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शिक्षकों की मांग न मानने को लेकर राज्य सरकार से नाराजगी , 25 जुलाई से हड़ताल

 छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन ने शिक्षकों की मांग न मानने को लेकर राज्य सरकार से नाराजगी जताई है। डीए और एचआरए की मांग को लेकर 25 जुलाई से हड़ताल में शामिल होने की अपील की है। एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय शर्मा, शालेय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे, नवीन शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विकास राजपूत ने प्रेस कांफ्रेंस कर शिक्षकों का पक्ष रखा।

नई दुनिया की रिपोर्ट के मुताबिक इन संघों के नेताओं ने कहा कि जनवरी 2020 के चार प्रतिशत, जुलाई 2020 के पांच प्रतिशत महंगाई भत्ता एक मई 2022 से दिया गया है। वर्तमान में जुलाई 2020 से दो प्रतिशत, जनवरी 2021 से चार प्रतिशत, जुलाई 2021 से तीन प्रतिशत, जनवरी 2022 से तीन प्रतिशत मिलाकर कुल 12 प्रतिशत मंहगाई भत्ता लंबित है। कर्मचारियों को अभी भी छठे वेतनमान के अनुरूप गृहभाड़ा भत्ता मिल रहा है। इसके कारण सभी सरकारी कर्मचारियों को प्रतिमाह चार से 14 हजार रुपए का आर्थिक नुकसान हो रहा है। प्रदेश में महंगाई भत्ता और सातवें वेतनमान के अनुरूप गृहभाड़ा भत्ता की मांग को लेकर सरकार से सभी कर्मचारी नाराज हैं।

ये संघ लगातार अलग-अलग बैनर तले धरना प्रदर्शन कर अपनी मांगों को सरकार के सामने रख रहे हैं। लेकिन सरकार द्वारा अभी तक किसी भी मांग को पूरा नहीं किया गया है। उनका कहना है कि सभी अधिकारी व कर्मचारी संगठन एक साथ एक मंच पर आकर अब अनिश्चितकालीन आंदोलन करेंगे। तभी हमें डीए और सातवें वेतनमान का एचआरए मिलेगा नहीं तो सरकार द्वारा कर्मचारियों की इसी तरह उपेक्षा होती रहेगी। उन्होंने कहा कि अब समय एक, दो, तीन, पांच दिन के आंदोलन नहीं बल्कि आर पार का आंदोलन करने का समय है। इसलिए अब इस दिशा में ईमानदारी से आगे बढ़ने की जरूरत है।

ज्ञात हो कि कर्मचारी-अधिकारी महंगाई भत्ता संघर्ष मोर्चा के द्वारा दो सूत्रीय मांगों को लेकर इस साल अप्रैल महीने में भी प्रदर्शन किया गया था। कर्मचारी तीन दिनों का सामूहिक अवकाश लेकर प्रदर्शन कर रहे थें। महंगाई भत्ता संघर्ष मोर्चा के बेनर तले कलेक्टोरेट रोड में तीन दिवसीय सामूहिक अवकाश लेकर धरने पर बैठ गए थें। संघ की मांग थी कि छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों को केंद्र के समान ही महंगाई भत्ता दिया जाए।

बता दें कि आंदोलन के दौरान कर्मचारियों ने कहा था कि केंद्र सरकार 34 प्रतिशत महंगाई भत्ता दे रही है, वहीं राज्य सरकार केवल 17 प्रतिशत ही दे रही है। बढ़ती महंगाई में कर्मचारियों को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने मांग की थी कि 17 प्रतिशत लंबित महंगाई भत्ता एरियर्स के साथ तत्काल दिया जाए। साथ ही गृह भाड़ा भत्ता को सातवें वेतनमान के आधार पर पुनरीक्षण किया जाए। उक्त प्रदर्शन में लिपिक संघ, छत्तीसगढ़ स्वास्थ कर्मचारी संघ, छत्तीसगढ़ शिक्षक कांग्रेस, वाहन चालक संघ, छत्तीसगढ़ अधिकारी-कर्मचारी संघ, चतुर्थ वर्ग कर्मचारी संघ, शिक्षक संघ आदि शामिल हुए थे।

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