दुर्ग। गुरुजी और शिक्षाकर्मी अब स्कूलों से गोल नहीं मार सकेंगे।
टेबलेट में थम्ब लगाकर उनकी हाजिरी ली जाएगी। सरकार सभी स्कूलों के
हेडमास्टरों और प्राचार्यो को भी टेबलेट बांटने जा रही है। इससे स्कूलों की
मॉनीटरिंग भी की जाएगी।
दुर्ग जिले में 1092 सरकारी स्कूल हैं। प्राइमरी से लेकर हायर सेकंडरी स्कूलों के हेडमास्टरों और प्राचार्यो को टेबलेट मिलेगा।टेबलेट के जरिए हर दिन स्कूल खुलने के समय और जाने से पहले शिक्षकों को अपनी हाजिरी थम्ब लगाकर देनी है। इस नई व्यवस्था से शिक्षकों की शत प्रतिशत होगी वही बच्चों की वास्तविक उपस्थिति की भी जानकारी राज्य को मिलती रहेगी।
0 टेबलेट में इन सबकी होगी जानकारी
विभागीय सूत्रों के मुताबिक टेबलेट में कंपनी द्वारा पहले ही एजुटेक का डेटा फिड होगा। इस डाटा में प्रत्येक स्कूल का ब्योरा रहेगा। मसलन स्कूल का नाम,यू डाईस कोड, कितने शिक्षक हैं उनका नाम, किस कक्षा में कितने बच्चे हैं, बालक और बालिकाएं कितनी है। इन बच्चों के माता पिता का नाम, उनके पते, आधार नंबर, मोबाइल नंबर, बैंक खाते नंबर का ब्योरा रहेगा।
0 टेबलेट से ऐसे होगी मॉनीटरिंग
संस्था प्रमुखों को टेबलेट में अपने स्कूल का नाम दर्ज करेंगे। स्कूल खुलने व बंद होने का समय भी लोड करेंगे। रोजाना स्कूल खुलने के समय शिक्षकों को टेबलेट में थम्ब इम्पे्रशन करना है। जो शिक्षक या शिक्षाकर्मी देरी से आया तो वह अंगूठा नहीं लगा सकेगा। इसी तरह कई शिक्षक या शिक्षाकर्मी जल्दी स्कूल से चले जाते हैं उन्हे स्कूल बंद होने के समय थम्ब लगाना है। वर्तमान में कई शिक्षक या शिक्षकर्मी नियमित स्कूल नहीं जाते और हाजिरी रजिस्टर में दो या तीन दिन बाद जाकर अपना हस्ताक्षर कर देते है। इस तरह सेटिंग टेबलेट आने के बाद खत्म हो जाएगी।
मध्यान्ह भोजन की भी होगी रोजाना मॉनीटरिंग
टेबलेट के माध्यम से रोजाना मध्याह्न भोजन की भी मॉनीटरिंग होनी है। कितने बच्चे स्कूल आएं है और कितने नहीं इसकी रिपोर्ट टेबलेट से देनी है। टेबलेट का एप स्कूल के चुनिंदा बच्चों के थम्ब से ही खुले ऐसी तकनीक इसमें लोड की गई है। बच्चों से एप खुलवाने के बाद उस दिन कितने बच्चों ने मध्याहᆬन भोजन खाया या नहीं इसे भी अपडेट रोज करना है। बच्चों का भी आधार लिंक रहेगा इसलिए इस तरह अब फर्जी तरीके से ज्यादा बच्चों के मध्या- भोजन खाने की जानकारी भी अब रूकेगी। जितने बच्चे खाएंगे उतने का ही भुगतान शासन उस स्कूल के लिए भेजेगी।
पिछले महीने संकुल समन्वयकों को बांटे हैं टेबलेट
दुर्ग जिले के 61 संकुल समन्वयकों को नवंबर में सरकार ने टेबलेट दिए हैं। टेबलेट में कंपनी द्वारा प्रत्येक स्कूलों की जानकारी अपलोड की गई है। इस टेबलेट में संकुल समन्वयक अपने-अपने संकुलों के स्कूलों की जानकारी अपडेट कर रहे हैं। मसलन शिक्षकों का तबादला या प्रमोशन की स्थिति में वर्तमान में कितने शिक्षक हैं। इस साल के नए दाखिल बच्चों को जोड़ने और जो बच्चे स्कूल नहीं आ रहे हैं उनका नाम डिलीट करने का काम चल रहा है।
कैसे मॉनीटरिंग करना है इसकी देंगे ट्रेनिंग
हर स्कूल के हेडमास्टर और प्राचार्यो को टेबलेट देने के बाद उसे कैसे चलाना है। क्या एप लोड है। वह क्या और कैसे काम करता है। हाजिरी कैसे होगी। बच्चों से लेकर अन्य क्या जानकारी रोजाना किस तरह भेजी जाएगी इसे बताएंगे। दुर्ग जिले के दो संकुल समन्वयक और एक प्राचार्य को मास्टर ट्रेनर के रूप में राज्य में शुक्रवार को प्रशिक्षण लेने भेजा गया है।
इस महीने मिलेगी टेबलेट
'टेबलेट हर स्कूल के संस्था प्रमुखों को दी जाएगी। ताकि इससे रोजाना मानिटरिंग हो। टेबलेट कितने को देना है इसकी संख्या राज्य को भेजी गई है। इस महीने टेबलेट राज्य से मिलने की संभावना है।'
