को इन प्रमुख विषयों की जानकारी मिल सकेगी। विभाग का मानना है कि इस प्रयोग से बगैर शिक्षक के पढ़ाई कर रहे बच्चों को तैयारी में बड़ी मदद मिल सकेगी। गणित व विज्ञान के शिक्षकों का संकट बना हुआ है।
जिलेभर में पांच सौ हाई व हायर सेकंडरी स्कूल हैं, जहां सबसे अधिक समस्या गणित व विज्ञान के शिक्षकों की कमी है। जिले में दो सौ से अधिक शिक्षकों को प्रमोशन व नई भर्ती कर पदस्थापना दी जानी है। इसमें भी गणित व विज्ञान के केवल 40 शिक्षक ही शामिल हंै। शिक्षा विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इन स्कूलों में गणित के ही 40 से अधिक पद रिक्त हैं। वहीं विज्ञान तथा अंग्रेजी के शिक्षकों के दर्जनों पद अभी भी खाली है। समय-समय पर इन आंकड़ों में बड़ा फेरबदल भी सामने आता है।
सुधार को लेकर प्रयास
राज्य शासन ने वर्तमान सत्र में बोर्ड के परिणाम को सुधारने के लिए कई प्रयोग शुरू किए हैं, जिसमें प्रमुखता से बच्चों को उनके स्तर के अनुरूप वर्गीकृत कर कमजोर विषय में फोकस करने की पहल की गई है। इसके अलावा दसवीं व बारहवीं के प्रकाशित पुस्तकों में बीते तीन साल के प्रश्नपत्रों का नमूना भी शामिल किया गया है। इससे विद्यार्थियों को परीक्षा की तैयारी में सहयोग मिलने की बात विषय विशेषज्ञ कह रहे हैं।
# नीलोत्पल गौरहा
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जिलेभर में पांच सौ हाई व हायर सेकंडरी स्कूल हैं, जहां सबसे अधिक समस्या गणित व विज्ञान के शिक्षकों की कमी है। जिले में दो सौ से अधिक शिक्षकों को प्रमोशन व नई भर्ती कर पदस्थापना दी जानी है। इसमें भी गणित व विज्ञान के केवल 40 शिक्षक ही शामिल हंै। शिक्षा विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इन स्कूलों में गणित के ही 40 से अधिक पद रिक्त हैं। वहीं विज्ञान तथा अंग्रेजी के शिक्षकों के दर्जनों पद अभी भी खाली है। समय-समय पर इन आंकड़ों में बड़ा फेरबदल भी सामने आता है।
सुधार को लेकर प्रयास
राज्य शासन ने वर्तमान सत्र में बोर्ड के परिणाम को सुधारने के लिए कई प्रयोग शुरू किए हैं, जिसमें प्रमुखता से बच्चों को उनके स्तर के अनुरूप वर्गीकृत कर कमजोर विषय में फोकस करने की पहल की गई है। इसके अलावा दसवीं व बारहवीं के प्रकाशित पुस्तकों में बीते तीन साल के प्रश्नपत्रों का नमूना भी शामिल किया गया है। इससे विद्यार्थियों को परीक्षा की तैयारी में सहयोग मिलने की बात विषय विशेषज्ञ कह रहे हैं।
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