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Govt Jobs : Opening

दो साल से टीचर हैं लापता, बच्चे पांचवीं की जगह आज भी तीसरी में पढ़ रहे

रायपुर/नकुलनार.आदिवासी बच्चे विकास की दौड़ में पहले ही पीछे चल रहे हैं और शिक्षा विभाग के अफसरों की लापरवाही ने उन्हें दो साल और पीछे धकेल दिया है। मामला ब्लॉक कटेकल्याण के लखापाल के पांडेमपारा की प्राथमिक शाला से जुड़े बच्चों का है। भास्कर में लगातार प्रकाशित खबरों के बाद अब भी विभागीय अफसर इस स्कूल के लिए तैनात शिक्षक रामकुमार कहां है पता नहीं लगा सके हैं।
जिम्मेदार अफसर यह तो मान रहे हैं कि दो साल से शिक्षक रामकुमार के लापता होने से स्कूल के बंद होने की जानकारी संकुल समन्वयक के जरिए बीईओ दफ्तर तक पहुंचा दी थी। पर कार्रवाई तो तब होती जब बीईओ दफ्तर में रोजाना हाजिरी चेक करते।
हालांकि अभी तैनात बीईओ ने अपनी इस भूल को कबूल करते कहा है कि उन्हें इस पर ध्यान देना था। एक शिक्षक को संलग्न कर दिया है जल्द ही पढ़ाई शुरु हो जाएगी ।

पत्नी की अचानक मौत
- अब तक मामले में हुए खुलासे के मुताबिक पांडेमपारा में पदस्थ शिक्षक रामकुमार पत्नी की अचानक मौत हो गई थी।
- इसके बाद से शिक्षक रामकुमार की भी तबीयत खराब रहने लगी। इसकी जानकारी विभाग के लोगों को दो साल पहले से थी।
- स्कूल बंद की खबर संकुल समन्वयक को थी। उसने इसकी जानकारी बीईओ कार्यालय में समय रहते दे दी थी। मगर खुद बीईओ लंबे समय से नदारद शिक्षक के आने का इंतजार कर रहे थे।
- आज की हालत में शिक्षक रामकुमार कहां है विभाग को भी नहीं पता। अधिकारियों ने इन दो वर्षों में इस स्कूल में किसी दूसरे शिक्षक की नियुक्ति के बदले पहुंच विहीन स्कूल को बंद करने में भलाई समझी।
लोगों का यह है कहना
- लखापाल के पांडेमपारा की प्राथमिक शाला से जुड़े मसले पर लोगों का कहना है जिन बच्चों को कक्षा पांचवीं में होना था वे अाज भी तीसरी में ही पढ़ेंगे, उनके दो साल खराब होने का जिम्मेदार किसे ठहराया जाएगा।
- निरीक्षण की व्यवस्था कागजी साबित हो रही है। नियमानुसार स्कूल मॉनिटरिंग की पहली जवाबदारी संकुल समन्वयक की फिर इनके कार्य की जांच के लिए बीआरसी, बीईओ और डीईओ की पूरी फौज लगी है बावजूद 2-2 साल तक बिना जानकारी के स्कूल का बंद रहना और शाला से गायब रहना विडंबना के सिवा क्या कहा जा सकता है।

जवाबदारी मेरी स्वयं की
कटेकल्याण के बीईओ भूषण कश्यप ने बताया कि पांडेमपारा दो साल से बंद स्कूल की जवाबदारी मेरी स्वयं की है। इससे पहले मैं पांडेम पारा नहीं गया था। मगर अब इस स्कूल में एक शिक्षक को संलग्न कर दिया गया है। एक दो दिन में स्कूल सुचारू रूप से चलने लगेगा।
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