-आशुतोष चावरे, जिला शिक्षा अधिकारी
दुर्ग जिले में 1092 सरकारी स्कूल हैं। प्राइमरी से लेकर हायर सेकंडरी स्कूलों के हेडमास्टरों और प्राचार्यो को टेबलेट मिलेगा।टेबलेट के जरिए हर दिन स्कूल खुलने के समय और जाने से पहले शिक्षकों को अपनी हाजिरी थम्ब लगाकर देनी है। इस नई व्यवस्था से शिक्षकों की शत प्रतिशत होगी वही बच्चों की वास्तविक उपस्थिति की भी जानकारी राज्य को मिलती रहेगी।
0 टेबलेट में इन सबकी होगी जानकारी
विभागीय सूत्रों के मुताबिक टेबलेट में कंपनी द्वारा पहले ही एजुटेक का डेटा फिड होगा। इस डाटा में प्रत्येक स्कूल का ब्योरा रहेगा। मसलन स्कूल का नाम,यू डाईस कोड, कितने शिक्षक हैं उनका नाम, किस कक्षा में कितने बच्चे हैं, बालक और बालिकाएं कितनी है। इन बच्चों के माता पिता का नाम, उनके पते, आधार नंबर, मोबाइल नंबर, बैंक खाते नंबर का ब्योरा रहेगा।
0 टेबलेट से ऐसे होगी मॉनीटरिंग
संस्था प्रमुखों को टेबलेट में अपने स्कूल का नाम दर्ज करेंगे। स्कूल खुलने व बंद होने का समय भी लोड करेंगे। रोजाना स्कूल खुलने के समय शिक्षकों को टेबलेट में थम्ब इम्पे्रशन करना है। जो शिक्षक या शिक्षाकर्मी देरी से आया तो वह अंगूठा नहीं लगा सकेगा। इसी तरह कई शिक्षक या शिक्षाकर्मी जल्दी स्कूल से चले जाते हैं उन्हे स्कूल बंद होने के समय थम्ब लगाना है। वर्तमान में कई शिक्षक या शिक्षकर्मी नियमित स्कूल नहीं जाते और हाजिरी रजिस्टर में दो या तीन दिन बाद जाकर अपना हस्ताक्षर कर देते है। इस तरह सेटिंग टेबलेट आने के बाद खत्म हो जाएगी।
मध्यान्ह भोजन की भी होगी रोजाना मॉनीटरिंग
टेबलेट के माध्यम से रोजाना मध्याह्न भोजन की भी मॉनीटरिंग होनी है। कितने बच्चे स्कूल आएं है और कितने नहीं इसकी रिपोर्ट टेबलेट से देनी है। टेबलेट का एप स्कूल के चुनिंदा बच्चों के थम्ब से ही खुले ऐसी तकनीक इसमें लोड की गई है। बच्चों से एप खुलवाने के बाद उस दिन कितने बच्चों ने मध्याहᆬन भोजन खाया या नहीं इसे भी अपडेट रोज करना है। बच्चों का भी आधार लिंक रहेगा इसलिए इस तरह अब फर्जी तरीके से ज्यादा बच्चों के मध्या- भोजन खाने की जानकारी भी अब रूकेगी। जितने बच्चे खाएंगे उतने का ही भुगतान शासन उस स्कूल के लिए भेजेगी।
पिछले महीने संकुल समन्वयकों को बांटे हैं टेबलेट
दुर्ग जिले के 61 संकुल समन्वयकों को नवंबर में सरकार ने टेबलेट दिए हैं। टेबलेट में कंपनी द्वारा प्रत्येक स्कूलों की जानकारी अपलोड की गई है। इस टेबलेट में संकुल समन्वयक अपने-अपने संकुलों के स्कूलों की जानकारी अपडेट कर रहे हैं। मसलन शिक्षकों का तबादला या प्रमोशन की स्थिति में वर्तमान में कितने शिक्षक हैं। इस साल के नए दाखिल बच्चों को जोड़ने और जो बच्चे स्कूल नहीं आ रहे हैं उनका नाम डिलीट करने का काम चल रहा है।
कैसे मॉनीटरिंग करना है इसकी देंगे ट्रेनिंग
हर स्कूल के हेडमास्टर और प्राचार्यो को टेबलेट देने के बाद उसे कैसे चलाना है। क्या एप लोड है। वह क्या और कैसे काम करता है। हाजिरी कैसे होगी। बच्चों से लेकर अन्य क्या जानकारी रोजाना किस तरह भेजी जाएगी इसे बताएंगे। दुर्ग जिले के दो संकुल समन्वयक और एक प्राचार्य को मास्टर ट्रेनर के रूप में राज्य में शुक्रवार को प्रशिक्षण लेने भेजा गया है।
इस महीने मिलेगी टेबलेट
'टेबलेट हर स्कूल के संस्था प्रमुखों को दी जाएगी। ताकि इससे रोजाना मानिटरिंग हो। टेबलेट कितने को देना है इसकी संख्या राज्य को भेजी गई है। इस महीने टेबलेट राज्य से मिलने की संभावना है।'
-आशुतोष चावरे, जिला शिक्षा अधिकारी