रायगढ़। पहली बार डॉ. रमन सिंह ने मुख्यमंत्री बनने के लिए चुनावी घोषणा
पत्र जारी किया तो उस समय उन्होंने कहा था कि पद ग्रहण करने के साथ ही एक
घंटे के समय में सभी शिक्षक पंचायत, नगरीय निकाय में कार्यरत शिक्षकों को
शिक्षा विभाग में शामिल कर दिया जाएगा।
आज 15 साल का समय गुजर गया है। मुख्यमंत्री का वह एक घंटा अभी तक नहीं आया है। उक्त आरोप उन शिक्षकों ने लगाया है, जिनके ऊपर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने की जिम्मेदारी है। सोमवार को प्रदेश सरकार की वादाखिलाफी को लेकर इन शिक्षकों ने एक दिवसीय हड़ताल करने का निर्णय लिया था।
प्रदेश स्तर पर बुलाए गए एक दिवसीय हड़ताल के समर्थन में जिले के सात हजार शिक्षक पंचायत औ नगरीया निकाय शिक्षकों द्वारा समर्थन करते हुए एक दिवसीय अवकाश पर रहे। जिसके कारण शासकीय स्कूलों में पठन पाठन लगभग ठप रहा। जिल में छत्तीसगढ़ शिक्षक पंचायत, नगरीय निकाय मोर्चा के द्वारा संयुक्त रूप से किए गए प्रदर्शन का संचालन कर रहे भोजराम पटेल ने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों के एक लाख अस्सी हजार शिक्षकों ने एक दिन का अवकाश लेकर शासन द्वारा उनके किए गए वादों को याद दिलाने की कोशिश की है। जिले के नौ जनपदों में सात हजार शिक्षक इस दौरान हड़ताल पर रहे।
वादाखिलाफी का आरोप
शासन की नीतियों का विरोध कर रहे शिक्षकों ने बताया कि यह विडंबना है कि प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था के संचालन के लिए अलग अलग विभाग बनाए गए हैं। जबकि शिक्षा विभाग भी कार्य कर रहा है। इन शिक्षकों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने 15साल पहले अपने घोषणा पत्र में कहा था 1998 में कार्यरत सभी शिक्षक पंचायत और नगरीय निकाय में कार्यरत शिक्षकों को शिक्षा विभाग में संविलियन किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने इसे प्रमुख कार्य के यम में शामिल करने का भरोसा दिया था। लेकिन तीन बार के कार्यकाल गुजरने के बाद मुख्यमंत्री के पास अपने वादे को पूरा करने के लिए समय नही है। ऐसे में अब अपने हक के लिए शिक्षकों ने शासन के खिलाफ अपना फैसला करने का निर्णय लिया हैं
सातवें वेतनमान सहित नौ मांग
शिक्षकों की प्रमुख मांगों में समानकार्य समान वेतन की मांग सहित शिक्षकों को सातवें वेतनमान का लाभ देन की मांग की है। सहायक शिक्षक पंचायत, नगरीय निकाय के लिए समानुपातिक वेतनमान संरचना निर्मित कर उक्त वेतनमान का 1मई 2013 से देने की मांग की गई है। इसके अलावा शिक्षकों को वरिष्ठता के आधार पर प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में प्राचार्य एवं प्रधान पाठक के पद पर पदोन्नत किया जाए।
आज 15 साल का समय गुजर गया है। मुख्यमंत्री का वह एक घंटा अभी तक नहीं आया है। उक्त आरोप उन शिक्षकों ने लगाया है, जिनके ऊपर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने की जिम्मेदारी है। सोमवार को प्रदेश सरकार की वादाखिलाफी को लेकर इन शिक्षकों ने एक दिवसीय हड़ताल करने का निर्णय लिया था।
प्रदेश स्तर पर बुलाए गए एक दिवसीय हड़ताल के समर्थन में जिले के सात हजार शिक्षक पंचायत औ नगरीया निकाय शिक्षकों द्वारा समर्थन करते हुए एक दिवसीय अवकाश पर रहे। जिसके कारण शासकीय स्कूलों में पठन पाठन लगभग ठप रहा। जिल में छत्तीसगढ़ शिक्षक पंचायत, नगरीय निकाय मोर्चा के द्वारा संयुक्त रूप से किए गए प्रदर्शन का संचालन कर रहे भोजराम पटेल ने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों के एक लाख अस्सी हजार शिक्षकों ने एक दिन का अवकाश लेकर शासन द्वारा उनके किए गए वादों को याद दिलाने की कोशिश की है। जिले के नौ जनपदों में सात हजार शिक्षक इस दौरान हड़ताल पर रहे।
वादाखिलाफी का आरोप
शासन की नीतियों का विरोध कर रहे शिक्षकों ने बताया कि यह विडंबना है कि प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था के संचालन के लिए अलग अलग विभाग बनाए गए हैं। जबकि शिक्षा विभाग भी कार्य कर रहा है। इन शिक्षकों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने 15साल पहले अपने घोषणा पत्र में कहा था 1998 में कार्यरत सभी शिक्षक पंचायत और नगरीय निकाय में कार्यरत शिक्षकों को शिक्षा विभाग में संविलियन किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने इसे प्रमुख कार्य के यम में शामिल करने का भरोसा दिया था। लेकिन तीन बार के कार्यकाल गुजरने के बाद मुख्यमंत्री के पास अपने वादे को पूरा करने के लिए समय नही है। ऐसे में अब अपने हक के लिए शिक्षकों ने शासन के खिलाफ अपना फैसला करने का निर्णय लिया हैं
सातवें वेतनमान सहित नौ मांग
शिक्षकों की प्रमुख मांगों में समानकार्य समान वेतन की मांग सहित शिक्षकों को सातवें वेतनमान का लाभ देन की मांग की है। सहायक शिक्षक पंचायत, नगरीय निकाय के लिए समानुपातिक वेतनमान संरचना निर्मित कर उक्त वेतनमान का 1मई 2013 से देने की मांग की गई है। इसके अलावा शिक्षकों को वरिष्ठता के आधार पर प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में प्राचार्य एवं प्रधान पाठक के पद पर पदोन्नत किया जाए।