नई दिल्ली। सरकार
ने नई राष्ट्रीय महिला नीति में महिलाओं के लिए खिलाफ हिंसा से निपटने के
लिए खाद्य सुरक्षा एवं पोषण, शिक्षा, आर्थिक सशक्तिकरण और प्रशासन में उनकी
भूमिका पर जोर दिया है।
प्रशासन
एवं निर्णय प्रक्रिया में महिलाओं की भूमिका बढ़ाने पर जोर देते हुए
राष्ट्रीय महिला नीति 2016 के प्रारूप में कहा गया है कि राजनीति, प्रशासन,
लोकसेवा और कार्पोरेट में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के विशेष उपाय किए
जाएंगे। महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए संबंधित नियमों और कानूनों
के जरिए हिंसा को रोकने, इसके लिए प्रभावशाली नियम बनाने और उनकी समीक्षा
करने, बाल भलग अनुपात को सुधारने, दिशा निर्देशों इत्यादि को कड़ाई से लागू
करने, मानव तस्करी को रोकने इत्यादि का प्रावधान किया गया है।
प्रारूप
के अनुसार इस नीति का मकसद महिलाओं का राजनीतिक सशक्तिकरण करना और उनके
लिए सामाजिक-आर्थिक वातावरण तैयार करना है , जिसमें वे अपने अधिकार प्राप्त
कर सकें, संसाधनों पर उनका नियंत्रण हो तथा लैंगिक समानता तथा न्याय के
सिद्धांतों को स्थापित किया जा सके।
केंद्रीय
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय महिला नीति, 2016 का मसौदा
जारी कर दिया है और लगभग पन्द्रह वर्षों के बाद इस नीति की समीक्षा की जा
रही है।
नीति
के प्रारूप में ऐसे समाज की कल्पना की गई है , जहां महिलाएं अपनी क्षमता
का भरपूर इस्तेमाल कर सकें और जीवन के हर पक्ष में बराबरी कर सकें। महिलाओं
के लिए एक ऐेसा सकारात्मक सामाजिक-सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक माहौल
तैयार हो सके , जिसमें महिलाएं अपने मूल अधिकारों को प्राप्त कर सकें।
प्रस्तावित
नीति में खाद्य सुरक्षा एवं पोषण सहित स्वास्थ्य पर जोर देते हुए महिलाओं
के प्रजनन अधिकारों को केंद्र में रखा गया है और परिवार नियोजन योजनाओं के
दायरे में पुरुषों को भी रखा गया है। इसके तहत महिलाओं की स्वास्थ्य
समस्याओं और उनके कल्याण को ध्यान में रखा जाएगा। इसके तहत किशोरावस्था के
दौरान पोषण, स्वच्छता, स्वास्थ्य बीमा योजना इत्यादि शामिल की गई हैं।
किशोर लड़कियों के प्राथमिक-पूर्व शिक्षा पर ध्यान दिया जाएगा तथा प्रयास
किया जाएगा कि वे स्कूलों में पंजीकरण करा सकें और उनकी शिक्षा की निरंतरता
बनी रहे।
महिलाओं
के प्रशिक्षण और कौशल विकास के लिए व्यवस्था की जाएगी। इसके तहत व्यापार
समझौतों और भू स्वामित्व के प्रावधानों को महिलाओं के अनुकूल बनाना, श्रम
कानूनों और नीतियों की समीक्षा करना और मातृत्व और बच्चों की देखभाल संबंधी
सेवाओं को ध्यान में रखते हुए उचित लाभ प्रदान करना, समान रोजगार अवसर
प्रदान करना तथा महिलाओं की तकनीकी आवश्यकताओं को पूरा करना शामिल है।
पर्यावरण
संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन से निपटने में महिलाओं की भूमिका को
स्वीकारते हुए नीति प्रारूप में ग्रामीण घरों में महिलाओं के लिए पर्यावरण
अनुकूल, नवीकरणीय, गैर पारंपरिक ऊर्जा, हरित ऊर्जा संसाधनों को प्रोत्साहन
देने का उल्लेख किया गया है। इस नीति के तहत महिलाओं के लिए सुरक्षित साइबर
स्पेस बनाना, संविधान के प्रावधानों के तहत व्यक्तिगत और पारंपरिक नियमों
की समीक्षा करने का भी प्रावधान है। वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी
में रखने की भी समीक्षा की जाएगी ताकि महिलाओं के मानवाधिकारों की सुरक्षा
हो सके।
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