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स्कूल में शिक्षक नहीं, पैसे देकर रखा, रिजल्ट भी 60% से ऊपर

जिले में शिक्षा की बदहाल स्थिति का अंदाजा ग्रामीण विद्यालय को देखकर लगाया जा सकता है। यहां न तो शिक्षक है और न सफाई कर्मचारी। बच्चे खुद झाड़ू लगाते हैं और पानी भरते हैं। इतना ही नहीं 60- 60 रुपए शुल्क देकर किराए के शिक्षक से पढ़ाई करते हैं।
इसके बाद भी स्कूल का परिणाम लगभग 60 प्रतिशत से अिधक आता है। यदि यहां नियमित शिक्षक की भर्ती कर दी जाए तो स्कूल के बच्चे और भी बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। बच्चों के अभिभावकों का आरोप है जिले के निष्क्रिय अधिकारियों के कारण स्कूल में शिक्षकों की नियक्ति नहीं हो पा रही है। हम बात कर रहे हैं ग्राम पंचायत निरजाम के शासकीय स्कूल की।

ग्राम पंचायत निरजाम के शासकीय स्कूल के प्राथमिक शाला में 61 बच्चे हैं। इन्हें पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक नहीं है। इसके अलावा हाईस्कूल में 85 विद्यार्थी पढ़ाई करते हैं। इन्हें भी पढ़ाने वाला कोई नहीं है। पिछले कुछ सालों से पैसे देकर अतिरिक्त शिक्षक से बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। पिछले साल कक्षा नवमीं के बेदराम निषाद ने 61 प्रतिशत, नारायण साहू ने 56% अंक प्राप्त किया। वहीं कक्षा दसवीं में उमेद कुमार ने 66 प्रतिशत, ताराचन्द निषाद ने 65 और तनुजा साहू ने 61% अंक अर्जित किए। ऐसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि बिना शिक्षक के छात्र इतना बढ़िया रिजल्ट ला सकते हैं तो यहां शिक्षक होने पर वे और भी अच्छा रिजल्ट ला सकते हैं।

ये हमारी जिम्मेदारी नहीं

हमारा कार्य क्षेत्र कक्षा 8 वीं तक का है। इसके आगे हमारी जिम्मेदारी नहीं। हाई स्कूल के संदर्भ में जिला शिक्षा अधिकारी ही बता पाएंगे। प्राथमिक विद्यालय के लिए आवश्यकतानुसार शिक्षक की व्यवस्था की जाएगी। डीएल डहरिया, बीईओ मुंगेली

मुझे इसकी जानकारी नहीं

मुझे इस संदर्भ में कोई जानकारी नहीं है। न ही ऐसी कोई समस्या की शिकायत मिली है। यदि ऐसा है तो संबंधित विभाग को बोलकर उचित कार्रवाई करती हूं। किरण कौशल, कलेक्टर मुंगेली
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