एक तरफ शिक्षा विभाग शिक्षा-परीक्षा की गुणवत्ता सुधारने हर दिन नई कवायद
कर रहा है। वहीं बच्चों को करियर कांउसिलिंग देने वाली प्लानिंग धरी रह गई
है। पिछले साल महकमे ने काफी जोर-शोर के साथ हाई स्कूल और हायर सेकंडरी
स्तर पर पढ़ने वाले बच्चों को स्कूलों में ही उनकी रुचि के अनुसार करियर को
आगे बढ़ाने की सुविधा देने कहा था।
इसके तहत हर स्कूल में एक शिक्षक को कांउसलर की भूमिका में रहना था। इन शिक्षकों को इंदिरा गांधी ओपन विश्व विद्यालय से केरियर गाइडेंस का डिप्लोमा करवाया जाना था। इसका खर्च राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान को वहन करना था। दिसंबर 2015 में जिले भर के 75 स्कूलों से इतने ही टीचर्स का चयन करने के बाद उनके डिप्लोमा के लिए फार्म भी भरकर गए थे। उसके बाद ही इस काम पर ब्रेक लग गया। इस तरह अफसरों ने शिक्षकों का चयन तो कर लिया लेकिन उन्हें डिप्लोमा करवाना भूल गए। अब यह साफ हो गया है कि इस सत्र में तो यह काम सिरे नहीं चढ़ सकेगा।
9वीं से ही बच्चों को मिलनी थी दिशा
बस्तर जिले के 60 हाईस्कूल और 90 हायर सेकंडरी स्कूलों में दो चरण में इस योजना को लागू करना था। इसमें जैसे ही काउंसलर तैयार होते वे बच्चों को 9वीं कक्षा से ही गाइड लाइन देते। इससे बच्चों की पढ़ाई के साथ रोजगार की राह आसान होनी है। पहले चरण में 75 और बाकी स्कूलों में दूसरे चरण में काउंसलर रखे जाने थे। औसतन हर ब्लाक में 10-10 ऐसे टीचर रहने हैं।
ऐसी होनी है व्यवस्था हर स्कूल में
हर स्कूल में करियर कांउसलिंग प्रकोष्ठ का गठन किया जाना है जिसका मुखिया कांउसलरों को बनाया जाना था। इस प्रकोष्ठ में कंप्यूटर, रोजगार से जुड़ी किताबें, न्यूज पेपर जैसी जरुरी चीजें रखी जाएंगी। सप्ताह में दो दिन तक अलग से इसके लिए पीरियड रखने थे। उस दौरान अलग-अलग कक्षाओं के बच्चों को बुलाकर गाइडेंस दी जाएगी।
जल्दी करवाएंगे डिप्लोमा
सत्र के शुरु में छात्र-छात्राओं को करियर काउंसलिंग दिलवाई गई है। 75 स्कूलों में चयनित शिक्षकों को डिप्लोमा करवाने में कुछ देर जरुर हुई है। आने वाले समय में यह काम करवाया जाएगा। राजेंद्र झा, जिला शिक्षा अधिकारी
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इसके तहत हर स्कूल में एक शिक्षक को कांउसलर की भूमिका में रहना था। इन शिक्षकों को इंदिरा गांधी ओपन विश्व विद्यालय से केरियर गाइडेंस का डिप्लोमा करवाया जाना था। इसका खर्च राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान को वहन करना था। दिसंबर 2015 में जिले भर के 75 स्कूलों से इतने ही टीचर्स का चयन करने के बाद उनके डिप्लोमा के लिए फार्म भी भरकर गए थे। उसके बाद ही इस काम पर ब्रेक लग गया। इस तरह अफसरों ने शिक्षकों का चयन तो कर लिया लेकिन उन्हें डिप्लोमा करवाना भूल गए। अब यह साफ हो गया है कि इस सत्र में तो यह काम सिरे नहीं चढ़ सकेगा।
9वीं से ही बच्चों को मिलनी थी दिशा
बस्तर जिले के 60 हाईस्कूल और 90 हायर सेकंडरी स्कूलों में दो चरण में इस योजना को लागू करना था। इसमें जैसे ही काउंसलर तैयार होते वे बच्चों को 9वीं कक्षा से ही गाइड लाइन देते। इससे बच्चों की पढ़ाई के साथ रोजगार की राह आसान होनी है। पहले चरण में 75 और बाकी स्कूलों में दूसरे चरण में काउंसलर रखे जाने थे। औसतन हर ब्लाक में 10-10 ऐसे टीचर रहने हैं।
ऐसी होनी है व्यवस्था हर स्कूल में
हर स्कूल में करियर कांउसलिंग प्रकोष्ठ का गठन किया जाना है जिसका मुखिया कांउसलरों को बनाया जाना था। इस प्रकोष्ठ में कंप्यूटर, रोजगार से जुड़ी किताबें, न्यूज पेपर जैसी जरुरी चीजें रखी जाएंगी। सप्ताह में दो दिन तक अलग से इसके लिए पीरियड रखने थे। उस दौरान अलग-अलग कक्षाओं के बच्चों को बुलाकर गाइडेंस दी जाएगी।
जल्दी करवाएंगे डिप्लोमा
सत्र के शुरु में छात्र-छात्राओं को करियर काउंसलिंग दिलवाई गई है। 75 स्कूलों में चयनित शिक्षकों को डिप्लोमा करवाने में कुछ देर जरुर हुई है। आने वाले समय में यह काम करवाया जाएगा। राजेंद्र झा, जिला शिक्षा अधिकारी
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