चारामा। नईदुनिया न्यूज
छत्तीसगढ़ शासन के शासकीय कर्मचारियों के वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक लगाने के आदेश को वापस लेने की मांग के संबंध में संयुक्त शिक्षक, शिक्षाकर्मीं संघ जिला कांकेर और ब्लॉक चारामा द्वारा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व एसपी वैद को मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री, मुख्य सचिव, और अपर मुख्य सचिव वित्त विभाग के नाम ज्ञापन
सौंपा गया। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण काल में सभी वर्ग के लिए योजना व आर्थिक पैकेज जारी करके बेहतर रूप से व्यवस्था को सुदृढ़ करने का कार्य किया जा रहा है। वहीं राज्य के शासकीय कर्मचारियों का वार्षिक वेतन वृद्धि में रोक के साथ अन्य प्रकार के कटौती करने के लिए आदेश जारी किया गया है, जोकि उचित नहीं है। जबकि प्रदेश का शिक्षक वर्ग राज्य सरकार के साथ कोविड 19 के लर्डा में हर मोर्चे पर मुस्तैदी के डटा है। स्वयं के संकट का परवाह न करते हुए, इस भीषण गर्मी में कोरोना वारियर्स, क्वारंटीन सेंटर में ड्यूटी सहित मध्यान्ह भोजन सुखा चावल वितरण, ऑन लाईन पर्ढा, सहित अन्य आदेशित जगहों पर जिम्मेदारी पूर्वक कार्यों का सफल संचालन कर रहे है। पिछले माह राज्य शासन के पहल पर प्रदेश के शिक्षकों ने स्वेच्छा पूर्वक अपने एक दिन का वेतन राशि मुख्यमंत्री राहत कोष में दान किए थे। इसके बाद भी राज्य शासन द्वारा शिक्षकों के महंगाई भत्ते के साथ-साथ वार्षिक वेतन वृद्धि में रोक से शिक्षकों को दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है। राज्य सरकार के उक्त आदेश से सभी शिक्षकों के साथ-साथ अन्य विभाग शासकीय कर्मचारियों में हताशा और मनोबल में कमी आई है। संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण काल में शिक्षकों का विभिन्न कोरोना संक्रमित क्षेत्रों में ड्यूटी लगाया जा रहा है, जिसमें शिक्षकों को कोरोना वायरस होने का खतरा है। कोरोना वारियर्स की तरह कार्य कर रहें शिक्षकों का भी 50 लाख का बीमा अनिवार्य किया किया जाए। अर्थव्यवस्था को मजबूत के लिए खर्चों में मितव्ययिता लाने और भी बहुत संसाधन है, जिस पर कटौती किया जा सकता है। वार्षिक वेतन वृध्दि शासकीय कर्मचारियों का आवश्यक अधिकार है। इस विषय पर पुनः विचार करते हुए वार्षिक वेतन वृद्धि और महंगाई भत्ते रोकने के आदेश को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की अपील की है। कोरोना काल में कार्यरत् शिक्षकों को भी 50 लाख का बीमा प्रदान करने की कष्ट करेंगे। ज्ञापन सौंपने वालों में जिला अध्यक्ष अशोक गोटे, सचिव टीकमचंद सिन्हा, प्रवक्ता प्रेम प्रकाश साहू, ब्लॉक अध्यक्ष मनोज सिन्हा, विजय कोशरिया, कमलेश गावडे़, खिलेश्वर गवर्ना, शेष नेताम, बिहारी कोर्राम, चिंताराम गंगबेर, सुरेश प्रधान, ललन ठाकुर, जयराम सेवता सहित अन्य पदाधिकारी और सदस्य शामिल थे।
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वार्षिक वेतनवृद्धि रोकने के विरोध में सौंपा ज्ञापन
1 कांकेर 6
कांकेर। नईदुनिया न्यूज
