जांजगीर-चांपा. सत्र बीत गया और नया शिक्षा सत्र भी शुरू हो गया, लेकिन जिले के ५ हजार छात्राओं को अब तक साइकिल नहीं मिल पाई। ऐसे में छात्राओं को सरकार की कल्याणकारी योजना से वंचित होना पड़ गया है। छात्राएं हर रोज डीईओ दफ्तर का चक्कर काटने मजबूर हैं।
छात्राओं की शिक्षा का स्तर बढ़ाने व उनके शिक्षा के विकास के लिए शिक्षा विभाग ने सरस्वती साइकिल योजना की शुरूआती की है,
लेकिन योजना में कई तरह की तकनीकि खामियों के कारण छात्राएं शिक्षा की मुख्या धारा ने नहीं जुड़ पा रही हैं। दरअसल इस साल विभाग छात्राओं को नगदी के बजाए साइकिल प्रदान कर रही है।
साइकिल को असेंबल करने ठेका कंपनी जुटा हुआ है। लेकिन १२ हजार साइकिल असेंबल करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इस कारण साइकिल असेंबल करने में देर हो रही है। आखिरकार सत्र बीत जा रहा, लेकिन छात्राओं को साइकिल नहीं मिल पाई है।
जबकि छात्राओं को शिक्षा सत्र की शुरूआत में ही छात्राओं को साइकिल मिल जानी चाहिए। ताकि स्कूल जाने में उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो।
साल दर साल बढ़ती गई परेशानी
पहले शासन खुद खरीदकर छात्राओं को साइकिल प्रदान कर रही थी। साइकिल की गुणवत्ता पर सवाल उठने से छात्राओं को नकद राशी दी जा रही थी।
नगद राशि में भी कई तरह की खामियां उजागर हुई तो शासन ने छात्राओं को चेक देना शुरू कर दिया। बैंक सिस्टम में भी कई तरह की खामियां होने से छात्राओं को योजना से वंचित होना पड़ा। अब सरकार सायकिल खुद खरीदकर देना शुरू कर दी है।
छात्राओं की शिक्षा का स्तर बढ़ाने व उनके शिक्षा के विकास के लिए शिक्षा विभाग ने सरस्वती साइकिल योजना की शुरूआती की है,
लेकिन योजना में कई तरह की तकनीकि खामियों के कारण छात्राएं शिक्षा की मुख्या धारा ने नहीं जुड़ पा रही हैं। दरअसल इस साल विभाग छात्राओं को नगदी के बजाए साइकिल प्रदान कर रही है।
साइकिल को असेंबल करने ठेका कंपनी जुटा हुआ है। लेकिन १२ हजार साइकिल असेंबल करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इस कारण साइकिल असेंबल करने में देर हो रही है। आखिरकार सत्र बीत जा रहा, लेकिन छात्राओं को साइकिल नहीं मिल पाई है।
जबकि छात्राओं को शिक्षा सत्र की शुरूआत में ही छात्राओं को साइकिल मिल जानी चाहिए। ताकि स्कूल जाने में उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो।
साल दर साल बढ़ती गई परेशानी
पहले शासन खुद खरीदकर छात्राओं को साइकिल प्रदान कर रही थी। साइकिल की गुणवत्ता पर सवाल उठने से छात्राओं को नकद राशी दी जा रही थी।
नगद राशि में भी कई तरह की खामियां उजागर हुई तो शासन ने छात्राओं को चेक देना शुरू कर दिया। बैंक सिस्टम में भी कई तरह की खामियां होने से छात्राओं को योजना से वंचित होना पड़ा। अब सरकार सायकिल खुद खरीदकर देना शुरू कर दी है।