बिलासपुर। शिक्षक पात्रता परीक्षा (टी. ई. टी.) परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भी भर्ती में अयोग्य बताने को चुनौती दी गई थी। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के लिए एक पद आरक्षित रखने का आदेश दिया है।
डोंगरगांव निवासी हितेश कुमार सिन्हा जून जुलाई 2014 में स्नातक परीक्षा में सम्मिलित हुआ तथा परीक्षा उत्तीर्ण की। किन्तु उसके स्नातक परीक्षा की अंकसूची 19 मई 2015 को यूनिर्वसिटी द्वारा प्रदान की गई। इस बीच आवेदक वर्ष 2014 में आयोजित होने वाली छत्तीसगढ़ शिक्षक पात्रता परीक्षा में सम्मिलित हुआ तथा उसमें पास होने पर 28 नवंबर 2014 को अंकसूची प्राप्त की। शिक्षा संभाग दुर्ग के लिए शिक्षक सीधी भर्ती के लिए पात्रता परीक्षा में सम्मिलित होकर परीक्षा भी उत्तीर्ण की। किन्तु संभागीय संयुक्त संचालक दुर्ग ने अपने आदेश दिनांक 24/01/2022 के अनुसार आवेदक को दस्तावेज सत्यापन के लिए आमंत्रित किया। दस्तावेज के परीक्षण उपरांत आवेदक को स्नातक परीक्षा पूर्ण करने से पूर्व ही टी.ई.टी. परीक्षा उत्तीर्ण करना बताकर अपात्र कर दिया। शिक्षक पात्रता परीक्षा (टी. ई. टी.) परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भी भर्ती में अयोग्य बताने को चुनौती दी गई थी। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के लिए एक पद आरक्षित रखने का आदेश दिया है। इस पर आवेदक ने अपने अधिवक्ता एसबी. पाण्डेय के माध्यम से हाईकोर्ट में शिक्षा विभाग तथा संयुक्त संचालक के विरुद्ध रिट याचिका प्रस्तुत कर बताया कि छत्तीसगढ़ टी. ई. टी. परीक्षा के सर्कुलर के आदेश की विभाग ने अवहेलना की है। आवेदक शिक्षक सीधी भर्ती के लिए पात्र है। इसके बाद सिंगल बेंच ने याचिकाकर्ता के लिए एक पद आरक्षित रखने विभाग को आदेशित करते हुए नोटिस जारी किया है।