प्रदेश के शासकीय अधिकारी-कर्मचारियों का वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने का निर्णय कर्मचारियों के अधिकारों का हनन है। छग शासन के अधीन कार्यरत लिपिक अपनी जान जोखिम में डालकर लगातार सेवाएं दे रहे हैं। छग शासन द्वारा कोरोना योद्धाओं को पुरस्कृत किया जाना चाहिए, परंतु वित्त विभाग का वेतन वृद्धि रोकने का आदेश कर्मचारियों को हतोत्साहित करने वाला है और साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा लिपिक अधिवेशन बिलासपुर में वर्ष 2020 को कर्मचारी वर्ष घोषित करने वाली घोषणा के भी विपरीत है। वेतन वृद्धि रोकना न्यायसंगत नहीं है, क्योंकि वार्षिक वेतनवृद्धि संचयी व असंचयी प्रभाव से दण्ड के रूप में ही रोकी जाती है। कोरोना वायरस के खिलाफ संघर्ष में प्रदेश के सभी अधिकारी-कर्मचारी एक दिन का वेतन मुख्यमंत्री सहायता कोष में दे चुके हैं। वर्तमान में भी स्वेच्छा से अपना अंशदान दे रहे है। साथ ही अपनी जान जोखिम में डालकर शासकीय दायित्वों का निर्वहन पूरी निष्ठा से कर रहे है। छग प्रदेश लिपिक संघ ने ज्ञापन के माध्यम से वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने संबंधी आदेश तत्काल वापस लेने के लिए समूचित निर्देश जारी करने साथ ही कोरोना के कहर में जान जोखिम में डालकर शासकीय कार्य कर रहे कोरोना योद्धाओं का 50 लाख का सुरक्षा बीमा की घोषणा करने के लिए कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है। कार्यक्रम में प्रदेश लिपिक संघ संरक्षक वंदना त्रिपाठी, जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र ठाकुर, विजयेन्द्र चौहान उपाध्यक्ष, जिला सचिव मनोज वैष्णव, महिला प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष जागृति साहू, सुशील साहू कोषाध्यक्ष, विनोद कुमार दावडे़, द्रोण नाग, भवानी ठाकुर, पवन बंजारे, शशि शास्त्री व अन्य लिपिक कर्मचारी उपस्थित थे।
छत्तीसगढ़ शासन के शासकीय कर्मचारियों के वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक लगाने के आदेश को वापस लेने की मांग के संबंध में संयुक्त शिक्षक, शिक्षाकर्मीं संघ जिला कांकेर और ब्लॉक चारामा द्वारा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व एसपी वैद को मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री, मुख्य सचिव, और अपर मुख्य सचिव वित्त विभाग के नाम ज्ञापन
सौंपा गया। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण काल में सभी वर्ग के लिए योजना व आर्थिक पैकेज जारी करके बेहतर रूप से व्यवस्था को सुदृढ़ करने का कार्य किया जा रहा है। वहीं राज्य के शासकीय कर्मचारियों का वार्षिक वेतन वृद्धि में रोक के साथ अन्य प्रकार के कटौती करने के लिए आदेश जारी किया गया है, जोकि उचित नहीं है। जबकि प्रदेश का शिक्षक वर्ग राज्य सरकार के साथ कोविड 19 के लर्डा में हर मोर्चे पर मुस्तैदी के डटा है। स्वयं के संकट का परवाह न करते हुए, इस भीषण गर्मी में कोरोना वारियर्स, क्वारंटीन सेंटर में ड्यूटी सहित मध्यान्ह भोजन सुखा चावल वितरण, ऑन लाईन पर्ढा, सहित अन्य आदेशित जगहों पर जिम्मेदारी पूर्वक कार्यों का सफल संचालन कर रहे है। पिछले माह राज्य शासन के पहल पर प्रदेश के शिक्षकों ने स्वेच्छा पूर्वक अपने एक दिन का वेतन राशि मुख्यमंत्री राहत कोष में दान किए थे। इसके बाद भी राज्य शासन द्वारा शिक्षकों के महंगाई भत्ते के साथ-साथ वार्षिक वेतन वृद्धि में रोक से शिक्षकों को दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है। राज्य