सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं तक के बच्चों की तिमाही परीक्षा के परिणाम जारी हो गए हैं। वहीं डीईओ ने परीक्षा को स्थानीय स्तर का बताते हुए 15 सितंबर से दोबारा परीक्षा लेने का आदेश दिया है। इधर शिक्षकों का कहना है कि तिमाही परीक्षा शैक्षणिक कैलेंडर के आधार पर ली गई है।
शिक्षकों ने दोबारा तिमाही कराए जाने को कमीशनखोरी बताया है।
अब परीक्षा के लिए राशि मिली है, तो उसे स्कूलों को दें, जिससे दूसरी गतिविधियों का आंकलन कर सकते हैं। डीईओ केएम तोमर का कहना है कि सरकारी स्कूल के बच्चों की रेंडम चेकिंग होनी है। इसलिए सतत व व्यापक मूल्यांकन लिया जाएगा। स्थानीय स्तर पर भले ही तिमाही परीक्षा ले ली हो, लेकिन बच्चों का आंकलन शिक्षक नहीं कर पाए। वे साबित नहीं कर पाए कि परीक्षा में बच्चाें ने खास कर दिखाया है। इधर शिक्षकों ने परीक्षा के औचित्य पर सवाल खड़ा कर दिया है। लभरा, बेमचा, बृजराज सहित दर्जनों स्कूलों के शिक्षकों ने बताया कि विभागीय अफसर कमीशन के लिए कर रहे हैं। सतत मूल्यांकन के बहाने प्रश्नपत्र और उत्तर पुस्तिका छपवाने की तैयारी भी शुरु कर दी है। स्थानीय स्तर पर जब परीक्षाएं ली जा चुकी है तो दोबारा लेने का कोई तुक नहीं है। डीईअो स्कूली शिक्षा विभाग का निर्देश बताते हुए तिमाही परीक्षा लेने पर अड़े हैं।
परीक्षा मंे खत्म कर दी सारी रकम
पिछले सत्र में शिक्षा विभाग को प्रति बच्चे के हिसाब से 1 करोड़ 4 लाख रुपए मिले थे। छमाही और वार्षिक परीक्षा के प्रश्नपत्र छपवाने में रकम खर्च कर दी गई। स्कूलों को एक रुपया नहीं मिला। जबकि रकम को आंकलन के बाद स्कूलों को दिया जाना था। ऐसे में साफ है कि पिछले सत्र में बच्चों का फॉर्मेटिव व तिमाही आंकलन ही नहीं किया गया।
शैक्षणिक कैलेंडर के हिसाब से हुई है तिमाही
अप्रैल से सत्र की शुरुआत हुई है। फरवरी में शैक्षणिक कैलेंडर जारी हुआ है। हर सोमवार को पहले कालखंड में इकाई परीक्षा ली जानी है। अगस्त के पहले और दूसरे सप्ताह में तिमाही, नवंबर के पहले और दूसरे सप्ताह में छमाही, फरवरी के अंतिम सप्ताह से मार्च के दूसरे सप्ताह तक वार्षिक परीक्षा ली जानी है।
स्थानीय स्तर की परीक्षा को नहीं मानते
स्कूलों में स्थानीय स्तर पर तिमाही परीक्षा ली गई है, जिसे विभाग नहीं मानता है। रेंडम चेकिंग के लिए तिमाही परीक्षा लेने शिक्षकों को आदेश जारी किया गया है। कमीशन की बात गलत है। शासन का निर्देश है, जिसका पालन किया जा रहा है। केएस तोमर, डीईओ, महासमुंद
सत्र में पांच तरह के आंकलन का प्रावधान
सत्र में बच्चों का आंकलन पांच तरीके से होता है। सर्वे, प्रोजेक्ट, पोर्ट फोलियो, मौखिक व लिखित आदि गतिविधियों से अंक दिए जाते हैं। लिखित प्रश्नपत्र से साल में दो बार बच्चों का आंकलन होता है। इसके आधार पर ग्रेड तय होता है। पहले चरण में शिक्षक इस प्रक्रिया को पूरा कर चुके हैं, जिसे विभाग मान नहीं रहा है।
