सरकारी स्कूलों के प्राइमरी और मिडिल में शिक्षा गुणवत्ता लाने के लिए अब
बीएड व डीएलएड के तौर-तरीके से पढ़ाई होगी। शिक्षकों को इसके लिए विशेष
प्रशिक्षण देकर तैयार किया जाएगा। जिले के 4 हजार शिक्षकों को विशेष
प्रशिक्षण देने की तैयारी जिला शिक्षा विभाग ने शुरू कर दी है।
दुर्ग जिले में निष्ठा कार्यक्रम चलाने की तैयारी शुरू हो गई है। निष्ठा एकीकृत प्रशिक्षण कार्यक्रम जनवरी महीने में शुरू होगा। दुर्ग जिले के 928 प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक शालाओं के बच्चों को नए तौर-तरीके से पढ़ाने के गुर शिक्षकों को सिखाएं जाएंगे।
जानिए क्या है प्लानिंग....जिले के स्कूलों में इस तरह लाएंगे शिक्षा गुणवत्ता
पहला: स्थानीय बोली और परिवेश का समावेश : बच्चे सरल व सहज तरीके से पढ़ व समझ सके इसके लिए नया तरीके अपनाएं जाएंगे। ग्रामीण परिवेश का बच्चा हिन्दी के बजाय छग बोली में पाठ समझ सकता है तो उसका अनुवाद कर बताएंगे। इसी तरह बच्चे के घर में या उसके आसपास जिन चीजों को वह अपने दैनिक जीवन में उपयोग करता है उसका उदाहरण देकर पुस्तक में दी गई समझाई जाएगी। जैसे भौरें को किताब में लट्टू लिखा है जबकि उसे भांवरा या भौरें कहते हैं।
दूसरा: बीएड-डीएलएड की तर्ज पर पढ़ाई : शिक्षकों को बीएड और डीएलएड का प्रशिक्षण तो मिला है लेकिन स्कूल में पढ़ाई के वक्त इसका उपयोग नहीं करते। इसलिए शिक्षक अब ज्यादा से ज्यादा अपने प्रशिक्षण का उपयोग पढ़ाई के दौरान करें इसके लिए उन्हें ट्रेंड किया जाएगा। गणित को प्रेक्टिकल के रूप में समझाने के लिए स्थानीय चीजों का उदाहरण देंगे। चर्तुभुज या त्रिकोण को बनाने के लिए कागज का इस्तेमाल करेंगे। इसी तरह घटाना सीखाने के लिए बच्चों को ट्रेनिंग देंगे।
शिक्षकों की ऑनलाइन परीक्षा लेंगे : निष्ठा कार्यक्रम में शामिल शिक्षकों का प्रशिक्षण के दौरान टेस्ट भी लिए जाएंगे। यह टेस्ट ऑन लाइन होगी। प्री टेस्ट और पोस्ट टेस्ट लिए जाएंगे। इसके लिए शिक्षकों की ई मेल आईडी तैयार की गई है। शिक्षकों के लिए स्मार्ट फोन जरूरी किया गया है। चयनित शिक्षकों की सूची एससीईआरटी के मेल में भेजी गई है। शिक्षकों के अलावा विभाग का मॉनीटरिंग अमला सीएसी, सीआरसी और बीआरसी को भी प्रशिक्षण में शामिल करेंगे।
लीडरशिप के गुर भी सीखेंगे प्रधानपाठक
निष्ठा कार्यक्रम में एक और खास बात जुड़ी है। वह है लीडरशिप तैयार करना। संस्था के प्रधान पाठकों और प्राचार्यों को लीडरशिप के लिए ट्रेंड करेंगे। वर्तमान में ये संस्था प्रमुख का दायित्व तो संभाल रहे हैं लेकिन 80 प्रतिशत संस्था प्रमुख पदोन्नति लेकर इस पद में बैठें है। इसलिए उनमें नेतृत्व करने के तौर तरीके नहीं आते। इसका असर भी स्कूल के रिजल्ट पर पड़ रहा है। इसलिए इस कार्यक्रम में इसे खासतौर पर शामिल किया गया है। प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर टीम तैयार की गई है।
