कलेक्टर राजेश सिंह राणा ने डीईओ बीआर ध्रुव को गैर शिक्षकीय कार्यो में संलग्न शिक्षकों को तत्काल भार मुक्त करने निर्देश दिए है। ताकि शिक्षक अपने स्कूलों में जाकर बच्चों को पढ़ा सकें।
जिला शिक्षा विभाग कार्यालय में ऐसे शिक्षकों की सूची बनाने का काम बुधवार से शुरू हो गया है, जो गैर शिक्षकीय कार्य में संलग्न है। अधिकारियों की मानें तो न्यूनतम 80 शिक्षक ऐसे होंगे, जो जिले के विभिन्न शासकीय विभागों में अटैच होकर काम कर रहे हैं। पालक वर्ग का कहना है कि कलेक्टर के फरमान के बाद स्कूलों में पढ़ाई बेहतर होगा। साथ ही शिक्षकों की कमी भी दूर होगी। जिले के 25 शिक्षक डीईओ, बीईओ कार्यालय, जिला, जनपद पंचायत कार्यालय सहित अन्य विभागों में लिपिक का कार्य कर रहे हैं। जिससे स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित होती है। ऐसे भी जिले के अनेक स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है। 40 प्रतिशत स्कूलों में बच्चों की दर्ज संख्या के हिसाब से शिक्षक नहीं है। ग्रामीणों को शिक्षक की मांग करने के लिए जिला मुख्यालय तक आना पड़ रहा है। यह भी बात सामने आई है कि कई शिक्षक ऐसे भी है, जो स्कूल में पढ़ाने की बजाए आफिस में काम करना पसंद करते है। जिसके कारण वे सोर्स लगाकर आफिसों में अटैच हो जाते है।
शिक्षकों से लिपिकों के लिए जा रहे कार्य
बीआरसी, राजीव गांधी शिक्षा मिशन, आदिवासी विकास विभाग के अंतर्गत छात्रावास में भी शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जा रही है। वहीं अधिकारियों के अनुसार लिपिकों के पद रिक्त होने की वजह से मजबूरीवश शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाती है। कलेक्टर के आदेश निकलते ही शिक्षा विभाग में हड़कंप की स्थिति है। खासकर ऐसे शिक्षक जो कई वर्षो से स्कूल में पढ़ाने के बजाए कार्यालयों में अटैच होकर लिपिक कार्य कर रहे हैं। उन पर जिला प्रशासन माॅनीटरिंग कर रहा है।
शिक्षकों के रिक्त पदों को भर दिया जाए तो ऐसी स्थिति नहीं बनेगी
ऐसे शिक्षकों की बनाई जा रही सूची
कलेक्टर के आदेशानुसार ऐसे शिक्षकों की सूची बनाई जा रही है। जो विभिन्न शासकीय कार्यालयों में अटैच है। इसके बाद उन्हें मूल स्कूलों में भेजा जाएगा, ताकि पढ़ाई प्रभावित न हो। बीआर ध्रुव, डीईओ, बालोद
4 सितंबर को प्रकाशित खबर
जिले में एक हजार शिक्षकों के पद खाली
जिले में 1399 शासकीय प्राइमरी, मिडिल, हाई व हायर सेकंडरी स्कूल हैं। विद्यार्थियों की दर्ज संख्या के हिसाब से स्कूलों में एक हजार शिक्षक के पद रिक्त है। शिक्षकों की कमी व अन्य कारणों से पिछले दो साल में शासकीय स्कूलों में 22 हजार स्टूडेंट्स घट गए।
इसलिए कलेक्टर ने फरमान जारी किया
शिक्षा गुणवत्ता अभियान के दौरान जिले के सी व डी ग्रेड स्कूलों का जिला व राज्य स्तर के अधिकारियों ने निरीक्षण किया। तब पालकों के माध्यम से यह बात सामने आई कि शिक्षकों की कमी के चलते शिक्षा स्तर में गिरावट आ रही है। शिक्षकों की कमी दूर होनी चाहिए।
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जिला शिक्षा विभाग कार्यालय में ऐसे शिक्षकों की सूची बनाने का काम बुधवार से शुरू हो गया है, जो गैर शिक्षकीय कार्य में संलग्न है। अधिकारियों की मानें तो न्यूनतम 80 शिक्षक ऐसे होंगे, जो जिले के विभिन्न शासकीय विभागों में अटैच होकर काम कर रहे हैं। पालक वर्ग का कहना है कि कलेक्टर के फरमान के बाद स्कूलों में पढ़ाई बेहतर होगा। साथ ही शिक्षकों की कमी भी दूर होगी। जिले के 25 शिक्षक डीईओ, बीईओ कार्यालय, जिला, जनपद पंचायत कार्यालय सहित अन्य विभागों में लिपिक का कार्य कर रहे हैं। जिससे स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित होती है। ऐसे भी जिले के अनेक स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है। 40 प्रतिशत स्कूलों में बच्चों की दर्ज संख्या के हिसाब से शिक्षक नहीं है। ग्रामीणों को शिक्षक की मांग करने के लिए जिला मुख्यालय तक आना पड़ रहा है। यह भी बात सामने आई है कि कई शिक्षक ऐसे भी है, जो स्कूल में पढ़ाने की बजाए आफिस में काम करना पसंद करते है। जिसके कारण वे सोर्स लगाकर आफिसों में अटैच हो जाते है।
शिक्षकों से लिपिकों के लिए जा रहे कार्य
बीआरसी, राजीव गांधी शिक्षा मिशन, आदिवासी विकास विभाग के अंतर्गत छात्रावास में भी शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जा रही है। वहीं अधिकारियों के अनुसार लिपिकों के पद रिक्त होने की वजह से मजबूरीवश शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाती है। कलेक्टर के आदेश निकलते ही शिक्षा विभाग में हड़कंप की स्थिति है। खासकर ऐसे शिक्षक जो कई वर्षो से स्कूल में पढ़ाने के बजाए कार्यालयों में अटैच होकर लिपिक कार्य कर रहे हैं। उन पर जिला प्रशासन माॅनीटरिंग कर रहा है।
शिक्षकों के रिक्त पदों को भर दिया जाए तो ऐसी स्थिति नहीं बनेगी
ऐसे शिक्षकों की बनाई जा रही सूची
कलेक्टर के आदेशानुसार ऐसे शिक्षकों की सूची बनाई जा रही है। जो विभिन्न शासकीय कार्यालयों में अटैच है। इसके बाद उन्हें मूल स्कूलों में भेजा जाएगा, ताकि पढ़ाई प्रभावित न हो। बीआर ध्रुव, डीईओ, बालोद
4 सितंबर को प्रकाशित खबर
जिले में एक हजार शिक्षकों के पद खाली
जिले में 1399 शासकीय प्राइमरी, मिडिल, हाई व हायर सेकंडरी स्कूल हैं। विद्यार्थियों की दर्ज संख्या के हिसाब से स्कूलों में एक हजार शिक्षक के पद रिक्त है। शिक्षकों की कमी व अन्य कारणों से पिछले दो साल में शासकीय स्कूलों में 22 हजार स्टूडेंट्स घट गए।
इसलिए कलेक्टर ने फरमान जारी किया
शिक्षा गुणवत्ता अभियान के दौरान जिले के सी व डी ग्रेड स्कूलों का जिला व राज्य स्तर के अधिकारियों ने निरीक्षण किया। तब पालकों के माध्यम से यह बात सामने आई कि शिक्षकों की कमी के चलते शिक्षा स्तर में गिरावट आ रही है। शिक्षकों की कमी दूर होनी चाहिए।
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