भास्कर न्यूज | जांजगीर- डभरा जिले के कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, तो कुछ स्कूल एकल शिक्षकीय हैं, वहीं विद्यार्थियों की संख्या अधिक होने पर पर्याप्त स्टाफ नहीं है, लेकिन डभरा ब्लॉक का नवीन प्रायमरी स्कूल बघौद में पिछले दो साल से एक भी विद्यार्थी नहीं है, लेकिन दो शिक्षक पदस्थ हैं।
लोगों की अक्सर शिकायत होती है कि उनके गांव के स्कूल में विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए पर्याप्त शिक्षक नहीं होने के कारण पढ़ाई प्रभावित हो रही है तथा बच्चों का भविष्य भी खराब हो रहा। शिक्षकों की मांग को लेकर आंदोलन भी होते रहे हैं, किंतु डभरा में बघौद के अजा मोहल्ले का नवीन प्राथमिक स्कूल जिले का एक मात्र ऐसा स्कूल है, जहां पिछले दो शिक्षा सत्र से कक्षा पहली से पांचवी तक एक भी विद्यार्थी नहीं है। इस स्कूल में एक शिक्षक हरिशंकर सिदार पहले से पदस्थ थे, पूर्व में वैकल्पिक व्यवस्था कर जैजैपुर के एक दूसरे स्कूल के शिक्षक उमेश पटेल को अटैच कर दिया गया है।
ग्राम बघौद स्थित जनपद प्राथमिक शाला जहां एक भी विद्यार्थी नहीं।
बंद करने जनपद में हो चुका है प्रस्ताव: बीईओ
डभरा बीईओ बीएल खरे ने बताया कि स्कूल में विद्यार्थी नहीं होने की जानकारी शासन को है, वहां विद्यार्थियों की उपस्थिति नहीं होने के कारण शिक्षकों की सेलरी रोक दी गई है। जनपद में उक्त स्कूल को बंद करने का प्रस्ताव पारित किया जा चुका है। वहां के शिक्षक को स्थानांतरित किया जाएगा तथा व्यवस्था में आए शिक्षक को मूल स्कूल भेजा जाएगा।
पालकों ने अन्य स्कूल में बच्चों को कराया भर्ती
प्रधान पाठक जनगणना सिंह सिदार ने बताया कि पहले नवीन प्राइमरी स्कूल में 16 विद्यार्थी थे। पढ़ाई नहीं होने की बात कहकर अभिभावकों ने उक्त स्कूल से निकालकर अपने बच्चों को जनपद प्राइमरी स्कूल में भर्ती कराया है। कोटमी संकुल केन्द्र प्रभारी रामकुमार मौर्य एवं शैक्षणिक समन्वयक संत कुमार महेश्वरी द्वारा अधिकारियों को स्कूल की वर्तमान स्थिति से अवगत करा चुके हंै।
विद्यार्थी नहीं, शिक्षक भी नहीं आते स्कूल
बघौद के पूर्व जनपद सदस्य देवेन्द्र वैष्णव ने बताया कि एक शिक्षक माह में एक बार स्कूल आते हैं, जबकि दूसरा शिक्षक सप्ताह में एक बार आकर आैपचारिकता पूरी कर चले जाते हैं। उप सरपंच सीताराम बंजारे ने भी बताया कि स्कूल मे बच्चे तो हैं नहीं । बीच-बीच मे एक शिक्षक आते हैं, यह सिलसिला जुलाई 2015 से चल रहा है। उक्त स्कूल में विद्यार्थी नहीं होने का खामियाजा स्कूल में पदस्थ शिक्षकों को भोगना पड़ रहा है। उपस्थिति नहीं होने के कारण शिक्षा विभाग द्वारा उन्हें सेलरी भी नहीं दे रहा है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार अनुसूचित जाति बाहुल्य मोहल्ला में स्कूल होने के कारण उसे बंद करने का भी विरोध मोहल्ले वाले कर रहे हैं, जिसके कारण बंद भी नहीं हो पा रहा है।
लोगों की अक्सर शिकायत होती है कि उनके गांव के स्कूल में विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए पर्याप्त शिक्षक नहीं होने के कारण पढ़ाई प्रभावित हो रही है तथा बच्चों का भविष्य भी खराब हो रहा। शिक्षकों की मांग को लेकर आंदोलन भी होते रहे हैं, किंतु डभरा में बघौद के अजा मोहल्ले का नवीन प्राथमिक स्कूल जिले का एक मात्र ऐसा स्कूल है, जहां पिछले दो शिक्षा सत्र से कक्षा पहली से पांचवी तक एक भी विद्यार्थी नहीं है। इस स्कूल में एक शिक्षक हरिशंकर सिदार पहले से पदस्थ थे, पूर्व में वैकल्पिक व्यवस्था कर जैजैपुर के एक दूसरे स्कूल के शिक्षक उमेश पटेल को अटैच कर दिया गया है।
ग्राम बघौद स्थित जनपद प्राथमिक शाला जहां एक भी विद्यार्थी नहीं।
बंद करने जनपद में हो चुका है प्रस्ताव: बीईओ
डभरा बीईओ बीएल खरे ने बताया कि स्कूल में विद्यार्थी नहीं होने की जानकारी शासन को है, वहां विद्यार्थियों की उपस्थिति नहीं होने के कारण शिक्षकों की सेलरी रोक दी गई है। जनपद में उक्त स्कूल को बंद करने का प्रस्ताव पारित किया जा चुका है। वहां के शिक्षक को स्थानांतरित किया जाएगा तथा व्यवस्था में आए शिक्षक को मूल स्कूल भेजा जाएगा।
पालकों ने अन्य स्कूल में बच्चों को कराया भर्ती
प्रधान पाठक जनगणना सिंह सिदार ने बताया कि पहले नवीन प्राइमरी स्कूल में 16 विद्यार्थी थे। पढ़ाई नहीं होने की बात कहकर अभिभावकों ने उक्त स्कूल से निकालकर अपने बच्चों को जनपद प्राइमरी स्कूल में भर्ती कराया है। कोटमी संकुल केन्द्र प्रभारी रामकुमार मौर्य एवं शैक्षणिक समन्वयक संत कुमार महेश्वरी द्वारा अधिकारियों को स्कूल की वर्तमान स्थिति से अवगत करा चुके हंै।
विद्यार्थी नहीं, शिक्षक भी नहीं आते स्कूल
बघौद के पूर्व जनपद सदस्य देवेन्द्र वैष्णव ने बताया कि एक शिक्षक माह में एक बार स्कूल आते हैं, जबकि दूसरा शिक्षक सप्ताह में एक बार आकर आैपचारिकता पूरी कर चले जाते हैं। उप सरपंच सीताराम बंजारे ने भी बताया कि स्कूल मे बच्चे तो हैं नहीं । बीच-बीच मे एक शिक्षक आते हैं, यह सिलसिला जुलाई 2015 से चल रहा है। उक्त स्कूल में विद्यार्थी नहीं होने का खामियाजा स्कूल में पदस्थ शिक्षकों को भोगना पड़ रहा है। उपस्थिति नहीं होने के कारण शिक्षा विभाग द्वारा उन्हें सेलरी भी नहीं दे रहा है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार अनुसूचित जाति बाहुल्य मोहल्ला में स्कूल होने के कारण उसे बंद करने का भी विरोध मोहल्ले वाले कर रहे हैं, जिसके कारण बंद भी नहीं हो पा रहा है।