सरकार के उक्त आदेश से सभी शिक्षकों के साथ-साथ अन्य विभाग शासकीय कर्मचारियों में हताशा और मनोबल में कमी आई है। संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण काल में शिक्षकों का विभिन्न कोरोना संक्रमित क्षेत्रों में ड्यूटी लगाया जा रहा है, जिसमें शिक्षकों को कोरोना वायरस होने का खतरा है। कोरोना वारियर्स की तरह कार्य कर रहें शिक्षकों का भी 50 लाख का बीमा अनिवार्य किया किया जाए। अर्थव्यवस्था को मजबूत के लिए खर्चों में मितव्ययिता लाने और भी बहुत संसाधन है, जिस पर कटौती किया जा सकता है। वार्षिक वेतन वृध्दि शासकीय कर्मचारियों का आवश्यक अधिकार है। इस विषय पर पुनः विचार करते हुए वार्षिक वेतन वृद्धि और महंगाई भत्ते रोकने के आदेश को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की अपील की है। कोरोना काल में कार्यरत् शिक्षकों को भी 50 लाख का बीमा प्रदान करने की कष्ट करेंगे। ज्ञापन सौंपने वालों में जिला अध्यक्ष अशोक गोटे, सचिव टीकमचंद सिन्हा, प्रवक्ता प्रेम प्रकाश साहू, ब्लॉक अध्यक्ष मनोज सिन्हा, विजय कोशरिया, कमलेश गावडे़, खिलेश्वर गवर्ना, शेष नेताम, बिहारी कोर्राम, चिंताराम गंगबेर, सुरेश प्रधान, ललन ठाकुर, जयराम सेवता सहित अन्य पदाधिकारी और सदस्य शामिल थे।
वार्षिक वेतनवृद्धि रोकने के विरोध में सौंपा ज्ञापन
1 कांकेर 6
कांकेर। नईदुनिया न्यूज
प्रदेश के शासकीय अधिकारी-कर्मचारियों का वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने का निर्णय कर्मचारियों के अधिकारों का हनन है। छग शासन के अधीन कार्यरत लिपिक अपनी जान जोखिम में डालकर लगातार सेवाएं दे रहे हैं। छग शासन द्वारा कोरोना योद्धाओं को पुरस्कृत किया जाना चाहिए, परंतु वित्त विभाग का वेतन वृद्धि रोकने का आदेश कर्मचारियों को हतोत्साहित करने वाला है और साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा लिपिक अधिवेशन बिलासपुर में वर्ष 2020 को कर्मचारी वर्ष घोषित करने वाली घोषणा के भी विपरीत है। वेतन वृद्धि रोकना न्यायसंगत नहीं है, क्योंकि वार्षिक वेतनवृद्धि संचयी व असंचयी प्रभाव से दण्ड के रूप में ही रोकी जाती है। कोरोना वायरस के खिलाफ संघर्ष में प्रदेश के सभी अधिकारी-कर्मचारी एक दिन का वेतन मुख्यमंत्री सहायता कोष में दे चुके हैं। वर्तमान में भी स्वेच्छा से अपना अंशदान दे रहे है। साथ ही अपनी जान जोखिम में डालकर शासकीय दायित्वों का निर्वहन पूरी निष्ठा से कर रहे है। छग प्रदेश लिपिक संघ ने ज्ञापन के माध्यम से वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने संबंधी आदेश तत्काल वापस लेने के लिए समूचित निर्देश जारी करने साथ ही कोरोना के कहर में जान जोखिम में डालकर शासकीय कार्य कर रहे कोरोना योद्धाओं का 50 लाख का सुरक्षा बीमा की घोषणा करने के लिए कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है। कार्यक्रम में प्रदेश लिपिक संघ संरक्षक वंदना त्रिपाठी, जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र ठाकुर, विजयेन्द्र चौहान उपाध्यक्ष, जिला सचिव मनोज वैष्णव, महिला प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष जागृति साहू, सुशील साहू कोषाध्यक्ष, विनोद कुमार दावडे़, द्रोण नाग, भवानी ठाकुर, पवन बंजारे, शशि शास्त्री व अन्य लिपिक कर्मचारी उपस्थित थे।