बिलासपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
बिलासपुर, मुंगेली, पेंड्रा-मरवाही, जांजगीर चांपा, कोरबा और रायगढ़ जिले के 40 बीएड कॉलेज एनसीटीई एक्ट का उल्लंघन कर रहे हैं। आदेश के बाद भी यहां के कॉलेजों ने अभी तक बायोमीट्रिक हाजिरी शुरू नहीं की है। नतीजा प्रशिक्षार्थी और शिक्षक दोनों की उपस्थिति का कोई रिकार्ड नहीं है। जिन कॉलेजों ने इसकी शुरूआत की है,वहां भी केवल खानापूर्ति की जा रही है।
अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय से संबद्ध कुल 44 शिक्षा महाविद्यालय है। अकादमिक विभाग के रिकार्ड के मुताबिक केवल चार कॉलेजों ने बायोमीट्रिक हाजिरी को लेकर अवगत कराया है। बायोमीट्रिक हाजिरी को लेकर नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) ने सभी शिक्षा महाविद्यालयों को इसे अनिवार्य रूप से स्थापित करने कहा था। आदेश के बाद किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। अटल विवि ने भी कोई सुध लेना जरूरी नहीं समझा। जांच समिति या किसी तरह की मॉनिटरिंग तक नहीं की गई। जिस वजह से बीएड कॉलेजों में मनमानी और खानापूर्ति अभी भी चलती आ रही है। जबकि स्पष्ट कहा गया था कि बायोमीट्रिक हाजिरी का पूरा ब्योरा उपलब्ध कराना होगा। इसमें लापरवाही पर एनसीटीई एक्ट-1993 की धारा-17 के तहत कॉलेज की मान्यता खत्म की जा सकती है।
संदीपनी कॉलेज ने की पहल
बायोमीट्रिक हाजिरी को लेकर संदीपनी शिक्षा महविद्यालय राहौद ने सबसे पहले पहल किया है। संचालक संतोष गुप्ता ने कहा कि एनसीटीई ने अभी हाजिरी को लेकर कोई डाटा नहीं मांगा है। जिस दिन डाटा की डिमांड आएगी विस्तृत ब्योरा उपलब्ध करा दिया जाएगा। फिलहाल बायोमेट्रीक से रोजाना हाजिरी ली जा रही है। इससे शिक्षा गुणवत्ता, समय बद्धता, सुरक्षा के लिहाज से उत्तम है। जिस देख सीएमडी पीजी कॉलेज, डीपी विप्र शिक्षा महाविद्यालय एवं डीएलएस ने भी प्रांरभ किया है। जबकि अन्य में सिर्फ खानापूर्ति है।
सौ छात्रों पर रहेंगे 16 शिक्षक
एनसीटीई ने सीट वाले बीएड कॉलेजों में 16 शिक्षकों की नियुक्ति अनिवार्य की है। जिसके बाद से संस्थाओं की पोल खुलने लगी है। यूजीसी के परिनियम 28 के अंतर्गत किए गए भर्ती वाले शिक्षकों की उपस्थिति ही गायब है। बीएड कॉलेजों की एसोसिएशन ने शिक्षकों के पदों की संख्या के नियम में शिथिलता बरतने की मांग भी की है। इसलिए नियम में शिथिल कर प्रति 20 छात्र पर एक शिक्षक का नियम लागू करने अवाज बुलंद कर रहे हैं।
80 प्रतिशत हाजिरी जरूरी
निजी बीएड कॉलेजों में केवल उन्हीं छात्रों को एडमिशन दिया जाएगा जो कि रेगुलर क्लास में आएंगे। नॉन अटेंडिंग स्टूडेंट्स को मौका नहीं मिलेगा। छात्र की उपस्थिति 80 प्रतिशत होनी ही चाहिए। क्लास में न आने वाले या शॉर्टकट में एडमिशन लेने वाले छात्रों को मौका नहीं देंगे। संभाग के कई कॉलेज चतुराई से नॉन अटेंडेंस के लिए छात्रों से 20 से 50 हजार तक अधिक राशि वसूलते हैं। जिस पर अभी तक कोई लगाम नहीं लगा है।
एनसीटीई ने
बीएड कॉलेजों में बायोमीट्रिक हाजिरी को अनिवार्य किया है। 2020 से पूर्ण
