इस अव्यवस्था को लेकर सीटू ने प्रबंधन ने एक साल के लिए माइंस भेजे जाने की नीति की समीक्षा करने की मांग की है।
भिलाई इस्पात संयंत्र के सेक्टर-9 अस्पताल से हर वर्ष चिकित्सक, फॉर्मासिस्ट एवं टेक्निकल स्टाफ तथा स्कूलों से शिक्षकों को 1 साल के लिए माइंस भेजा जाता है। यह व्यवस्था माइंस में स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए की गई। इस व्यवस्था से माइंस में मेडिकल व स्कूलों में स्टाफ की समस्या दूर करने में प्रबंधन को मदद तो मिल रहा है लेकिन इसका दुष्परिणाम भिलाई के कर्मियों को भुगतना पड़ रहा है। सेक्टर-9 अस्पताल जहां पहले ही चिकित्सक व अन्य स्टाफ की कमी बनी हुई है, ऐसे में यहां के स्टाफ को माइंस भेजने सेक्टर-9 सहित भिलाई में बीएसपी के अस्पतालों में कैसी स्थिति बनती होगी, इसे सहज ही समझा जा सकता है। कमोबेश यही हालात शिक्षा विभाग की है। जहां शिक्षकों की कमी के कारण ठेके में शिक्षक रखे जा रहे हैं। वहीं यहां के शिक्षकों को एक साल के लिए माइंस की स्कूलों में भेजा जा रहा है। इतना ही नहीं बीएसपी स्कूल के स्टाफ को बीएलओ (बूथ लेवल आफिसर- चुनावी ड्यूटी) की ड्यूटी के लिए दिए जाने से परेशानी कई गुना बढ़ जाती है।
यूनियन ने कहा- माइंस की पोस्टिंग में प्रबंधन कर रहा भेदभाव
अफसर अब बीएसपी स्कूलों के शिक्षकों से ही पूछ रहे, बताओ हमने किसे भेजा है
28 मार्च को शिक्षा के पर्सनल विभाग ने शिक्षकों को माइंस भेजने के लिए एक और सूची जारी कर दी। इसकी भनक लगते ही सीटू नेता सक्रिय हो गए। उन्होंने सूची की पड़ताल की तो पता चला कि ज्यादातर शिक्षक पहले ही माइंस की स्कूलों में पढ़ा कर आ चुके हैं। इस पर उन्होंने पर्सनल विभाग से जानकारी मांगी कि बीते वर्षों में कौन से शिक्षक माइंस स्कूल भेजे गए थे, तो पता लगा कि उनके पास ऐसी कोई प्रामाणिक सूची नहीं है। जब उन्होंने इस बात पर आपत्ति जताई तो आनन-फानन में कार्मिक विभाग ने उस सूची को रद्द कर शिक्षा विभाग एवं शिक्षकों से ही इस जानकारी को लेने में जुट गया कि कौन-कौन से टीचर कब माइंस के स्कूल जाकर आए हैं।
माइंस एरिया के लिए हो अलग से भर्ती
बिना गॉड फादर वाले कर्मचारी हो रहे परेशान, बाकी के सामने विकल्प नहीं
बीएसपी प्रबंधन जूनियर डाक्टर्स को माइंस भेज रहा है। कई डाक्टर्स तो एक बार भेजे गए तो वापसी कब होगी इसका ठिकाना नहीं है। यह रवैया उन्हीं चिकित्सकों के साथ है जिनका कोई गॉड फादर नहीं है। वरना सेक्टर-9 में एक चिकित्सक दंपत्ति तो ऐसा भी है जिनकी नियुक्ति माइंस अस्पताल के लिए हुई थी। इसके लिए उन्हें दो ग्रेड का फायदा भी दिया गया। कुछ समय तक वह दंपत्ति माइंस के अस्पताल में काम करता रहा। कार्पोरेट आफिस से फोन करवा कर पोस्टिंग सेक्टर-9 में करवा ली।
सीटू का मानना है कि राजहरा सहित सभी माइंस बीएसपी अंग है एवं वहां के अस्पताल के लिए पर्याप्त स्टाफ एवं स्कूलों के लिए पर्याप्त शिक्षकों की आवश्यकता है, क्योंकि भिलाई हो या माइंस दोनों ही जगह कर्मियों एवं उनके परिवार के वेलफेयर के लिए स्कूल एवं अस्पताल का सुचारु रुप से संचालन जरूरी है। इसलिए माइंस के लिए शिक्षकों एवं अस्पताल स्टाफ की भर्ती के लिए अलग से कार्यवाही प्रारंभ की जानी चाहिए, ताकि माइंस के अस्पताल एवं स्कूलों को बेहतर संचालित किया जा सके।
महिला अफसरों को भेजें माइंस, तब उन्हें पता चल लगेगा लेटलतीफी का मतलब
पिछले वर्ष बीएसपी स्कूलों से कुछ महिला टीचर्स व नर्सिंग स्टाफ को राजहरा माइंस भेजा गया था, जिनमें से उन महिला टीचरों को वापस आने के लिए 28 मार्च को आदेश निकाला गया था। इसमें भिलाई से अन्य दूसरे टीचर्स को भी राजहरा भेजने की सूची शामिल थी, लेकिन इनकी त्रुटि होने के चलते आनन-फानन में उस आदेश को रद्द कर 30 अप्रैल को उन टीचरों को वापस आने का आदेश निकाल रहे हैं। सीटू का कहना है कि यह कार्य केवल कार्मिक विभाग में बैठे उन महिला अफसरों के चलते ही हो रहा, जिनके पास कोई स्पष्ट ट्रांसफर सूची नहीं है। यूनियन मांग करता है कि एेसे महिला अधिकारियों को एक साल के लिए राजहरा भेजा जाए।
प्रबंधन अपनी पॉलिसी की समीक्षा करे जीएम इंचार्ज को ज्ञापन भी सौं दिया है
बीएसपी अस्पताल कर्मियों एवं स्कूल शिक्षकों को 1 साल के लिए राजहरा सहित अन्य माइंस में भेजने की नीति की समीक्षा करते हुए प्रबंधन को इस व्यवस्था को तुरंत बंद किया जाना चाहिए। साथ ही अविलंब माइंस के लिए शिक्षकों एवं स्टाफ की भर्ती के लिए कार्यवाही प्रारंभ की जानी चाहिए, ताकि माइंस के अस्पताल एवं स्कूलों को बेहतर तरीके से संचालित किया जा सके। इसके लिए जीएम इंचार्ज को पत्र सौंपा गया है। डीवीएस रेड्डी, महासचिव, हिंदुस्तान स्टील इम्प्लाइज यूनियन सीटू