सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी से हो रहे पढ़ाई का नुकसान दूर करने
अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है। भर्ती की प्रक्रिया स्कूलों में
और नियुक्ति का अधिकार प्राचार्यों को दे दिया गया है।
शासन की स्टेंडर्ड गाइडलाइन के मुताबिक आवेदकों को उनकी योग्यता संबंधी प्रमाणपत्रों में मेरिट के आधार पर चयनित करना है। कायदों को अंगूठा दिखाते हुए एक प्राचार्य स्कूल में बकायदा परीक्षा आयोजित कर अभ्यर्थियों की योग्यता जांचने लगे। नियम विरुद्ध अपनाई गई प्रक्रिया से नाराज अभ्यर्थियों की शिकायत जब शिक्षा विभाग तक पहुंचा तो डीईओ ने भर्ती अमान्य कर दी।
जिले
के अंतिम छोर में बसे ग्राम पंचायत उमरेली के शासकीय विद्यालय में
अंग्रेजी विषय के लिए एक अतिथि शिक्षक की भर्ती होनी थी। बुधवार को हुई
प्रक्रिया में शासन से निर्धारित चयन प्रक्रिया के नियमों को धत्ता दिखाते
हुए उमरेली के प्राचार्य डीएल दिव्यकार अपने ही नियम लागू कर भर्ती करने
लगे। मनमानी करते हुए प्राचार्य दिव्यकार अभ्यार्थियों से परीक्षा लेकर
प्रक्रिया निपटाने लगे। शासन की स्टेंडर्ड गाइडलाइन के मुताबिक आवेदकों को
उनकी योग्यता संबंधी प्रमाणपत्रों में मेरिट के आधार पर चयनित करना है। जब
इस नए नियम के बारे में स्थानीय अभ्यर्थियों ने सवाल-जवाब किया, तो
उन्होंने जानकारी देने से भी इनकार कर दिया। थक-हार कर प्रक्रिया से
असंतुष्ट व नाराज अभ्यर्थियों ने मामले की शिकायत शिक्षा विभाग से कर दी।
नियम विरुद्ध अपनाई गई भर्ती प्रक्रिया की जानकारी मिलने पर डीईओ सतीश
कुमार पांडेय ने भर्ती अमान्य कर दी है।
सीधी प्रक्रिया, सर्वाधिक अंक पर पात्रता
शासन
के निर्देश के अनुसार मेरिट लिस्ट के आधार पर ही अतिथि शिक्षकों की भर्ती
किया जाना है। स्टेंडर्ड गाइडलाइन का पालन नहीं किए जाने पर भर्ती अमान्य
कर दिए जाने का निर्देश है। बावजूद इसके शासन की गाइडलाइन दरकिनार कर
परीक्षा के जरिए अतिथि शिक्षकों की भर्ती करने का यह मामला स्कूल के
प्राचार्य की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। शिकायतकर्ताओं का यह भी
आरोप है कि उन्होंने अपने परिचितों को लाभ पहुंचाने की नीयत से इस तरह नियम
ताक पर रख दिए और खुलेआम मनमानी पर उतरते हुए अभ्यर्थियों से परीक्षा लेने
लगे, जबकि सीधी प्रक्रिया के तहत सर्वाधिक अंक वाले ही योग्य हैं।
स्थानीय अनिवार्य, सारागांव से आए थे
अतिथि
शिक्षक के लिए शासन से निर्धारित चयन की प्रक्रिया में यह भी स्पष्ट
निर्देश है कि अभ्यर्थी को स्थानीय होना चाहिए। यानी उमरेली में अतिथि
शिक्षक बनने की प्रतिस्पर्धा में शामिल हुए अभ्यर्थियों को कोरबा जिला का
मूल निवासी होना अनिवार्य है। इतना ही नहीं, वह ग्राम पंचायत, वहां
अभ्यर्थी न हों तो निकटतम ग्राम पंचायत या विकासखंड का होना चाहिए, ताकि
स्थानीय बेरोजगारों को प्राथमिकता के तौर पर पहले मौका मिल सके। बताया जा
रहा कि उमरेली की भर्ती प्रक्रिया में पहुंचे कुछ अभ्यर्थी जांजगीर-चांपा
जिले के सारागांव से पहुंचे थे, जिन्हें फोन कर बुलाए जाने की बात भी कही
जा रही, जो चयन प्रक्रिया नियमों का खुले तौर पर उल्लंघन है।
15 मिनट डेमो क्लास, गांव के युवा अपात्र
शिकायत
में यह भी कहा गया है कि नियमों को ताक में रखकर अपने निजी व्यक्तियों को
अतिथि शिक्षक के रूप में पदस्थ करना बताया गया, जबकि प्रक्रिया में भाग
लेने पहुंची रिद्धि श्रीवास व किशोर तिवारी ग्राम उमरेली के ही निवासी थे।
नियमानुसार इन दोनों में से ही किसी एक का चयन होना है, जबकि अतिथि शिक्षक
के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों को फोन के माध्यम से बुलाकर मौका दे
दिया गया। अंग्रेजी का पेपर लेने का कारण कोई इस बात को उस वक्त नहीं समझ
सका। इस दौरान ली गई परीक्षा के बाद चार अभ्यर्थियों से अंग्रेजी विषय पर
15-15 मिनट का अपना डेमो क्लास भी लिया गया।
निर्धारित प्रक्रिया के विरुद्ध की गई भर्ती अमान्य है, लिहाजा उन अतिथि शिक्षकों का मानदेय ही जारी नहीं किया जाएगा।
- सतीश कुमार पांडेय, डीईओ।
शासन की स्टेंडर्ड गाइडलाइन के मुताबिक आवेदकों को उनकी योग्यता संबंधी प्रमाणपत्रों में मेरिट के आधार पर चयनित करना है। कायदों को अंगूठा दिखाते हुए एक प्राचार्य स्कूल में बकायदा परीक्षा आयोजित कर अभ्यर्थियों की योग्यता जांचने लगे। नियम विरुद्ध अपनाई गई प्रक्रिया से नाराज अभ्यर्थियों की शिकायत जब शिक्षा विभाग तक पहुंचा तो डीईओ ने भर्ती अमान्य कर दी।
सीधी प्रक्रिया, सर्वाधिक अंक पर पात्रता
स्थानीय अनिवार्य, सारागांव से आए थे
15 मिनट डेमो क्लास, गांव के युवा अपात्र
निर्धारित प्रक्रिया के विरुद्ध की गई भर्ती अमान्य है, लिहाजा उन अतिथि शिक्षकों का मानदेय ही जारी नहीं किया जाएगा।