कोरबा. नोटबंदी
से शासकीय कर्मचारियों को हो रही परेशानी को कम करने के लिए वेतन एडवांस
में नगद भुगतान करने करने की तैयारी पूरी हो गई है। सरकारी आदेश के अनुसार
सरकारी कार्यालयों के तृतीय व चतुर्थ वर्ग के साथ ही शिक्षक(पंचायत) को 28
से 30 नवंबर के मध्य वेतन राशि से 10 हजार रूपए एडवांस नगद दिया जाएगा।
वेतन की शेष राशि पूर्ववत व्यवस्था के तहत कर्मचारियों के खातों में जमा
होगी।
नवंबर माह का वेतन 10 हजार रूपए नगद प्राप्त न करने के इच्छुक तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी व शिक्षक(पंचायत)को निर्धारित प्रारूप में ऑप्शन फॉर्म भरकर अपने डीडीओ या विभाग प्रमुख को देना होगा। यह फॉर्म जिला कोषालय में उपलब्ध है। जो कर्मचारी यह फॉर्म नहीं भरेंगे उनके ऐसी स्थिति में यह माना जाएगा कि वह वेतन में से 10 हजार रूपए नगद प्राप्त करना चाहते हैं। यह आदेश केवल तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी व शिक्षक(पंचायत) के लिए है। प्रथम व द्वितीय वर्ग के अफसरों के लिए नगद भुगतान की कोई व्यवस्था नहीं है। बड़े अफसरों को अपने वेतन के पैसे कैशलेस ट्रांजेक्शन से खर्च करने होंगे।
निजी व सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों राहत नहीं
तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के सरकारी कर्मचारियों को तो एकमुश्त 10 हजार देने की व्यवस्था सरकार ने कर दी है। लेकिन ऐसे भी हजारों कर्मचारी भी हैं जो निजी या सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों में कार्यरत हैं और इनकी संख्या सरकारी कर्मचारियों से कहीं ज्यादा है। लेकिन इन कर्मचारियों के लिए राहत देने की कहीं से उम्मीद नजर नहीं आ रही है। बैंकों में अब भी किसी एक खाते से हफ्ते में 24 हजार ही आहरण हो सकता है। एटीएम से केवल ढाई हजार रूपए ही एक दिन में निकलेंगे। नोटों को एक्सचेंज भी अब बंद हो चुका है। मार्केट से कैश पूरी तरह से गायब है।
ऐसे में निजी व सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों की मुश्किल आसान होती नहीं दिख रही है। दूसरी व्यावहारिक दिक्कत यह भी है कि छोटी खरीदारी के लिए हर बार कार्ड व कैशलेस प्रक्रिया का उपयोग संभव नहीं है। कुछ स्थान ऐसे हैं। जहां केवल कैश के जरिए ही जरूरतमंद वस्तुएं खरीदी जा सकती हैं। खासतौर से जिन घरों में अभी शादी होनी है, उन्हें कई छोटी-मोटी वस्तुओं की आवश्यकता होती है। जिसके लिए कैश हाथ में होना बेहद आवश्यक है।
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नवंबर माह का वेतन 10 हजार रूपए नगद प्राप्त न करने के इच्छुक तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी व शिक्षक(पंचायत)को निर्धारित प्रारूप में ऑप्शन फॉर्म भरकर अपने डीडीओ या विभाग प्रमुख को देना होगा। यह फॉर्म जिला कोषालय में उपलब्ध है। जो कर्मचारी यह फॉर्म नहीं भरेंगे उनके ऐसी स्थिति में यह माना जाएगा कि वह वेतन में से 10 हजार रूपए नगद प्राप्त करना चाहते हैं। यह आदेश केवल तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी व शिक्षक(पंचायत) के लिए है। प्रथम व द्वितीय वर्ग के अफसरों के लिए नगद भुगतान की कोई व्यवस्था नहीं है। बड़े अफसरों को अपने वेतन के पैसे कैशलेस ट्रांजेक्शन से खर्च करने होंगे।
निजी व सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों राहत नहीं
तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के सरकारी कर्मचारियों को तो एकमुश्त 10 हजार देने की व्यवस्था सरकार ने कर दी है। लेकिन ऐसे भी हजारों कर्मचारी भी हैं जो निजी या सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों में कार्यरत हैं और इनकी संख्या सरकारी कर्मचारियों से कहीं ज्यादा है। लेकिन इन कर्मचारियों के लिए राहत देने की कहीं से उम्मीद नजर नहीं आ रही है। बैंकों में अब भी किसी एक खाते से हफ्ते में 24 हजार ही आहरण हो सकता है। एटीएम से केवल ढाई हजार रूपए ही एक दिन में निकलेंगे। नोटों को एक्सचेंज भी अब बंद हो चुका है। मार्केट से कैश पूरी तरह से गायब है।
ऐसे में निजी व सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों की मुश्किल आसान होती नहीं दिख रही है। दूसरी व्यावहारिक दिक्कत यह भी है कि छोटी खरीदारी के लिए हर बार कार्ड व कैशलेस प्रक्रिया का उपयोग संभव नहीं है। कुछ स्थान ऐसे हैं। जहां केवल कैश के जरिए ही जरूरतमंद वस्तुएं खरीदी जा सकती हैं। खासतौर से जिन घरों में अभी शादी होनी है, उन्हें कई छोटी-मोटी वस्तुओं की आवश्यकता होती है। जिसके लिए कैश हाथ में होना बेहद आवश्यक है।
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