रूप से प्रभावशील किया जाना है। कॉलेजों को माहांत तक मोहलत है। मनमानी
करने या खानापूर्ति करने वाले संस्था बच नहीं सकते। एनसीटीई एक्ट का
उल्लंघन करने पर मान्यता चली जाएगी।
प्रो.सुधीर शर्मा
कुलसचिव,अटल बिहारी वाजपेयी विवि
बिलासपुर, मुंगेली, पेंड्रा-मरवाही, जांजगीर चांपा, कोरबा और रायगढ़ जिले के 40 बीएड कॉलेज एनसीटीई एक्ट का उल्लंघन कर रहे हैं। आदेश के बाद भी यहां के कॉलेजों ने अभी तक बायोमीट्रिक हाजिरी शुरू नहीं की है। नतीजा प्रशिक्षार्थी और शिक्षक दोनों की उपस्थिति का कोई रिकार्ड नहीं है। जिन कॉलेजों ने इसकी शुरूआत की है,वहां भी केवल खानापूर्ति की जा रही है।
अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय से संबद्ध कुल 44 शिक्षा महाविद्यालय है। अकादमिक विभाग के रिकार्ड के मुताबिक केवल चार कॉलेजों ने बायोमीट्रिक हाजिरी को लेकर अवगत कराया है। बायोमीट्रिक हाजिरी को लेकर नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) ने सभी शिक्षा महाविद्यालयों को इसे अनिवार्य रूप से स्थापित करने कहा था। आदेश के बाद किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। अटल विवि ने भी कोई सुध लेना जरूरी नहीं समझा। जांच समिति या किसी तरह की मॉनिटरिंग तक नहीं की गई। जिस वजह से बीएड कॉलेजों में मनमानी और खानापूर्ति अभी भी चलती आ रही है। जबकि स्पष्ट कहा गया था कि बायोमीट्रिक हाजिरी का पूरा ब्योरा उपलब्ध कराना होगा। इसमें लापरवाही पर एनसीटीई एक्ट-1993 की धारा-17 के तहत कॉलेज की मान्यता खत्म की जा सकती है।
बायोमीट्रिक हाजिरी को लेकर संदीपनी शिक्षा महविद्यालय राहौद ने सबसे पहले पहल किया है। संचालक संतोष गुप्ता ने कहा कि एनसीटीई ने अभी हाजिरी को लेकर कोई डाटा नहीं मांगा है। जिस दिन डाटा की डिमांड आएगी विस्तृत ब्योरा उपलब्ध करा दिया जाएगा। फिलहाल बायोमेट्रीक से रोजाना हाजिरी ली जा रही है। इससे शिक्षा गुणवत्ता, समय बद्धता, सुरक्षा के लिहाज से उत्तम है। जिस देख सीएमडी पीजी कॉलेज, डीपी विप्र शिक्षा महाविद्यालय एवं डीएलएस ने भी प्रांरभ किया है। जबकि अन्य में सिर्फ खानापूर्ति है।
एनसीटीई ने सीट वाले बीएड कॉलेजों में 16 शिक्षकों की नियुक्ति अनिवार्य की है। जिसके बाद से संस्थाओं की पोल खुलने लगी है। यूजीसी के परिनियम 28 के अंतर्गत किए गए भर्ती वाले शिक्षकों की उपस्थिति ही गायब है। बीएड कॉलेजों की एसोसिएशन ने शिक्षकों के पदों की संख्या के नियम में शिथिलता बरतने की मांग भी की है। इसलिए नियम में शिथिल कर प्रति 20 छात्र पर एक शिक्षक का नियम लागू करने अवाज बुलंद कर रहे हैं।
निजी बीएड कॉलेजों में केवल उन्हीं छात्रों को एडमिशन दिया जाएगा जो कि रेगुलर क्लास में आएंगे। नॉन अटेंडिंग स्टूडेंट्स को मौका नहीं मिलेगा। छात्र की उपस्थिति 80 प्रतिशत होनी ही चाहिए। क्लास में न आने वाले या शॉर्टकट में एडमिशन लेने वाले छात्रों को मौका नहीं देंगे। संभाग के कई कॉलेज चतुराई से नॉन अटेंडेंस के लिए छात्रों से 20 से 50 हजार तक अधिक राशि वसूलते हैं। जिस पर अभी तक कोई लगाम नहीं लगा है।
प्रो.सुधीर शर्मा
कुलसचिव,अटल बिहारी वाजपेयी विवि