दुर्ग जिले में निष्ठा कार्यक्रम चलाने की तैयारी शुरू हो गई है। निष्ठा एकीकृत प्रशिक्षण कार्यक्रम जनवरी महीने में शुरू होगा। दुर्ग जिले के 928 प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक शालाओं के बच्चों को नए तौर-तरीके से पढ़ाने के गुर शिक्षकों को सिखाएं जाएंगे।
जानिए क्या है प्लानिंग....जिले के स्कूलों में इस तरह लाएंगे शिक्षा गुणवत्ता
पहला: स्थानीय बोली और परिवेश का समावेश : बच्चे सरल व सहज तरीके से पढ़ व समझ सके इसके लिए नया तरीके अपनाएं जाएंगे। ग्रामीण परिवेश का बच्चा हिन्दी के बजाय छग बोली में पाठ समझ सकता है तो उसका अनुवाद कर बताएंगे। इसी तरह बच्चे के घर में या उसके आसपास जिन चीजों को वह अपने दैनिक जीवन में उपयोग करता है उसका उदाहरण देकर पुस्तक में दी गई समझाई जाएगी। जैसे भौरें को किताब में लट्टू लिखा है जबकि उसे भांवरा या भौरें कहते हैं।
दूसरा: बीएड-डीएलएड की तर्ज पर पढ़ाई : शिक्षकों को बीएड और डीएलएड का प्रशिक्षण तो मिला है लेकिन स्कूल में पढ़ाई के वक्त इसका उपयोग नहीं करते। इसलिए शिक्षक अब ज्यादा से ज्यादा अपने प्रशिक्षण का उपयोग पढ़ाई के दौरान करें इसके लिए उन्हें ट्रेंड किया जाएगा। गणित को प्रेक्टिकल के रूप में समझाने के लिए स्थानीय चीजों का उदाहरण देंगे। चर्तुभुज या त्रिकोण को बनाने के लिए कागज का इस्तेमाल करेंगे। इसी तरह घटाना सीखाने के लिए बच्चों को ट्रेनिंग देंगे।
शिक्षकों की ऑनलाइन परीक्षा लेंगे : निष्ठा कार्यक्रम में शामिल शिक्षकों का प्रशिक्षण के दौरान टेस्ट भी लिए जाएंगे। यह टेस्ट ऑन लाइन होगी। प्री टेस्ट और पोस्ट टेस्ट लिए जाएंगे। इसके लिए शिक्षकों की ई मेल आईडी तैयार की गई है। शिक्षकों के लिए स्मार्ट फोन जरूरी किया गया है। चयनित शिक्षकों की सूची एससीईआरटी के मेल में भेजी गई है। शिक्षकों के अलावा विभाग का मॉनीटरिंग अमला सीएसी, सीआरसी और बीआरसी को भी प्रशिक्षण में शामिल करेंगे।
लीडरशिप के गुर भी सीखेंगे प्रधानपाठक
निष्ठा कार्यक्रम में एक और खास बात जुड़ी है। वह है लीडरशिप तैयार करना। संस्था के प्रधान पाठकों और प्राचार्यों को लीडरशिप के लिए ट्रेंड करेंगे। वर्तमान में ये संस्था प्रमुख का दायित्व तो संभाल रहे हैं लेकिन 80 प्रतिशत संस्था प्रमुख पदोन्नति लेकर इस पद में बैठें है। इसलिए उनमें नेतृत्व करने के तौर तरीके नहीं आते। इसका असर भी स्कूल के रिजल्ट पर पड़ रहा है। इसलिए इस कार्यक्रम में इसे खासतौर पर शामिल किया गया है। प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर टीम तैयार की गई है।