Facebook

Govt Jobs : Opening

7वें वेतन आयोग में बढ़े वेतन का इंतजाम अनुपूरक बजट में, अगस्त से मिलेगी बढ़ी सैलरी, काम के आधार पर इन्क्रीमेंट

 नई दिल्ली। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लेकर देश भर के केंद्रीय कर्मचारियों के बीच काफी हो-हल्ला मचा था और अब भी जारी है लेकिन इसी के बीच सरकार ने कुछ सीमाएं तय करते हुए सातवें वेतन आयोग को हरी झंड़ी दे दी है और इसके लिए अनुपूरक बजट में इंतजेमात भी कर दिया गया है।
लेकिन सरकार ने साफ-साप शब्दों में यह कह दिया है कि काम के आधार पर हीं इन्क्रीमेंट दिया जायगा। इसी के साथ में राज्य सरकारें भी  केंद्रीय कर्मियों के तर्ज पर अपने कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग की अनुशंसाएं लागू करने की तैयारी में जुट गयी है। इसके तहत कर्मचारियों के वेतन में औसतन 25% तक की बढ़ोतरी की जायेगी। पहले 23% बढ़ोतरी की अनुशंसा की गयी थी, लेकिन केंद्रीय कर्मियों के विरोध के बाद इसे 25% तक किया गया है।

आपको बता दें कि इसकी अधिसूचना जारी होने के बाद राज्य भी अपने कर्मचारियों को बढ़ा हुआ वेतन देने के लिए राशि के प्रबंध में जुट गया है। इसके लिए मॉनसून सत्र में 16 हजार करोड़ का अनुपूरक बजट पेश किया जा रहा है। इसमें आठ हजार करोड़ योजना और आठ हजार करोड़ का प्रावधान गैर योजना मद में किया गया है। गैर योजना मद में आठ हजार करोड़ का प्रावधान मुख्य रूप से सातवें वेतन आयोग की अनुशंसाओं  के तहत बढ़े हुए वेतन और पेंशन की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया गया है। योजना मद के तहत अनुपूरक बजट पेश किया जायेगा, वह विशेष तौर से तेजी से रुपये खर्च करनेवाले विभागों के लिए होगा या जिनकी योजनाओं को पूरा करने के लिए अतिरिक्त पैसे  की जरूरत है. इसमें शिक्षा, ग्रामीण विकास विभाग, जल संसाधन विभाग, पथ निर्माण विभाग समेत अन्य विभाग मुख्य रूप से शामिल हैं. अनुपूरक बजट पेश होने के दौरान कुछ अन्य अहम मदों में बढ़ोतरी या बदलाव भी किया जा सकता है। फिलहाल इस पर वित्त विभाग विचार कर रहा है।
 
गौरतलब है कि सरकार ने कम खर्च करनेवाले विभागों को भी खर्च की रफ्तार बढ़ाने के लिए कहा है। योजना एवं विकास विभाग लगातार इसकी मॉनीटरिंग में जुटा है। चालू वित्तीय वर्ष 2016-17 में चार महीने बीत गये, अब तक योजना मद की 71 हजार करोड़ की राशि का 14.50% ही खर्च हो पाया है।  26 विभाग ऐसे हैं, जिन्होंने अब तक अपने बजट आकार का 10% भी नहीं खर्च पाये हैं। 30% से ज्यादा या इसके आसपास रुपये खर्च करनेवालों में महज पांच विभाग ही शामिल हैं। इनमें वाणिज्यकर (33%), सूचना एवं प्रौद्योगिकी (46.75%), पथ निर्माण (35.84%), गन्ना उद्योग (41.57%) और जल संसाधन (27.82%) विभाग शामिल हैं। 

आपको यह भी बता दें कि कुछ ऐसे विभाग भी हैं जो अपने मद में आवंटित बजट को भी खर्च करने में नाकाम रहे हैं और जनता के उत्थान हेतू किये जाने वाले कार्यों को पूरा नहीं किया जा सका है। कृषि (0.72%), पशु एवं मत्स्य संसाधन (0.30%), कला-संस्कृति ए‌वं युवा (0.40%), पिछड़ा एवं अति पिछड़ा कल्याण (0), भवन निर्माण (5.58%), मंत्रिमंडल सचिवालय (0.46%), सहकारिता (0), वन एवं पर्यावरण (4.42%), खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण (0.20%), सामान्य प्रशासन (9.92%), स्वास्थ्य (2.0%), गृह (10.91%), उद्योग (0.05%), सूचना एवं जनसंपर्क (3.60%), श्रम संसाधन (7.64%), विधि (1.75%), लघु जल संसाधन (9.36%), अल्पसंख्यक कल्याण (7.50%), पंचायती राज (4.63%), राजस्व एवं भूमि सुधार (7.26%), ग्रामीण विकास (7.91%), एससी-एसटी कल्याण (0.92%), विज्ञान एवं प्रावैधिकी (3.23%), समाज कल्याण (3.96%), पर्यटन (8.54%) और परिवहन (2.88%), यह ऐसे विभाग हैं जो अब तक फीसड़ी साबित हुए हैं।
Sponsored link : सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC

Recent in Fashion

Random Posts

'; (function() { var dsq = document.createElement('script'); dsq.type = 'text/javascript'; dsq.async = true; dsq.src = '//' + disqus_shortname + '.disqus.com/embed.js'; (document.getElementsByTagName('head')[0] || document.getElementsByTagName('body')[0]).appendChild(dsq); })();