नई दिल्ली, शिक्षा विभाग की एक उच्चस्तरीय कमिटी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ये सिफारिश भेजी है कि अप्रैल की शुरुआत से हर सेकेंडरी स्कूल में अंग्रेजी पढ़ाया जाना चाहिए. साथ ही कम से कम एक अंग्रेजी माध्यम का सरकारी स्कूल देश के हर ब्लॉक में होना चाहिए.
एजुकेशन एंड सोशल डेवलपमेंट की कमिटी ने अंग्रेजी और विज्ञान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सिफारिश की है कि छठी कक्षा से आगे सभी कक्षाओं के लिए अंग्रेजी को अनिवार्य विषय बनाया जाना चाहिए. साथ ही हर ब्लॉक में 5 किलोमीटर के दायरे के भीतर, कम से कम एक अंग्रेजी माध्यम का स्कूल विज्ञान विषय के साथ होना चाहिए.
शिक्षा विभाग के दल ने ये सिफारिश राज्य सरकारों से चर्चा के बाद की है. अभी तक अंग्रेजी सिर्फ सीबीएसई बोर्ड के स्कूलों में पहले आठ साल तक अनिवार्य है.
पिछले साल अक्टूबर में आरएसएस अधिकृत शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को ये सुझाव दिया था कि अंग्रेजी किसी भी स्तर पर अनिवार्य नहीं होना चाहिए और स्कूलों में सारे जरूरी निर्देश मातृभाषा में ही दिए जाने चाहिए.
स्किल ट्रेनिंग की दिशा में कमिटी ने सुझाव में कहा है कि देशभर में जितने जिले हैं और जहां 25 प्रतिशत से ज्यादा आदिवासी जनसंख्या है, वहां अल्पसंख्यक बहुल ब्लॉक में स्किल ट्रेनिंग सेंटर खोले जाने चाहिए.
एजुकेशन एंड सोशल डेवलपमेंट की कमिटी ने अंग्रेजी और विज्ञान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सिफारिश की है कि छठी कक्षा से आगे सभी कक्षाओं के लिए अंग्रेजी को अनिवार्य विषय बनाया जाना चाहिए. साथ ही हर ब्लॉक में 5 किलोमीटर के दायरे के भीतर, कम से कम एक अंग्रेजी माध्यम का स्कूल विज्ञान विषय के साथ होना चाहिए.
शिक्षा विभाग के दल ने ये सिफारिश राज्य सरकारों से चर्चा के बाद की है. अभी तक अंग्रेजी सिर्फ सीबीएसई बोर्ड के स्कूलों में पहले आठ साल तक अनिवार्य है.
पिछले साल अक्टूबर में आरएसएस अधिकृत शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को ये सुझाव दिया था कि अंग्रेजी किसी भी स्तर पर अनिवार्य नहीं होना चाहिए और स्कूलों में सारे जरूरी निर्देश मातृभाषा में ही दिए जाने चाहिए.
स्किल ट्रेनिंग की दिशा में कमिटी ने सुझाव में कहा है कि देशभर में जितने जिले हैं और जहां 25 प्रतिशत से ज्यादा आदिवासी जनसंख्या है, वहां अल्पसंख्यक बहुल ब्लॉक में स्किल ट्रेनिंग सेंटर खोले जाने चाहिए.