कोरबा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। जिला शिक्षा अधिकारी ने वेबिनार लेते वक्त शिक्षकों को प्रतिदिन अपने स्कूल में उपस्थिति दर्ज कराने, एक्टिव सर्विलांस सर्वे का कार्य करने व रोज कम से कम 50 घरों में जाकर प्रपत्र भरने का मौखिक आदेश दे दिया। इसमें यह भी कहा गया है कि अगर कोई शिक्षक अपने कार्य का निष्पादन नहीं करता तो उसे अनुपस्थित मानकर नो वर्क नो पे की तर्ज पर वेतन रोकने की कार्रवाई की जाएगी। इस निर्देश से क्षुब्ध शिक्षकों ने गुरूवार को कलेक्टोरेट पहुंचकर शिकायत की है। कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए राहत का आग्रह किया गया है।
यह ज्ञापन छत्तीसगढ़ प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ के बेनर तले शिक्षकों ने प्रस्तुत किया है। उनका कहना है कि डीईओ ने वेबिनार में मौखिक निर्देश दिया कि समस्त शिक्षक अपने स्कूलों में उपस्थिति प्रदान करें। इसके बाद गांव-मोहल्ले में कोविड-19 एक्टिव सर्विलांस सर्वे कार्य करना सुनिश्चित करें। इस कार्य में उपस्थित नहीं होने वाले शिक्षको का अनुपस्थित मान नो वर्क नो पेय के आधार पर वेतन रोक दिए जाने की बात भी कही गई। शिक्षकों का कहना है कि इस भीषण कोरोनाकाल में यह निर्देश उचित नहीं है, जबकि पूरे प्रदेश में शिक्षक संवर्ग बिना सुरक्षात्मक सुविधा के फ्रंट वारियर के रूप में पूरी निष्ठा के साथ सेवा प्रदान कर रहे हैं। इस मौखिक आदेश से शिक्षक संवर्ग व्यथित है और शारीरिक एवं मानसिक तनाव का अनुभव कर रहा है। संघ के प्रतिनिधियों ने डीईओ के इस मौखिक आदेश पर स्वतः संज्ञान लेते हुए शिक्षक संवर्ग को राहत प्रदान करने का आग्रह कलेक्टर से किया है। ज्ञापन सौंपे जाने के दौरान छत्तीसगढ़ प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ के कार्यकारी प्रांताध्यक्ष ओमप्रकाश बघेल, प्रांतीय मीडिया प्रभारी मुकुंद केशव उपाध्याय, जिला अध्यक्ष नित्यानंद यादव, विपिन यादव, जय कुमार राठौर, विनय शुक्ला समेत अन्य उपस्थित रहे।
उपस्थिति पत्रक के हस्ताक्षर के आधार पर ही वेतन
डीईओ के मौखिक आदेश के साथ विकासखंड शिक्षा अधिकारियों ने इससे संबंधित छह बिंदुओं के दिशा-निर्देश भी जारी किए, जो इंटरनेट मीडिया पर भी वायरल हुए। इसमें कहा गया है कि जिन शिक्षकों की अन्य कार्यों में ड्यूटी लगी है, उन्हें छोड़कर सारे शिक्षक-व्याख्याता प्रतिदिन नियमित रूप से विद्यालय आएंगे। वे विद्यालय आकर एक्टिव सर्विलेंस के कार्य में सहयोग करेंगे। प्रतिदिन लगभग 50 घरों का एक्टिव सर्विलेंस करना है। दिए गए प्रपत्र में जानकारी जमा की जानी है। नो वर्क नो पे के सिद्धांत पर प्रत्येक शिक्षक को ड्यूटी करना आवश्यक है। उपस्थिति पत्रक के हस्ताक्षर के आधार पर ही वेतन आहरण किया जाएगा।
मेडिकल लीव के मेडिकल बोर्ड के सामने प्रमाणिकरण
निर्देश में यह भी कहा गया है कि केवल कोविट पाजिटिव शिक्षकों को ही 14 दिन का अवकाश दिया जाएगा। घर में किसी के पॉजिटिव आने के कारण शिक्षकों को होम आइसोलेशन नहीं मिलेगा। शासकीय कर्मचारियों को कर्तव्य स्थल पर आना ही है। मेडिकल लीव की एप्लिकेशन देने वाले सभी शिक्षकों को मेडिकल बोर्ड के सामने उपस्थित होकर मेडिकल सर्टिफिकेट देना होगा। राष्ट्रीय विपदा की इस घड़ी में सभी शासकीय कर्मचारियों से अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूर्ण इमानदारी से किए जाने की अपेक्षा की जाती है।
कोविड ड्यूटी लगाने का काम तो मेरा है ही नहीं: डीईओ
डीईओ सतीश पांडेय ने कहा कि कोविड ड्यूटी लगाने का काम मेरा नहीं, यह जिला-जनपद व प्रशासन का काम है। जब सूची बनती है, उस वक्त किसे कौन सी परेशानी है, इसका पता उन्हें नहीं होता। गर्भवती, बुजुर्ग हों, गंभीर बीमारी या अन्य समस्या पर शिक्षक संबंधित विभाग में जाकर अपनी बात रखें। जो सक्षम हैं, उन्हें दिए गए दायित्व तो निभाने ही होंगे, अन्यथा संबंधित विभाग या अनुविभागीय अधिकारी कार्रवाई भी करेंगे। मेरे विभाग से किसी पर कार्रवाई न हो, इसलिए वर्चुअल बैठक में रोज चर्चा होती है, ताकि वेतन रोकने या निलंबन कार्रवाई से शिक्षक बच सकें।