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निजी विद्यालयों को है NCERT की पुस्तकों से परहेज! शिक्षा विभाग ने भी दे रखी है मौन स्वीकृति

कोरबा. निजी प्रकाशकों की महंगी और गैरजरूरी किताबें अभिभावक खरीदने पर मजबूर हो जाएं इसके लिए एक पूरा का पूरा गिरोह काम करता है। सुनियोजित तरीके से ऐसी परिस्थतियां निर्मित कर दी जाती हैं कि बड़े बैनर के स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के पालक हर हाल में निजी प्रकाशकों की किताबें ही खरीदें।

सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों का नया सत्र एक अपै्रल से शुरू होगा, यहां एडमिशन का दौर शुरू हो चुका है। नए शैक्षणिक सत्र के साथ ही पालकों की जेब पर डाका डालने का एक और सत्र की शुरुआत भी हो चुकी है। किताबें खरीदने के नाम पर पालकों के जेब ढीली हो रही है। लेकिन इस प्रक्रिया में निजी स्कूल संचालक एक बार फिर से सीबीएसई के सर्कुलर का खुला उल्लंघन कर रहे हैं। प्रशासन भी इन परिस्थतियों पर लगाम लगाने में नाकाम साबित होता रहा है। वहीं पालक किताबी लूट का शिकार हो रहे हैं।
नहीं चलाते एनसीईआरटी की किताबें
ज्यादातर दुकानदार कम मार्जिन मिलने के कारण एनसीईआरटी की किताबों बेचना पसंद नहीं करते। यहां सिर्फ निजी पब्लिकेशन की ही किताबें मिलते हैंं। स्कूल भी मांग संख्या बोर्ड को नहीं भेजते। इस तरह अभिभावकों एनसीईआरटी कि मिलती ही नहीं। निजी स्कूल भी पालकों को निजी पब्लिकेशन की किताबों खरीदने को कहते हैं। इसके पीछे यह कुतर्क दिया जाता है कि निजी पब्लिकेशन की किताबों से ही बेहतर अध्यापन कराया जा सकता है। इस आड़ में सांठगांठ को अंजाम दिया जाता है।
ये है सर्कुलर
सीबीएसई ने विगत २० जुलाई २०१५ को एक सर्कुलर जारी किया था। जिसमें स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया गया है कि सीबीएसई से संबद्ध स्कूल पहली से आठवीं तक का पाठ्यक्रम एनसीईआरटी के अनुसार चलाएंगे। जबकि नवमीं से १२वीं तक का पाठ्यक्रम सीबीएसई द्वारा सुझाए गए पैटर्न के आधार पर होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में ऐसा कहा है कि निजी स्कूल चाहें तो किसी भी विषय में रेफरेंस बुक से अध्यापन करा सकते हैं। इस मामले में शिकायत मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी।
सतीश पांडे, डीईओ

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