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शिक्षकों ने दोबारा तिमाही कराए जाने को कमीशनखोरी बताया है।
अब परीक्षा के लिए राशि मिली है, तो उसे स्कूलों को दें, जिससे दूसरी गतिविधियों का आंकलन कर सकते हैं। डीईओ केएम तोमर का कहना है कि सरकारी स्कूल के बच्चों की रेंडम चेकिंग होनी है। इसलिए सतत व व्यापक मूल्यांकन लिया जाएगा। स्थानीय स्तर पर भले ही तिमाही परीक्षा ले ली हो, लेकिन बच्चों का आंकलन शिक्षक नहीं कर पाए। वे साबित नहीं कर पाए कि परीक्षा में बच्चाें ने खास कर दिखाया है। इधर शिक्षकों ने परीक्षा के औचित्य पर सवाल खड़ा कर दिया है। लभरा, बेमचा, बृजराज सहित दर्जनों स्कूलों के शिक्षकों ने बताया कि विभागीय अफसर कमीशन के लिए कर रहे हैं। सतत मूल्यांकन के बहाने प्रश्नपत्र और उत्तर पुस्तिका छपवाने की तैयारी भी शुरु कर दी है। स्थानीय स्तर पर जब परीक्षाएं ली जा चुकी है तो दोबारा लेने का कोई तुक नहीं है। डीईअो स्कूली शिक्षा विभाग का निर्देश बताते हुए तिमाही परीक्षा लेने पर अड़े हैं।
परीक्षा मंे खत्म कर दी सारी रकम
पिछले सत्र में शिक्षा विभाग को प्रति बच्चे के हिसाब से 1 करोड़ 4 लाख रुपए मिले थे। छमाही और वार्षिक परीक्षा के प्रश्नपत्र छपवाने में रकम खर्च कर दी गई। स्कूलों को एक रुपया नहीं मिला। जबकि रकम को आंकलन के बाद स्कूलों को दिया जाना था। ऐसे में साफ है कि पिछले सत्र में बच्चों का फॉर्मेटिव व तिमाही आंकलन ही नहीं किया गया।
शैक्षणिक कैलेंडर के हिसाब से हुई है तिमाही
अप्रैल से सत्र की शुरुआत हुई है। फरवरी में शैक्षणिक कैलेंडर जारी हुआ है। हर सोमवार को पहले कालखंड में इकाई परीक्षा ली जानी है। अगस्त के पहले और दूसरे सप्ताह में तिमाही, नवंबर के पहले और दूसरे सप्ताह में छमाही, फरवरी के अंतिम सप्ताह से मार्च के दूसरे सप्ताह तक वार्षिक परीक्षा ली जानी है।
स्थानीय स्तर की परीक्षा को नहीं मानते
स्कूलों में स्थानीय स्तर पर तिमाही परीक्षा ली गई है, जिसे विभाग नहीं मानता है। रेंडम चेकिंग के लिए तिमाही परीक्षा लेने शिक्षकों को आदेश जारी किया गया है। कमीशन की बात गलत है। शासन का निर्देश है, जिसका पालन किया जा रहा है। केएस तोमर, डीईओ, महासमुंद
सत्र में पांच तरह के आंकलन का प्रावधान
सत्र में बच्चों का आंकलन पांच तरीके से होता है। सर्वे, प्रोजेक्ट, पोर्ट फोलियो, मौखिक व लिखित आदि गतिविधियों से अंक दिए जाते हैं। लिखित प्रश्नपत्र से साल में दो बार बच्चों का आंकलन होता है। इसके आधार पर ग्रेड तय होता है। पहले चरण में शिक्षक इस प्रक्रिया को पूरा कर चुके हैं, जिसे विभाग मान नहीं रहा है।
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