अंबिकापुर.
शिक्षा विभाग में भृत्य की नौकरी लगाने के नाम पर 19 ग्रामीणों से 22 लाख
रुपए से अधिक की ठगी करने वाले शासकीय शिक्षक को लुंड्रा पुलिस ने रविवार
को उसके घर से धरदबोचा। मामले का मुख्य आरोपी पहले से ही ठगी के एक मामले
में केंद्रीय जेल में बंद है।
पुलिस पूछताछ के लिए उसे रिमांड पर लेने के लिए न्यायालय में आवेदन पेश करने की तैयारी कर रही है।
जानकारी के अनुसार लुण्ड्रा थाने में राई रघुनाथपुर निवासी वशिष्ट पैकरा ने एक शिकायत दर्ज कराई थी कि राई शासकीय स्कूल में शिक्षक के पद पर पदस्थ रूपनारायण सिंह ने शिक्षा विभाग में भृत्य की नौकरी लगाने के नाम पर उससे 1 लाख 20 हजार रुपए लिए थे।
लेकिन आज तक उसे न तो नौकरी मिली और न ही उससे लिए गए रुपए मिले। उसने पुलिस को बताया कि उसके अलावा रूपनारायण सिंह ने 18 अन्य लोगों से भृत्य के पद पर नौकरी लगाने के नाम पर रुपए लिए थे। पुलिस ने जब मामले की जांच की तो पता चला कि रूपनारायण और एक अन्य व्यक्ति ने 19 ग्रामीणों से लगभग 22 लाख रुपए की ठगी की है।
पुलिस ने मामले में धारा 420, 120 बी व 34 के तहत जुर्म दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी थी। इसी बीच पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि शिक्षक रविवार को अपने घर सायर में है। सूचना मिलते ही लुण्ड्रा पुलिस ने रविवार की सुबह शिक्षक के घर पर दबिश देकर उसे गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस को पूछताछ में पता चला कि ठगी करने का मास्टरमाइंड पहले से ही अंबिकापुर जेल में बंद है। पुलिस उससे पूछताछ के लिए न्यायालय से रिमांड पर लेने की तैयारी में है।
आईएएस बताकर करते थे ठगी
मामले का मास्टर माइंड धौरपुर निवासी रविन्द्र पुरी है। वह रायपुर में रहता था। शिक्षक रूपनाराण सिंह जब लोगों से रुपए ऐंठ लेता था तो उन्हें मिलवाने रायपुर लेकर जाता था। रायपुर में सचिवालय के बाहर रविन्द्र पुरी सभी से मिलता था। वशिष्ट पैकरा सहित अन्य लोगों से जब उससे मिले तो उसे आईएएस कमिश्नर बताकर मिलवाया गया था।
ग्रामीणों को रविन्द्र पुरी जब मिला तो उसने कहा कि 'आपलोगों का रुपए जमा हो गया है। आप लोगों का नौकरी लग गया है। एक दो दिन में कॉल लेटर मिल जाएगा।' यह कहकर वह सभी को वापस भेज दिया था। लेकिन काफी दिनों तक न तो कॉल लेटर आया और न ही रूपनारायण उनसे मिला।
इसके बाद सभी ने आनन-फानन में रिपोर्ट की थी। रविन्द्र पुरी ने अंबिकापुर में भी कई लोगों से ठगी कर लाखों रुपए ऐंठे हैं। मामले में कोतवाली पुलिस उसे धारा 420 के तहत पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है।
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पुलिस पूछताछ के लिए उसे रिमांड पर लेने के लिए न्यायालय में आवेदन पेश करने की तैयारी कर रही है।
जानकारी के अनुसार लुण्ड्रा थाने में राई रघुनाथपुर निवासी वशिष्ट पैकरा ने एक शिकायत दर्ज कराई थी कि राई शासकीय स्कूल में शिक्षक के पद पर पदस्थ रूपनारायण सिंह ने शिक्षा विभाग में भृत्य की नौकरी लगाने के नाम पर उससे 1 लाख 20 हजार रुपए लिए थे।
लेकिन आज तक उसे न तो नौकरी मिली और न ही उससे लिए गए रुपए मिले। उसने पुलिस को बताया कि उसके अलावा रूपनारायण सिंह ने 18 अन्य लोगों से भृत्य के पद पर नौकरी लगाने के नाम पर रुपए लिए थे। पुलिस ने जब मामले की जांच की तो पता चला कि रूपनारायण और एक अन्य व्यक्ति ने 19 ग्रामीणों से लगभग 22 लाख रुपए की ठगी की है।
पुलिस ने मामले में धारा 420, 120 बी व 34 के तहत जुर्म दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी थी। इसी बीच पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि शिक्षक रविवार को अपने घर सायर में है। सूचना मिलते ही लुण्ड्रा पुलिस ने रविवार की सुबह शिक्षक के घर पर दबिश देकर उसे गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस को पूछताछ में पता चला कि ठगी करने का मास्टरमाइंड पहले से ही अंबिकापुर जेल में बंद है। पुलिस उससे पूछताछ के लिए न्यायालय से रिमांड पर लेने की तैयारी में है।
आईएएस बताकर करते थे ठगी
मामले का मास्टर माइंड धौरपुर निवासी रविन्द्र पुरी है। वह रायपुर में रहता था। शिक्षक रूपनाराण सिंह जब लोगों से रुपए ऐंठ लेता था तो उन्हें मिलवाने रायपुर लेकर जाता था। रायपुर में सचिवालय के बाहर रविन्द्र पुरी सभी से मिलता था। वशिष्ट पैकरा सहित अन्य लोगों से जब उससे मिले तो उसे आईएएस कमिश्नर बताकर मिलवाया गया था।
ग्रामीणों को रविन्द्र पुरी जब मिला तो उसने कहा कि 'आपलोगों का रुपए जमा हो गया है। आप लोगों का नौकरी लग गया है। एक दो दिन में कॉल लेटर मिल जाएगा।' यह कहकर वह सभी को वापस भेज दिया था। लेकिन काफी दिनों तक न तो कॉल लेटर आया और न ही रूपनारायण उनसे मिला।
इसके बाद सभी ने आनन-फानन में रिपोर्ट की थी। रविन्द्र पुरी ने अंबिकापुर में भी कई लोगों से ठगी कर लाखों रुपए ऐंठे हैं। मामले में कोतवाली पुलिस उसे धारा 420 के तहत पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है।
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